Advertisment

मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता जरूरी है

Hygiene is important during menstruation. मासिक धर्म की शुरुआत का अर्थ क्या है? मासिक धर्म पर आज भी हमारे गांव में भेदभाव किया जाता है. इससे जुड़ी स्वच्छता के बारे में भी स्वयं महिलाओं को ज़्यादा कुछ पता नहीं है.

मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता जरूरी है

मासिक धर्म Menstruation

मासिक धर्म की शुरुआत का अर्थ क्या है?

Advertisment

लमचूला, उत्तराखंड, 05 मई 2023 (प्रेमा आर्या): मासिक धर्म की शुरुआत का अर्थ (Meaning of onset of menstruation) है किशोरियों के जीवन का एक नया चरण. हालांकि यह पूरी तरह से प्राकृतिक प्रक्रिया है. लेकिन इसके बावजूद देश के कुछ ऐसे इलाके हैं जहां जागरूकता के अभाव में इसे बुरा और अपवित्र समझा जाता है. इस दौरान किशोरियों को कलंक, उत्पीड़न और सामाजिक बहिष्कार जैसी कुप्रथाओं का सामना करना पड़ता है. उत्तराखंड के बागेश्वर जिला स्थित गरुड़ ब्लॉक का लमचूला गांव भी इसका एक उदाहरण है, जहां किशोरियां और महिलाएं को मासिक धर्म के दौरान कई प्रकार के भेदभाव से गुजरना पड़ता है. 

आज भी लोग मासिक धर्म को लेकर जागरूक नहीं

इस मुद्दे पर गांव की किशोरियां गीता और रजनी का कहना है कि हमारे गांव घरों में मासिक धर्म को लेकर आज भी लोग जागरूक नहीं है. मासिक धर्म को लेकर बहुत शर्मिंदा महसूस करते हैं. इस पर बात तक नहीं करते हैं. जिस जगह बात ही करने में शर्म महसूस करते है वहां साफ सफाई का कौन ख्याल रखेगा?  

Advertisment

वहीं दूसरी ओर कुमारी कविता का कहना है कि मासिक धर्म पर आज भी हमारे गांव में भेदभाव किया जाता है. इससे जुड़ी स्वच्छता के बारे में भी स्वयं महिलाओं को ज़्यादा कुछ पता नहीं है. यही कारण है कि नई पीढ़ी की किशोरियां भी इस मुद्दे पर अनभिज्ञ रहती हैं. हालांकि सरकार के साथ साथ कुछ गैर सरकारी संस्थाओं के प्रयासों से परिस्थिति बदल रही है. अब किशोरियां मासिक धर्म और इस दौरान स्वच्छता से जुड़े मुद्दों पर पहले से अधिक जागरूक होने लगी हैं. इसमें दिल्ली स्थित चरखा डेवलपमेंट कम्युनिकेशन नेटवर्क का बहुत बड़ा योगदान है. जबसे किशोरियां चरखा संस्था के दिशा प्रोजेक्ट के साथ जुड़ी हैं तब से काफी चीजें समझी हैं. उन्होंने यह जाना कि यह मासिक धर्म होना स्वाभाविक प्रक्रिया है. इसमें कोई भेदभाव नहीं होनी चाहिए. किशोरियां न केवल स्वयं जागरूक हुई बल्कि उन्होंने परिवार को भी जागरूक किया. अब कई घरों में मासिक धर्म के दौरान किशोरियों के साथ भेदभाव नहीं किया जाता है. 

नेहा बताती है कि मासिक धर्म के दौरान मेरे परिवार वाले 5 दिन हमें अलग गाय की गौशाला में रखते थे. लेकिन जब से मैं चरखा संस्था के प्रोजेक्ट दिशा से जुड़ी और चीजों को समझा और फिर अपने परिवार वालों को समझाया है, तब से मेरे परिवार वालों की सोच में काफी बदलाव आया है. अब हमें माहवारी के दौरान गौशाला में रहने की ज़रूरत नहीं पड़ती है.

