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आक्रामक विदेशी प्रजातियों के आक्रमण के कारण दुनिया भर में जैव विविधता खतरे में है: आईपीबीईएस
Biodiversity around the world is under threat due to invasion of invasive alien species: IPBES
नई दिल्ली, 04 सितंबर 2023: जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं पर आधारित अंतर सरकारी मंच यानी इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन बायोडायवर्सिटी एंड इकोसिस्टम सर्विसेज (Intergovernmental Panel on Biodiversity and Ecosystem Services आईपीबीईएस) ने आज एक नई रिपोर्ट- 'द असेसमेंट रिपोर्ट ऑन इनवेसिव एलियन स्पीशीज एंड देयर कंट्रोल' (The Assessment Report on Invasive Alien Species and Their Control) जारी की है। इस रिपोर्ट में घुसपैठ करने वाली आक्रामक विदेशी प्रजातियों को दुनिया भर में जैव विविधता को हो रहे नुकसान के मुख्य प्रत्यक्ष कारकों में से एक के रूप में पहचाना गया है।
"इन्वेसिव" या आक्रामक घुसपैठिया प्रजाति क्या होती है
एक आक्रामक घुसपैठिया प्रजाति किसी भी तरह का जीव हो सकता है - एक एम्फीबियन (जैसे कि केन टोड), पौधा, कीट, मछली, फंगस या कवक, बैक्टीरिया या यहां तक कि किसी जीव के बीज या अंडे भी, जो किसी पारिस्थितिकी तंत्र का मूल निवासी नहीं है और उसे नुकसान पहुंचाता है। वे पर्यावरण, अर्थव्यवस्था और यहां तक कि मानव स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं। ऐसी प्रजातियां जो तेजी से बढ़ती प्रजनन करती हैं और आक्रामक रूप से फैलती हैं और जिससे इस इकोसिस्टम के मूल निवासी पेड़ पौधे, कीट पतंगे या जीव जंतु पनपना बंद कर देते हैं। उनके पनपने वाला वातावरण बदल जाता है और फिर घुसपैठ कर रही प्रजाति इतनी ज्यादा फैल जाती है की किसी दूसरी प्रजाति के लिए जगह नहीं बचती। इस तरह यह मूल निवासी प्रजातियों को जड़ से साफ कर देते हैं। इसलिये इन्हें "इन्वेसिव" या घुसपैठिया की श्रेणी में रखा जाता है।
रिपोर्ट के अनुसार, विदेशी प्रजातियों (मानव गतिविधियों के माध्यम से नए क्षेत्रों में लाई गई प्रजातियां) की संख्या सभी क्षेत्रों में सदियों से लगातार बढ़ रही है, लेकिन अब उनमें अभूतपूर्व दर से वृद्धि हो रही है।
प्रकृति और लोगों के लिए गंभीर खतरा पैदा करती हैं विदेशी प्रजातियाँ
रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि सभी एलियन ( विदेशी) प्रजातियाँ जैव विविधता, स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र और प्रजातियों पर नकारात्मक प्रभाव डालकर स्थापित नहीं होती और न ही फैलती हैं। फिर भी लगभग 6% एलियन पौधे; 22% एलियन अकशेरुकी( इन-वर्टिब्रेट) 14% एलियन कशेरुकी;( वर्टिब्रेट) और 11% विदेशी रोगाणु घुसपैठिया माने जाते हैं, जो प्रकृति और लोगों के लिए बड़ा खतरा पैदा करते हैं।
दुनिया भर में 3,500 से अधिक घुसपैठिया एलियन प्रजातियों सहित 37,000 से अधिक स्थापित एलियन प्रजातियाँ दर्ज की गई हैं।
हालाँकि, घुसपैठिया एलियन प्रजातियाँ जैव विविधता, पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं, सतत विकास और मानव कल्याण के लिए तेजी से बढ़ते खतरे को आमतौर पर खराब मात्रा में निर्धारित करती हैं और निर्णय निर्माता भी उन्हें बहुत कम ही समझ पाते हैं। घुसपैठिया प्रजातियों के कारण लगभग 42 प्रतिशत संकटग्रस्त या लुप्तप्राय प्रजातियाँ खतरे में हैं।
घुसपैठिया एलियन प्रजातियां भूमि और समुद्री उपयोग में परिवर्तन, जीवों का प्रत्यक्ष शोषण, जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण के साथ-साथ विश्व स्तर पर जैव विविधता के नुकसान के पांच प्रमुख प्रत्यक्ष कारणों में से एक हैं।
