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इलेक्ट्रिक व्हीकल-ईवी बाजार में भारत की धीमी घरेलू प्रगति

एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटो बाजार होने की वजह से भारत में इलेक्ट्रिक वाहन कंपनियों के लिए संभावनाएं बहुत हैं, लेकिन धीमी घरेलू प्रगति के कारण कोई भी भारतीय कंपनी निकट भविष्य में वैश्विक स्तर पर बड़ी हिस्सेदारी लेती नहीं दिख रही है।

इलेक्ट्रिक व्हीकल-ईवी बाजार में भारत की धीमी घरेलू प्रगति

भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनियों के लिए संभावनाएं कैसी हैं?

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भारत अगर एशिया के इलेक्ट्रिक व्हीकल-ईवी बाजार में अपनी साख बनाना चाहता है तो उसे इस काम के लिए और ज्यादा एवं तेजी से जद्दोजहद करनी होगी। एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऑटो बाजार होने की वजह से भारत में इलेक्ट्रिक वाहन कंपनियों के लिए संभावनाएं बहुत हैं, लेकिन धीमी घरेलू प्रगति के कारण कोई भी भारतीय कंपनी निकट भविष्य में वैश्विक स्तर पर बड़ी हिस्सेदारी लेती नहीं दिख रही है।

एस एंड पी ग्लोबल रेटिंग (S&P Global Ratings) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में भारत में ईवी की बिक्री दर (हल्के वाहनों की कुल बिक्री के मुकाबले) केवल 1.1 प्रतिशत रही, जबकि एशिया के लिए यह औसत दर 17.3 प्रतिशत थी। 

चीन 27.1 प्रतिशत की दर के साथ पहले पायदान पर है, और धीमी शुरुआत के बाद दक्षिण कोरिया में भी यह दर 10.3 प्रतिशत हो चुकी है।

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रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘पिछले 12 महीनों में देश में ईवी की बिक्री कुल हल्के वाहनों की बिक्री का 2 प्रतिशत से भी कम रही’। साथ ही भारत में 90 प्रतिशत ईवी दोपहिया और तिपहिया वाहन हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ‘पर्याप्त चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास भी ईवी अपनाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा’।

भारत सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक देश में 30 प्रतिशत वाहन इलेक्ट्रिक होने चाहिए।

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वहीं दूसरी तरफ़ भारत सरकार ने इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों पर दी जाने वाली सब्सिडी बिक्री मूल्य का 40% से घटाकर 15% कर दिया है। नई दर 1 जून के बाद पंजीकृत किए गए वाहनों पर लागू होगी। सरकार की मंशा अधिक संख्या में वाहनों को सब्सिडी प्रोग्राम के अंतर्गत लाने की है। लेकिन इससे इलेक्ट्रिक स्कूटर्स की प्रति यूनिट कीमतें काफी बढ़ोतरी होगी।

केंद्र सरकार ₹10,000 करोड़ की फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ इलेक्ट्रिक व्हीकल्स इन इंडिया (फेम इंडिया) प्रोत्साहन योजना के तहत इलेक्ट्रिक वाहन निर्माताओं को वित्तीय सहायता प्रदान करती है। 

इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि ‘प्रति यूनिट सब्सिडी मौजूदा स्तर पर जारी रहती तो इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों के लिए आवंटित राशि अगले दो महीनों में समाप्त हो जाती’। वहीं मौजूदा प्रतिशत घटा कर करीब 10 लाख अतिरिक्त वाहनों को फेम इंडिया के तहत सब्सिडी दी जा सकती है।

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अब देखना यह है कि पहले से सुस्त रफ्तार से हो रही ईवी बिक्री पर इस सब्सिडी घटाने का क्या असर पड़ता है। ईवी उद्योग से जुड़े लोगों द्वारा सरकार का यह कदम बाजार के लिए हानिकारक माना जा रहा है जो इलेक्ट्रिक मोबिलिटी बढ़ाने में बाधा उत्पन्न करेगा।

डॉ. सीमा जावेद

लेखिका पर्यावरणविद एवं जलवायु परिवर्तन व स्वच्छ ऊर्जा की कम्युनिकेशन एक्सपर्ट हैं।

India's Slow Domestic Progress in the Electric Vehicle-EV Market

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