मासिक धर्म के समय स्वच्छता नहीं बरतने से बीमारी का शिकार हुई गांव की एक महिला भागूली देवी का कहना है कि हमारे समय में मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. हमें पौष्टिक खाना से भी वंचित रखा जाता था. पांच दिन तक एक चटाई में जमीन पर सोना पड़ता था. यहां तक कि नहाने भी नहीं देते थे. सर पर तेल भी नहीं लगाने देते थे. साबुन का इस्तेमाल नहीं करने देते थे. जिसकी वजह से बहुत ज्यादा शारीरिक और मानसिक तनाव झेलना पड़ता था. इसी कारण मुझे बहुत दिक्कत हुई. बच्चेदानी में इन्फेक्शन भी हो गया है शरीर अन्य रोगों से ग्रसित हो गया है. आज भी कुछ जगह यह प्रथा जारी है जिसकी वजह से किशोरियों को बहुत दिक्कत होती है. गांव की एक अन्य बुजुर्ग गंगोत्री देवी कहती हैं कि हमारे समय में मासिक धर्म में बहुत अधिक छुआछूत होती थी. यहां तक कि हमारे पास इस्तेमाल के लिए साफ़ कपड़ा भी नहीं होता था. जिसकी वजह से हमें बहुत सी बीमारियां होती थी. लेकिन आज समय बदल चुका है. धीरे-धीरे समाज में बदलाव हो रहे हैं, जो बहुत अच्छा है.

Advertisment

गांव की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता शोभा देवी कहती हैं कि जागरूकता के अभाव और रूढ़िवादी विचारधारा के कारण गांव में मासिक धर्म को बहुत ही ‌बुरा माना जाता था. गांव में टीवी या अन्य इलेक्ट्रॉनिक साधन बहुत कम हैं, जिससे लोग जागरूकता से जुड़ी कई बातें जान नहीं पाते हैं. अशिक्षा और जागरूकता की कमी इसमें सबसे बड़ी बाधा है. जिससे लोगों की मानसिकता ऐसी बनी हुई है. लेकिन आज हमारे स्कूलों और आंगनबाड़ियों में आशा बहनजी द्वारा समाज और गांव में परिवर्तन लाने का प्रयास किया जा रहा है. आंगनबाड़ी के माध्यम से किशोरियों को पैड्स बांटे जाते हैं ताकि उन्हें सभी प्रकार के इंफेक्शन से बचाया जा सके. 

वहीं आशा वर्कर अंबिका देवी कहती हैं कि पहले की अपेक्षा माहवारी को लेकर समाज की सोच में धीरे-धीरे बदलाव आ रहा है. 

सामाजिक कार्यकर्ता नीलम ग्रैंडी कहती हैं कि मासिक धर्म में स्वच्छता का बहुत बड़ा रोल है. अगर इसको अनदेखा करेंगे तो यह कई बीमारियों को जन्म दे सकता है जो कि किसी भी महिला या किशोरी के जीवन को खतरे में डाल सकता है. यही कारण है कि किशोरियों के साथ इस मुद्दे पर खुलकर बात करनी चाहिए. उन्हें इस दौरान स्वच्छता के महत्व को भी समझाने की ज़रूरत है. जिसके लिए हमें एक माहौल बनाना होगा और पुरानी परंपरागत सोच को बदलना होगा. जिससे कि किशोरियां खुलकर और आत्मविश्वास के साथ जीवन गुज़ार सकेंगी.

Advertisment

ग्राम प्रधान पदम राम कहते हैं कि हमारे समाज और गांव घरों में खासतौर से अभी भी यह रूढ़िवादी धारणाएं बनी हुई है कि मासिक धर्म के दौरान महिलाओं और किशोरियों को अलग रखना चाहिए. लेकिन धीरे-धीरे लोगों की सोच में परिवर्तन हो रहा है. हमारे गांव में अब किशोरियों को अलग रखना बंद कर दिया गया है. लेकिन थोड़ी बहुत अब भी यह कुप्रथा जारी है. धीरे-धीरे यह भी बदल जाएगा. सरकार द्वारा चलाई गई योजना सही साबित हो रही है क्योंकि आशा बहनजी मासिक धर्म और उसकी साफ-सफाई के बारे में लोगों को जागरूक करती हैं. आंगनबाड़ी का पूरा सहयोग रहता है. आज टीवी, फोन के माध्यम से भी गांव की महिलाओं को काफी चीजें सीखने को मिलती हैं. वहीं चरखा जैसी संस्था के प्रयास से भी धीरे-धीरे समाज में परिवर्तन होगा. 

(चरखा फीचर)

Hygiene is important during menstruation

Advertisment
Advertisment
Subscribe