रिपोर्ट की मुख्य बातें :
· रिपोर्ट में दर्ज 60% वैश्विक पौधों और जानवरों के विलुप्त होने में घुसपैठिया एलियन प्रजातियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है;
· वर्ष 2019 में घुसपैठिया एलियन प्रजातियों की वजह से वैश्विक स्तर पर सालाना 423 बिलियन डॉलर से ज्यादा का नुकसान हुआ। यह प्राकृतिक आपदाओं के कारण होने वाले अनुमानित वैश्विक नुकसान से अधिक है।
· वर्ष 1970 के बाद से हर दशक में घुसपैठिया एलियन प्रजातियों की वजह से होने वाला वार्षिक नुकसान कम से कम चार गुना हो गया है और परिवर्तन के प्रमुख कारकों के और बदतर होने की भविष्यवाणी की गई है;
· दुनिया भर में 3,500 से अधिक घुसपैठिया एलियन प्रजातियों सहित 37,000 से अधिक स्थापित विदेशी प्रजातियाँ दर्ज की गई हैं;
· 80% देशों के पास अपनी राष्ट्रीय जैव विविधता योजनाओं में घुसपैठिया एलियन प्रजातियों के प्रबंधन से संबंधित लक्ष्य हैं, लेकिन महज 17% देशों के पास विशेष रूप से इन मुद्दों को हल करने वाले राष्ट्रीय कानून या नियम हैं।
जानिए घुसपैठिया एलियन प्रजातियां किन तरीकों से प्रभावित करती हैं:
● खाद्य आपूर्ति कम करना - उदाहरण के लिए यूरोपीय तटीय केकड़ा (कार्सिनस मेनास) न्यू इंग्लैंड में वाणिज्यिक शेलफिश बेड को प्रभावित कर रहा है या कैरेबियन फाल्स मसल (माइटिलोप्सिस सैलेई) भारत के केरल में स्थानीय रूप से महत्वपूर्ण मत्स्य संसाधनों को नुकसान पहुंचा रहा है।
● स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाना: उदाहरण के लिए, एडीज़ लोबोपिक्टस और एडीज़ एजिप्टी जैसी घुसपैठिया एलियन मच्छर प्रजातियाँ मलेरिया, जीका और वेस्ट नाइल बुखार जैसी बीमारियाँ फैलाती हैं।
● आजीविका को प्रभावित करना: उदाहरण के लिए, पूर्वी अफ्रीका के लेक विक्टोरिया में, जलकुंभी (पोंटेडेरिया क्रैसिप्स) के कारण तिलापिया मछलियों की आबादी कम हो गई है, जिससे स्थानीय मत्स्य पालन प्रभावित हुआ है।
● प्राकृतिक दुनिया पर नकारात्मक प्रभाव: उत्तरी अमेरिकी बीवर (कैस्टर कैनाडेंसिस) और पैसिफ़िक ऑयस्टर (मैगलाना गिगास) पर्यावासों को बदलकर पारिस्थितिक तंत्र को बदलते हैं।
आईपीबीईएस ने 2030 तक घुसपैठिया एलियन प्रजातियों के प्रभावों को कम करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। जिसके तहत जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र सेवाओं पर घुसपैठिया विदेशी प्रजातियों के प्रभावों को कम करते हुए उन्हें ख़त्म करने की कोशिश की जायेगी और उनका न्यूनीकरण किया जाएगा। इसका उद्देश्य घुसपैठिया एलियन प्रजातियों के आने और उनके रच-बस जाने की दर को वर्ष 2030 तक कम से कम 50 प्रतिशत तक कम करना है।
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम के कार्यकारी निदेशक एंगर एंडरसन ने इस रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए कहा कि “मानवता सदियों से दुनिया भर में प्रजातियों को स्थानांतरित कर रही है। इस प्रथा से कुछ सकारात्मकता आई हैं, लेकिन जब आयातित प्रजातियाँ अनियंत्रित हो जाती हैं और स्थानीय पारिस्थितिक तंत्र असंतुलित हो जाते हैं जिससे स्वदेशी जैव विविधता प्रभावित होती है। नतीजतन, आक्रामक प्रजातियां जैव विविधता सर्वनाश के पांच घुड़सवारों में से एक बन गई हैं जो दुनिया पर तेजी से और तेजी से हमला कर रही हैं। जबकि अन्य चार घुड़सवार - भूमि और समुद्री उपयोग का शोषण, जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण - अपेक्षाकृत अच्छी तरह से समझे जाते हैं, आक्रामक प्रजातियों के आसपास ज्ञान का अंतर बना हुआ है। आईपीबीईएस इनवेसिव एलियन स्पीशीज रिपोर्ट इन अंतरालों को पाटने का एक स्वागत योग्य प्रयास है।