दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों समेत सैकड़ों कारोबारी नेतृत्वकर्ताओं ने G-20 और COP-26 की बेहद महत्वपूर्ण बैठकों में अपने-अपने राष्ट्रीय जलवायु लक्ष्यों (national climate goals) को और मजबूत करने के लिए सामूहिक रूप से सहमति देने की अपील की है।
600 companies called for G-20, said that financing of coal power should be stopped
नई दिल्ली, 02 अक्तूबर 2021. जी-20 देशों में काम कर रही कंपनियों ने सरकारों से वैश्विक तापमान में वृद्धि को डेढ़ डिग्री सेल्सियस के अंदर रखने के लक्ष्य की प्राप्ति पर सार्वजनिक धन खर्च करने का आग्रह किया है।
दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों समेत सैकड़ों कारोबारी नेतृत्वकर्ताओं ने जी20 और सीओपी26 की बेहद महत्वपूर्ण बैठकों में अपने-अपने राष्ट्रीय जलवायु लक्ष्यों को और मजबूत करने के लिए सामूहिक रूप से सहमति देने की अपील की है।
The United Nations has recently issued a 'Code Red for Humanity' warning.
संयुक्त राष्ट्र द्वारा ने हाल ही में 'कोड रेड फॉर ह्यूमैनिटी' चेतावनी जारी की है। इसके बाद ढाई ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा का कारोबार करने वाले और दुनिया भर में 85 लाख से अधिक लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने वाले उद्योग समूहों ने जी 20 देशों के नेताओं को एक खुला पत्र लिखा है।
इस पत्र पर दस्तखत करने वालों में यूनीलीवर, नेटफ्लिक्स, वोल्वो कार्स, इबरदरोला और नेचुरा एण्ड को तथा बिजली और परिवहन से लेकर फैशन तथा विनिर्माण क्षेत्रों से जुड़ी अनेक बड़ी कंपनियां शामिल हैं।
यह कारोबारी समूह विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं से आग्रह कर रहा है कि वह विकासशील देशों को जलवायु संबंधी वित्तपोषण के तौर पर 100 बिलियन डॉलर देने के मौजूदा संकल्प को अमलीजामा पहनाए ताकि वर्ष 2025 तक जीवाश्म ईंधन पर दी जा रही सब्सिडी को खत्म किया जा सके और कार्बन उत्सर्जन पर आर्थिक पाबंदियां लगाई जा सके।
जलवायु परिवर्तन पर नियंत्रण के लिए उठाए जाने वाले कदमों से क्या फायदे मिलेंगे? What are the benefits of the steps taken to control climate change?
रोम में जी-20 देशों की बैठक (G20 countries meeting in Rome) से एक महीने पहले और कॉप -26 (संयुक्त राष्ट्र का जलवायु वार्ता महा सम्मेलन) जलवायु वार्ता शुरू होने से पूर्व प्रकाशित इस खुले पत्र पर दस्तखत करने वाले औद्योगिक समूहों ने कहा है हमारे कारोबार इस बात को अच्छी तरह समझते हैं कि जलवायु परिवर्तन पर नियंत्रण के लिए उठाए जाने वाले कदमों से क्या फायदे मिलेंगे। आज लिये जाने वाले सही नीतिगत निर्णयों से भविष्य में जी-20 देशों में निवेश को और बढ़ाया जा सकता है और जलवायु संबंधी समाधानों से जुड़े कारोबारी फैसले लिए जा सकते हैं।
इन उद्योगपतियों ने खास तौर पर विकसित देशों के लिए वर्ष 2030 तक तथा विकासशील एवं अन्य देशों में 2040 तक कोयला आधारित बिजली उत्पादन (coal based power generation) को चरणबद्ध ढंग से समाप्त करने की योजनाओं के मद्देनजर कोयला आधारित नए बिजली घरों के निर्माण और उनके वित्तपोषण पर फौरन रोक लगाने का आह्वान किया है।
एक खुले पत्र पर अपनी रजामंदी देने वाले वी मीन बिजनेस कॉलीशन की सीईओ मरीया मेंडिलूसे ने कहा
"यह जरूरी है कि सरकारें इस पत्र से विश्वास हासिल करें। यह कारोबारी जगत की तरफ से की गई अब तक की सबसे बड़ी और सबसे महत्वाकांक्षी पुकार है, जिसमें जलवायु के संरक्षण संबंधी योजनाओं पर मुस्तैदी से काम शुरू करने का आह्वान किया गया है।"
