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कोरोना आपदा के मृतकों को राहत, मुआवजा : "जब क़ानून है तो राहत क्यों नहीं देते"; सुभाषिणी अली ने मोदी सरकार से पूछा

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hastakshep
11 Aug 2021

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 कोरोना आपदा के मृतकों को राहत, मुआवजा दिया जाये

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"जब क़ानून है तो राहत क्यों नहीं देते" ; सुभाषिणी अली ने पूछा

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सीपीएम का विधानसभा पर धरना | CPIM's dharna on the assembly

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भोपाल, 11 अगस्त 2021. कोरोना महामारी की दोनों आपदाओं के दौरान इस महामारी और उसके कारण बाकी बीमारियों में इलाज न मिल पाने के चलते हुयी मौतों वाले परिवारों को प्रति परिवार 5 लाख रुपये की राहत राशि प्रदान करने, प्रति परिवार एक व्यक्ति को स्थायी शासकीय नौकरी देकर उनका भविष्य सुरक्षित करने की मांगों को लेकर आज  सीपीएम राज्यसचिव जसविंदर सिंह की अगुआई में भोपाल में विधानसभा पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने धरना दिया।

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आंदोलनकारियों के अनुसार इन मौतों ने संबंधित परिवारों के जीवन को भी संकट में डाल दिया है। ऐसी स्थिति में किसी भी निर्वाचित सरकार की संविधान सम्मत जिमेदारी बनती है कि वह इन परिवारों की जीवन रक्षा के लिए समुचित कदम उठाये। माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी इसी आशय का फैसला सुनाया है।

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माकपा के अनुसार विभागीय आपराधिक लापरवाही के चलते अनेक मृतकों की मृत्यु का वास्तविक कारण ही दर्ज नहीं किया गया / दर्ज नहीं करने के निर्देश दिए गए। काफी बड़ी संख्या में ऐसी मौतें हुयी हैं जिन्हें सामान्य इलाज उपलब्ध करके ही टाला जा सकता था, अतएव इस दौरान कोरोना संक्रमण, संदिग्ध संक्रमण, अन्य बीमारियों में इलाज न मिल पाने की वजह से हुयी समस्त मौतों को इस राहत की श्रेणी में लिया जाए।

इस धरने को संबोधित करते हुए पूर्व सांसद और माकपा की पोलिट ब्यूरो सदस्य सुभाषिणी अली ने मोदी सरकार से पूछा कि जब देश के कानूनों में इस तरह की राहत देने का प्रावधान है तो फिर देने में ना नुकुर या देरी क्यों की जा रही है ? यदि एक अकेले प्रधानमंत्री मोदी के लिए 8400 करोड़ रूपये खर्च करके एक हवाई जहाज खरीदा जा सकता है - मोदी महल बनाने में 20 हजार करोड़ जैसे अनेक फिजूलखर्च किये जा सकते हैं, अम्बानी अडानी को कई लाख करोड़ रुपयों की सौगातें दी जा सकती हैं तो सरकार की लापरवाही से मारे गए भारतीयों को राहत देते वक़्त ही क्यों पैसे की कमी का रोना रोया जाता है। 

माकपा राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने इन मांगों को दोहराते हुए कहा कि कोरोना काल में नकली दवा, इंजेक्शन्स की कालाबाजारी में भाजपाईयों की लिप्तता यहां तक कि मंत्रियों तक की हिस्सेदारी की बातें सामने आयी हैं। उनमें से अनेक मामले दबाये गए हैं। इन सबने मिलकर मध्यप्रदेश में कोरोना मौतों की संख्या और अधिक बढ़ाया। इन सभी अपराधियों को ह्त्या का मुजरिम माना जाना चाहिए।

विधानसभा सत्र को अचानक ख़त्म कर दिए जाने की भी इस धरना आंदोलन की तरफ से भर्त्सना की गयी और इसे अलोकतांत्रिक कार्यवाही बताया।

वक्ताओं ने कहा कि शिवराज सरकार विधानसभा का सामना करने से डरती है।

भोपाल सीपीएम सचिव पी वी रामचंद्रन के संचालन में हुयी धरने की सभा को संबोधित करने वालों में माकपा राज्य सचिव मण्डल सदस्य कैलाश लिम्बोदिया, सीटू प्रदेशाध्यक्ष रामविलास गोस्वामी, सचिव पी एन वर्मा, जनवादी महिला समिति जिला सचिव खुशबू केवट, सलमा शेख, गैस पीड़ित संघर्ष सहयोग समिति की संयोजिका साधना कार्णिक प्रधान, एसएफआई नेता दीपक पासवान तथा दवा प्रतिनिधियों के नेता अनुराग सक्सेना शामिल थे।

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