नई दिल्ली, 21 जून 2023: वैश्विक मामलों के थिंकटैंक ओडीआई की एक ताजा रिसर्च में यह बात सामने आई है कि निम्न और मध्यम आमदनी वाले देशों में जीवाश्म ईंधन के खनन से संबंधित कर्ज के कुचक्र से वैश्विक स्तर पर एनेर्जी ट्रांज़िशन को खतरा उत्पन्न हो रहा है।
कर्ज का बोझ पड़ने पर यह देश तेल तथा गैस के उत्पादन को प्रोत्साहित कर रहे हैं जिससे अपने कर्ज की अदायगी के लिए आमदनी पैदा की जा सके। इससे जलवायु परिवर्तन से निपटने संबंधी लक्ष्यों को झटका लग रहा है। साथ ही यह तेल और गैस के नए उत्पादन की जरूरत के लिहाज से भी उपयुक्त नहीं है।
ओडीआई ने इस अध्ययन के लिए 11 वर्षों के दौरान निम्न तथा मध्यम आमदनी वाले 21 देशों के कर्ज के स्तर का परीक्षण किया। इस अध्ययन से जाहिर होता है कि जब तेल और गैस के दाम ऊंचे होते हैं तो यह देश उधारी का काम तेज कर देते हैं क्योंकि तब उनकी साख बढ़ जाती है। यह काम तेल और गैस के दाम कम होने की स्थिति में भी किया जाता है। इसका मकसद यह होता है कि गिरते हुए राजस्व का बोझ नागरिकों पर ना डाला जाए।
ODI एक स्वतंत्र, वैश्विक थिंक टैंक है, जो लोगों को अन्याय और असमानता पर कार्रवाई करने के लिए प्रेरित करने का काम करते हैं। अनुसंधान, आयोजन और प्रभावित करने के अन्य तरीकों के माध्यम से, वे ऐसे विचार उत्पन्न करते हैं जो लोगों और ग्रह के लिए मायने रखते हैं।
इस अध्ययन की अवधि में तेल और गैस उत्पादक ज्यादातर देशों में कर्ज का स्तर बढ़ा हुआ था। अध्ययन की अवधि के दौरान अंगोला, गाबोन, मोजांबिक, वेनेजुएला और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो जैसे देशों ने कर्ज को सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में 50 फीसद से अधिक अंकों तक देखा। रियायती दरों पर उपलब्ध कराए जाने वाले कर्ज के अनुपात में गिरावट आई है। वहीं, निजी ऋणदाताओं द्वारा दिए जाने वाले कर्ज में वृद्धि देखी गई है। मिसाल के तौर पर चाड और बोलीविया जैसे देशों में 75 गुना वृद्धि देखी गई है।
जलवायु परिवर्तन का एक मतलब तेल और गैस उत्पादन से जुड़े जोखिमों का बहुत अधिक हो जाना है। यह औसत तापमान के विनाशकारी प्रभाव और निर्यात बाजारों के गायब होने की आशंका दोनों से ही जुड़ा है। जब जीवाश्म ईंधन की वैश्विक मांग में गिरावट आती है और रिन्यूबल ऊर्जा की कीमतों में भी लगातार कमी होती है तो जीवाश्म ईंधन से जुड़ी संपत्तियों की कीमत में भी गिरावट का दौर आएगा।
यह अध्ययन कुछ यथार्थवादी रास्ते सुझाता है जिससे इस नुकसानदेह कुचक्र को तोड़ा जा सकता है। इन उपायों में धनी देशों द्वारा कर्ज में कमी या कर्ज माफी जैसी राहतें उपलब्ध कराने संबंधी कदम, तेल और गैस को चरणबद्ध ढंग से चलन से बाहर करने को प्रोत्साहित करने वाली अंतर्राष्ट्रीय वित्त पोषण व्यवस्थाओं को अपनाना या लक्षित रियायती वित्तपोषण की व्यवस्था शामिल है।