सीओपी26 से पहले देशों को अपनी राष्ट्रीय योजनाओं को फिर से नया करना चाहिए और उन्हें ठोस नीतियों में तब्दील करना चाहिएह जैसा कि इस पत्र में खाका खींचा गया है। सरकार तथा कारोबारी जगत द्वारा उठाए जाने वाले निर्णायक कदमों से हमें अपनी ऊर्जा प्रणाली के रूपांतरण की शुरुआत करने में मदद मिलेगी ताकि एक सतत और कार्बन मुक्त भविष्य का निर्माण किया जा सके।
इस पत्र पर अन्य कंपनियों द्वारा अपनी रजामंदी दिए जाने का रास्ता अभी खुला रखा गया है और आने वाले महीनों में वे कंपनियां चाहे तो इस पर दस्तखत कर सकती हैं। इस खत में परिवहन के साधनों के विद्युतीकरण कार्य में तेजी लाने और विभिन्न क्षेत्रों में अक्षय ऊर्जा के इस्तेमाल को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा देने का आह्वान किया गया है। साथ ही 100% अक्षय ऊर्जा की कॉरपोरेट खरीद में लागू बाधाओं को खत्म करने का भी आग्रह किया गया है ताकि कंपनियां स्वच्छ ऊर्जा मैं अपने रूपांतरण को और तेजी से पूरा कर सकें।
क्लाइमेट एक्शन ट्रैक्टर द्वारा हाल में ही किए गए एक अध्ययन में पाया गया है कि जी-20 में शामिल कोई भी देश वैश्विक तापमान में वृद्धि को डेढ़ डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने के लक्ष्य की प्राप्ति की दिशा में आगे नहीं बढ़ रहा है। वैश्विक जीडीपी में जी-20 देशों की हिस्सेदारी करीब 90% है और वैश्विक व्यापार तथा ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में इनका योगदान करीब 80 फीसद है।
यह पत्र ऐसे समय लिखा गया है जब सरकारों द्वारा जलवायु परिवर्तन पर नियंत्रण (climate change control) के लिए कदम उठाने संबंधी मांग को मिलने वाले जन समर्थन में तेजी आ रही है।
यूनीलीवर के सीईओ एलन जोप ने कहा "वैश्विक तापमान में वृद्धि को डेढ़ डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने का समय तेजी से निकल रहा है। निजी क्षेत्र इस दिशा में पहले से ही साहसिक कदम उठा रहा है क्योंकि एक सतत और नेटजीरो अर्थव्यवस्था के प्रति कारोबारी जगत का नजरिया बिल्कुल साफ है। लेकिन हम इस लक्ष्य को तभी हासिल कर सकते हैं जब सरकारें जलवायु परिवर्तन पर नियंत्रण के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करें। हम जी-20 देशों के नेताओं से आग्रह करते हैं कि वे वर्ष 2030 तक प्रदूषणकारी तत्वों के वैश्विक उत्सर्जन की मात्रा में 50% की कटौती के लक्ष्य को हासिल करने के लिए एकजुटता से प्रयास करें और इस चुनौती से पार पाने के लिए उसी के अनुसार अपने लक्ष्य तथा नीतियां बनाएं और जन निवेश को मूर्त रूप दें। ऐसा करके वे दुनिया को सतत, समावेशी और भरोसेमंद विकास के एक नए युग के रास्ते पर ला सकते हैं। खास तौर पर तब, जब ऐसा करना पहले से कहीं ज्यादा जरूरी हो चुका है।"
इस पत्र के अंत में सार्वजनिक जलवायु वित्त संबंधी मौजूदा संकल्पबद्धताओं पर अमल सुनिश्चित करके सार्वजनिक वित्त को वैश्विक तापमान में वृद्धि को डेढ़ डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने के अनुरूप बनाने का आह्वान किया गया है। इसके साथ-साथ इस बात का भी आह्वान किया गया है कि जोखिमों, अवसरों तथा प्रभावों से जुड़े जलवायु संबंधी वित्तीय खुलासों को कारपोरेशन के लिए अनिवार्य बनाया जाए।
