विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस : पिछली शताब्दी में हमने अपनी आधी आर्द्रभूमि को नष्ट कर दिया है

hastakshep
28 Jul 2021
विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस : पिछली शताब्दी में हमने अपनी आधी आर्द्रभूमि को नष्ट कर दिया है विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस : पिछली शताब्दी में हमने अपनी आधी आर्द्रभूमि को नष्ट कर दिया है

Climate Change

 World nature conservation day 2021

नई दिल्ली, 28 जुलाई, 2021: मानव और प्रकृति के बीच एक अटूट संबंध है। प्रकृति मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं को निर्धारित करती है तो वहीं वह मानव के विभिन्न क्रियाकलापों से स्वयं प्रभावित भी होती है। जैव-विविधता में ह्रास (loss of biodiversity) और जलवायु परिवर्तन मानव-गतिविधियों द्वारा प्रकृति के चिंताजनक ढंग से प्रभावित होने के उदाहरण हैं। यह मानव-जन्य प्रभाव एक निश्चित समयावधि के बाद स्वयं मानव जीवन को भी गंभीर रूप से प्रभावित करेगा।

Due to the indiscriminate exploitation of the environment by humans, the earth's ecosystem is constantly being damaged.

मानव द्वारा पर्यावरण के अंधाधुंध दोहन से पृथ्वी के पारिस्थितिक तंत्र को लगातार क्षति पहुँच रही है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) के अनुसार हर तीन सेकंड में, दुनिया एक फुटबॉल पिच को कवर करने के लिए पर्याप्त जंगल को खो देती है और पिछली शताब्दी में हमने अपनी आधी आर्द्रभूमि को नष्ट कर दिया है।

यूएनईपी ने कहा है कि हमारी 50 प्रतिशत प्रवाल भित्तियाँ पहले ही नष्ट हो चुकी हैं और 90 प्रतिशत तक प्रवाल भित्तियाँ 2050 तक नष्ट हो सकती हैं।

पिछले कुछ वर्षों में मनुष्य ने काफी प्रगति की है। इस तकनीकी प्रगति के तकाजों ने प्रकृति को भी बुरी तरह प्रभावित किया है। मनुष्य अपने विकास की दौड़ में प्रकृति को नुकसान पहुंचा रहा है, बिना यह सोचने की  इसके परिणाम कितने भयानक हो सकते हैं।

पृथ्वी पर जीवन के लिए पानी, हवा, मिट्टी, खनिज, पेड़, जानवर, भोजन आदि हमारी मूलभूत आवश्यकताएं है इसलिए यह आवश्यक है कि हम अपनी प्रकृति को स्वच्छ और स्वस्थ रखें। प्रकृति के इन्ही संसाधनों और उसके संरक्षण के संदर्भ में जागरूकता पैदा करने के लिए प्रति वर्ष 28 जुलाई को विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस मनाया जाता है।

Objective of World Nature Conservation Day

विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस का उद्देश्य है प्रकृति को नुकसान पहुँचाने वाले कारकों  जैसे - प्रदूषण, जीवाश्म ईंधन का जलना, जनसंख्या- दबाव, मिट्टी का क्षरण और वनों की कटाई आदि को लेकर लोगों को आगाह करना और प्राकृतिक संसाधनों जैसे - जल, ईंधन, वायु, खनिज, मिट्टी, वन्यजीव आदि के संरक्षण के लिए उन्हें प्रोत्साहित करना है।

पृथ्वी को जीवंत बनाये रखने के लिए मनुष्यों के साथ–साथ पशु–पक्षी पेड़-पौधों का रहना भी अत्यंत आवश्यक है। आज जीव जंतुओं तथा पेड़ पौधों की कई प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं। इसलिए पारिस्थितिक तंत्र के प्राकृतिक वैभव की रक्षा करना और पृथ्वी पर प्रत्येक जीवित प्राणी के साथ सह-अस्तित्व की एक प्रणाली विकसित करना आज के दौर की एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है।

(इंडिया साइंस वायर)

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