कर्ज मांगने और ऋण पाटने के लिए जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता वैश्विक स्तर पर तेल तथा गैस को चरणबद्ध ढंग से चलन से बाहर करने की राह में एक प्रमुख बाधा है। एमैनुएल मैक्रों और मिया मोटली द्वारा भविष्य में आयोजित होने वाली पेरिस समिति के एजेंडा में जीवाश्म ईंधन संबंधी ऋणग्रस्तता का मुद्दा शीर्ष पर रखा जाना चाहिए। इस समिट में जलवायु तथा सततता संबंधी अन्य लक्ष्यों पर विचार विमर्श किया जाना है। यह इस लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण है कि जलवायु परिवर्तन संबंधी जिम्मेदारी ऐतिहासिक रूप से उच्च तथा उच्च मध्यम आमदनी वाले देशों के कंधों पर है, जिनकी सरकारें और वित्तीय संस्थान निम्न तथा मध्यम आमदनी वाले ज्यादातर देशों के सार्वजनिक ऋण की व्यवस्था को संभालते हैं।
ओडीआई के विजिटिंग सीनियर फेलो और केप टाउन यूनिवर्सिटी के नेल्सन मंडेला स्कूल ऑफ गवर्नेंस के प्रोफेसर तथा अफ्रीकन क्लाइमेट फाउंडेशन बोर्ड के चेयरमैन कार्लोस लोपेज ने कहा, "यह अध्ययन इस बात को स्पष्ट रूप से रेखांकित करता है कि धनी देशों को ऐसे विकास संबंधी उपायों को आगे बढ़ाने की जरूरत है जिनसे अन्य देशों को खुद को तेल और गैस के जंजाल से बाहर निकालने में मदद मिले और वे खुद को मुक्त कर सकें। ऊर्जा रूपांतरण में निष्पक्षता का पहलू कोई विशेषता नहीं, बल्कि बुनियाद है। एक न्यायसंगत और समानतापूर्ण ऊर्जा रूपांतरण के लिए तेल और गैस पर निर्भर देशों की ऋण राहत या उसकी माफी तथा वित्तीय व्यवस्था से संबंधित वे प्रावधान बेहद महत्वपूर्ण हैं, जो तेल और गैस के लिहाज से समृद्ध देशों को इनका उत्पादन बढ़ाने के बजाय उन्हें धीरे-धीरे चलन से बाहर करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।"
ओडीआई में क्लाइमेट एंड सस्टेनेबिलिटी के कार्यवाहक निदेशक इपेक गेंग्सू (Ipek Gencsu, Acting Director of Climate and Sustainability at ODI) ने कहा, "बाहरी कर्ज को पाटने के लिए तेल और गैस निर्यात से जुड़ी आमदनी पर निर्भरता से देशों के ऋणग्रस्तता और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता के कुचक्र में फंस जाने का खतरा है। यह समयबद्धता और न्यायसंगत ऊर्जा रूपांतरण सुनिश्चित करने के लिहाज से एक चुनौती भी पेश करता है। हमें एक न्यायसंगत और स्वच्छ ऊर्जा संबंधी रूपांतरण को तेज करने के लिए नए और नवोन्मेषी समाधानों का इस्तेमाल करने की जरूरत है और यह अध्ययन हमें दिखाता है कि ऐसे विकल्प मौजूद हैं, जिन्हें नीति निर्धारकों को जल्द से जल्द इस्तेमाल करना चाहिए।"
जलवायु परिवर्तन को रोकना ही होगा
ओडीआई में सीनियर रिसर्च ऑफिसर शैंटेली स्टेडमैन ने कहा,
"ऐसे में जब जलवायु परिवर्तन को रोकने की कार्रवाई की तात्कालिकता लगातार बढ़ती जा रही है, हमारा अध्ययन यह दिखाता है कि इस रिसर्च के दायरे में लिए गए देशों की तेल और गैस से जुड़ी आमदनी पर ज्यादा निर्भरता से जीवाश्म ईंधन उत्पादन को धीरे-धीरे बंद करना वित्तीय लिहाज से मुश्किल है। अगर अंतरराष्ट्रीय समुदाय जलवायु परिवर्तन और विकास संबंधी चुनौतियों से साथ-साथ निपटने को लेकर गंभीर है तो यह जरूरी है कि इस महीने पेरिस में होने वाली शिखर बैठक में इसे एक प्रमुख मुद्दे के तौर पर एजेंडा में शामिल किया जाए।"
Fossil fuel-linked borrowing weighs heavily on net zero hopes