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भाजपा सांसद रमेश विधूड़ी को कड़ी सज़ा दी जाए- राष्ट्रीय सेक्युलर मंच

BJP MP Ramesh Bidhuri should be given strict punishment - Rashtriya Secular Manch. क्या यह आरएसएस-भाजपा के मूल सोच और प्रचार की संसद में अभिव्यक्ति ही नहीं है ?

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hastakshep
24 Sep 2023
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एक क्लिक में आज की बड़ी खबरें । आज की ताजा खबर (Latest News in Hindi) | 15 मार्च 2023 ब्रेकिंग न्यूज़

भाजपा सांसद रमेश विधूड़ी को कड़ी सज़ा दी जाए- राष्ट्रीय सेक्युलर मंच

BJP MP Ramesh Bidhuri should be given strict punishment - Rashtriya Secular Manch

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भोपाल 24 सितंबर 2023 : राष्ट्रीय सेक्युलर मंच और भोपाल के सामाजिक-सांस्कृतिक संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित एक बैठक में भाजपा सांसद रमेश विधूड़ी को उनके द्वारा किए गए असभ्य एवं शर्मनाक व्यवहार के लिए सख्त से सख्त सजा देने की मांग की गई।

जैसा कि ज्ञात है लोकसभा में दिनांक 22 सितम्बर 2023 को एक शर्मनाक वाकया हुआ। भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी ने बसपा सांसद दानिश अली को ‘मुल्ला आतंकवादी’ कहा। उन्होंने ऐसे शब्दों का सदन में प्रयोग किया जो सभ्य समाज में कतई स्वीकार नहीं किये जा सकते। भारत के संसदीय इतिहास में यह सर्वाधिक शर्मनाक घटना मानी जानी चाहिए। इतने असंसदीय संबोधन के बावजूद शर्मनाक यह भी है कि भाजपा सांसद बिधूड़ी को लोकसभाध्यक्ष ने निलंबित तक नहीं किया। मामूली बातों पर सांसदों को सदन से निलंबित कर दिये जाने वाले इस समय में क्या यह आश्चर्यजनक नहीं माना जाना चाहिए ? 

वक्ताओं ने कहा कि एक चुने हुए प्रतिनिधि को ‘मुल्ला आतंकवादी’ कहा जाना क्या सांसद और उसके निर्वाचन-क्षेत्र की जनता का अनादर नहीं ? मगर, लगता है कि लोकसभाध्यक्ष ऐसे स्पष्ट दुर्व्यवहार को कोई अपराध नहीं मानते। 

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वक्ताओं ने कहा कि सांसद विधूड़ी को भाजपा ने कारण बताओ नोटिस और जवाब देने के लिए पंद्रह दिनों का समय भी दिया है। जिससे स्पष्ट है कि दल के लिए एक सांसद का यह व्यवहार उतना शर्मनाक नहीं कि उसके विरुद्ध तत्काल अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए। इससे साफ है कि भाजपायी नेताओं द्वारा रमेश बिधूड़ी की भाषा की आलोचना एक दिखावा भर है। सांसद विधूड़ी ने सदन में जो कहा, वह मुसलमान नागरिकों के बारे में आरएसएस-भाजपा द्वारा देश भर में लगातार फैलाये द्वारा दुष्प्रचार का ही हिस्सा है। यह फासीवादियों की आजमाई हुई, पुरानी और भरोसेमंद चालों में से एक है। भाजपा की पूरी राजनीति ऐसे ही प्रचार और उसके ज़रिए जनता के मन में धर्म विशेष के प्रति घृणा की भावना पैदा करने पर टिकी है। इसी तरह राष्ट्रवादी उन्माद और सांप्रदायिक ध्रुवीकरण को हवा दी जाती है जिसका फ़ायदा आरएसएस-भाजपा को लगातार मिलता रहा है। 

क्या यह आरएसएस-भाजपा के मूल सोच और प्रचार की संसद में अभिव्यक्ति ही नहीं है ?

वक्ताओं ने कहा कि “हम तमाम सामाजिक, सांस्कृतिक संगठन एक सांसद के ऐसे व्यवहार को देश के लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्ष भावनाओं के विरुद्ध मानते हैं।“

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इस गंभीर विषय पर भोपाल के सामाजिक, सांस्कृतिक संगठनों की आयोजित बैठक में बादल सरोज, एल. एस. हरदेनिया, शैलेन्द्र शैली, आषा मिश्रा, अनिल धीमान, मनोज कुलकर्णी, पूर्णेन्दू शुक्ला, हाजी हारून, हैदर खान, बालेन्दु परसाई सहित कई अन्य व्यक्तियों ने अपने विचार व्यक्त किए।

 

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