एसिक्स के चेयरमैन और सीईओ मोतोई ओयामा ने कहा "हम जी-20 देशों के नेताओं से आग्रह करते हैं कि वह आगे आएं और वर्ष 2030 तक प्रदूषणकारी तत्वों के वैश्विक उत्सर्जन की मात्रा में 50% की कटौती करने के लिए सामूहिक प्रयास करें ताकि वैश्विक तापमान में वृद्धि को डेढ़ डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखा जा सके। हम सभी को अपने अपने हिस्से का काम करना है। बढ़े हुए निवेश और सही नीतिगत संकेतों के साथ हम उन समाधानों को और बेहतर बना सकते हैं जो आज मौजूद हैं। साथ ही साथ बाकी समाधानों को विकसित करने के लिए उनके माध्यम से नए प्रयास किए जा सकते हैं। कारोबारी जगत के पास तेजी से बदलाव लाने की क्षमता है लेकिन हमें स्पष्ट और निरंतरतापूर्ण नीतियों की जरूरत है ताकि मजबूत, न्याय संगत तथा अधिक सतत अर्थव्यवस्थाओं के निर्माण के लिए कारोबारी निवेश और फैसले दिए जा सकें। ऐसी अर्थव्यवस्थाओं के निर्माण का यह काम पूरी दुनिया में हो रही अपनी कारोबारी गतिविधियों के साथ-साथ जी-20 में शामिल अन्य देशों के रूप में अपने कारोबारी साझेदारों के लिए किया जाए। हमारा मानना है कि एक बेहतर शरीर में सुकून भरे ज़हन के लिए हमें खुशनुमा धरती की जरूरत है।"
वी मीन बिजनेस कॉलीशन सात गैर वित्तीय लाभकारी संगठनों का एक समूह है। इनमें बीएसआर, द बी-टीम, सीडीपी, द क्लाइमेट ग्रुप, सीईआरईएस, कॉरपोरेट लीडर्स ग्रुप यूरोप और वर्ल्ड बिजनेस काउंसिल फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट शामिल हैं। इस संगठन का उद्देश्य कारोबार तथा नीतिगत कदमों को वर्ष 2030 तक प्रदूषणकारी तत्वों के वैश्विक उत्सर्जन में 50% की कटौती करने और वर्ष 2050 तक वैश्विक अर्थव्यवस्था को नेट जीरो के तौर पर समावेशी रूप से रूपांतरित करने के प्रयासों में तेजी लाना है।
हमारे समाज के साथ-साथ कारोबार के लिए भी एक स्पष्ट खतरा बन चुका है जलवायु परिवर्तन
गोदरेज एंड बॉयस के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक जमशेद एन. गोदरेज "तात्कालिकता को स्पष्ट नहीं किया जा सकता। जलवायु परिवर्तन हमारे समाज के साथ-साथ कारोबार के लिए भी एक स्पष्ट खतरा बन चुका है। इस वैश्विक चुनौती के खिलाफ जंग में एक कारोबारी नेतृत्वकर्ता होने के नाते हम यह मानते हैं कि जलवायु संरक्षण संबंधी कार्रवाई एक ऐसा रास्ता है जिससे रोजगार बढ़ेगा, आर्थिक विकास होगा, जन स्वास्थ्य प्रणाली में सुधार होगा और नवोन्मेष में वृद्धि होगी। गोदरेज एंड बॉयस इस समाधान का एक हिस्सा बनने के प्रति संकल्पबद्ध है और वह जी-20 देशों के नेताओं का आह्वान करता है कि वे वर्ष 2030 तक प्रदूषणकारी तत्वों के वैश्विक उत्सर्जन में 50% की कटौती करने के लिए सामूहिक रूप स काम करें ताकि इस सदी के अंत तक वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी को डेढ़ डिग्री सेल्सियस से नीचे रखा जा सके।"
क्लाइमेट चेंज एंड एलायंसेज के निदेशक गोंफेलो साएन दे मेरा "हम जी-20 देशों के नेताओं का आह्वान करते हैं कि वे वर्ष 2030 तक प्रदूषणकारी तत्वों के वैश्विक उत्सर्जन में 50% की कटौती करने के लिए सामूहिक रूप से काम करें ताकि वैश्विक तापमान में बढ़ोत्तरी को डेढ़ डिग्री सेल्सियस से नीचे रखा जा सके। हम सभी को अपने-अपने हिस्से का काम करना है। बढ़े हुए निवेश और सही नीतिगत संकेतों के साथ हम उन समाधानों को और बेहतर बना सकते हैं जो पहले से ही मौजूद हैं। साथ ही साथ बाकी समाधानों को विकसित करने के लिए उनके माध्यम से नए प्रयास किए जा सकते हैं। कारोबारी जगत के पास तेजी से बदलाव लाने की क्षमता है लेकिन हमें स्पष्ट और निरंतरतापूर्ण नीतियों की जरूरत है ताकि मजबूत, न्याय संगत तथा अधिक सतत अर्थव्यवस्थाओं का निर्माण कर सकें।"