अगर ‘जायकोव-डी’ सभी परीक्षणों में पास हो जाती है और इसे देश में इस्तेमाल की मंजूरी मिलती है, तो यह कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए दुनिया का पहला डीएनए आधारित टीका और देश में उपलब्ध चौथा टीका होगा।
Corona's vaccine 'Zycov-D' in the third phase of trial
नई दिल्ली, 23 जुलाई, 2021: कोरोना संक्रमण की संभावित तीसरी लहर (Possible third wave of corona infection) से निपटने के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। इन प्रयासों में ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत किया जा रहा है तो वहीं, दूसरी तरफ यह प्रयास किए जा रहे हैं कि अधिक से अधिक लोगों को वैक्सीन लगाई जा सके क्योंकि वैक्सीन ही एक मात्र ऐसा हथियार जो कोरोना वायरस के प्रभाव को कम कर सकता है।
Zydus Cadila Company's COVID-19 Vaccine 'Zycov-D'
हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मंडाविया ने राज्य सभा में बताया है कि जायडस कैडिला कंपनी की कोविड-19 वैक्सीन ‘जायकोव-डी’ का तीसरे चरण का क्लीनिकल परीक्षण जारी है। यह कोरोना वायरस के विरुद्ध एक प्लाज्मिड डीएनए वैक्सीन (A plasmid DNA vaccine against the corona virus) है।
डीएनए वैक्सीन को वैक्सीन के विकासक्रम में सबसे आधुनिक तरीका माना जाता है। इसमें शरीर के आरएनए और डीएनए का इस्तेमाल कर इम्युन प्रोटीन विकसित किया जाता है। जो वायरस के संक्रमण को ब्लॉक करने का काम करता है और शरीर की कोशिकाओं को कोरोना वायरस के संक्रमण से सुरक्षित रखता है।
स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने सदन को बताया कि अगर ‘जायकोव-डी’ सभी परीक्षणों में पास हो जाती है और इसे देश में इस्तेमाल की मंजूरी मिलती है, तो यह कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए दुनिया का पहला डीएनए आधारित टीका और देश में उपलब्ध चौथा टीका होगा। इससे पहले वैक्सीन निर्माता कंपनी जायडस कैडिला ने इसी महीने ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीजीसीआई) से वैक्सीन के लिए आपताकालीन इस्तेमाल की मंजूरी मांगी थी। लेकिन डीजीसीआई ने कंपनी से अतिरिक्त डाटा मुहैया कराने को कहा है।
कंपनी ने सरकार को सूचित किया है कि तीसरे चरण के परीक्षण के आंकड़ों का विश्लेषण लगभग तैयार है और वह अगले सप्ताह तक इससे भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) के हवाले कर देगी।
जायडस कैडिला कंपनी ने भारत में अब तक 50 से अधिक केंद्रों में अपने कोविड-19 वैक्सीन के लिए सबसे बड़ा क्लिनिकल ट्रायल किया है। इस क्लिनिकल ट्रायल में 28 हजार से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया। इसके साथ ही इस वैक्सीन का परिक्षण 12 से 18 वर्ष आयु वर्ग की किशोर आबादी पर भी किया गया। अभी तक के परिक्षणों में टीके को सुरक्षित पाया गया है।
‘जायकोव-डी’ टीके की तीन खुराक होंगी। इसे दो से चार डिग्री सेल्सियस तापमान पर भी रखा जा सकता है. कोल्ड-चेन की आवश्यकता नहीं होने से देश के किसी भी हिस्से में इसकी खेप आसानी से पहुंचाई जा सकेगी।
‘जायकोव-डी’क्लिनिकल ट्रायल के परिणामों में कोरोना वायरस के खिलाफ 66.6 प्रतिशत प्रभावी पाई गई है। जबकि, वैक्सीन की तीसरी खुराक के बाद कोविड-19 बीमारी का कोई सामान्य मामला नहीं देखा गया। इसके साथ ही हल्के एवं मध्यम स्तर की बीमारी के लिए लगभग 100 प्रतिशत प्रभावकारी पाई गई है। वैक्सीन की दूसरी खुराक के बाद क्लिनिकल ट्रायल के दौरान कोरोना संक्रमण के कारण कोई गंभीर मामला या मृत्यु नहीं हुई।
भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के उपक्रम जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी) के तहत नेशनल बायोफार्मा मिशन (एनबीएम) द्वारा ‘जायकोव-डी’ टीके को सहयोग मिला है।
(इंडिया साइंस वायर)
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