चन्दौली प्रशासन तमाम गाँव में ग्राम समाज, बंजर, आबादी की जमीन दबंगों के कब्जे से निकाल कर भूमिहीनों में वितरण नहीं करेंगीं तब तक बर्थरा जैसी घटना होती रहेंगीं : आईपीएफ
चन्दौली (उत्तर प्रदेश) 12 जुलाई 2021. आईपीएफ राज्य कार्य समिति के सदस्य अजय राय व किसान संगठन के जिला प्रभारी धर्मेन्द्र कुमार सिंह एडवोकेट के नेतृत्व में कल बर्थरा गाँव का दौरा कर समाज के हर हिस्से से मिला! समाज के हर हिस्सा जिसमें राजपूत परिवार का बड़ा हिस्सा ने भी दलित परिवार पर सांमती हमले का कड़े शब्दों में निंदा की।
उन्होंने अपने जांच की रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि सामंती ताकतों ने चुनाव की रंजिश के कारण मेड़ नुकसान का हवाला देकर यह दलित परिवार पर हमला किया है और झोपड़ी जलायी हैं, जिससे दलित परिवार का भारी नुकसान हुआ है। वृद्ध, महिलाओं सहित पक्षाघात के शिकार वृद्ध पर हमला किया और अभी भी पीड़ित परिवार को मिल रहा है धमकी, और प्रशासन सुरक्षा देने में नाकाम हैं!
उन्होंने कहा कि यह जाति विशेष का दलित परिवार पर हमला नहीं बल्कि कुछ सामंती परिवार द्वारा किया गया हमला है, क्योंकि वहाँ हर समाज का बड़ा हिस्सा दलित परिवार पर हमले के खिलाफ है!
उन्होंने कहा कि हमलावर सामंतों द्वारा आए दिन दलित परिवार पर किया जाता है! खुद हमलावर सामंती परिवार द्वारा ईट से बिछाई गयी चक रोड को लगातार काटने का काम किया गया है, जो 15 फीट का चक रोड था वह10 फीट में आज है।
उन्होंने कहा कि पंचायत चुनाव में वोट न देने के कारण योजनाबद्ध तरीके से यह दलित परिवार पर हमला हैं।
जांच दल ने कहा कि बर्थरा गाँव में अभी भी ग्राम समाज, बंजर, आबादी की जमीन पर सामंती परिवार का ही कब्जा है।
दलित बस्ती से सटा ही सामंती हमलावर परिवार की जमीन है, नुकसान हो रहा है। इसके नाम हर दो माह में झगड़ा होता है। दलित परिवार पर आठ जुलाई को हमला होता है और सांमती हमलावर लोगों के खिलाफ 9 जुलाई को एफआईआर लिखी जाती है, क्योंकि पुलिस घटना की लीपापोती में लगी थी!
जांचदल ने कहा कि चन्दौली प्रशासन को चाहिए कि राजस्व विभाग की टीम लगाकर उस गाँव में जितनी ग्राम समाज, बंजर की जमीन हैं उसको चिन्हित कर दलित परिवार में वितरण करें।
उन्होंने कहा कि भाजपा के शह पर लोकतंत्र पर लगातार हमला हो रहा है! पूरे जनपद में शासन प्रशासन को जमीन का प्रशासन को हल करना चाहिए क्योंकि यहाँ पर बड़े पैमाने पर जमीन सामंती परिवार के कब्जे में हैं, वही आदिवासियों को भी भारी पैमाने पर वन भूमि से बेदखल कर रही है जबकि वनाधिकार कानून लागू कर समस्या को हल किया जा सकता है।