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भवन की नींव को भूकंपरोधी बनाने में मेटा-मैटेरियल्स सक्षम हैं

यह अध्ययन भूकंपरोधी भवनों के विकास की दिशा में महत्वपूर्ण बताया जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि मेटामेट्री आधार भवन संरचनाओं को होने वाले नुकसान को कम करने में मदद कर सकता है, और भूकंप-प्रवण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सुरक्षा प्रदान कर सकता है। 

भूकंप से निपटने की चुनौती जस की तस

भवन की नींव को भूकंपरोधी बनाने में मेटा-मैटेरियल्स सक्षम हैं 

भवन की नींव को भूकंपरोधी बनाने में मेटा-मैटेरियल्स की क्या भूमिका है?

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दिल्ली, 21 अप्रैल 2023: भूकंप के ख़तरे से सुरक्षा को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से कार्य करते हुए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी (IIT Mandi) के शोधकर्ताओं के एक ताजा अध्ययन में भवन संरचनाओं की नींव को भूकंपरोधी बनाने के लिए द्वि-आयामी (2डी) मेटा-मैटेरियल आधारित सामग्री को प्रभावी पाया है। 

शोधकर्ताओं का कहना है कि बड़े शहरों और ऊंची इमारतों में भूकंप के ख़तरे से सुरक्षा की दृष्टि से यह अध्ययन बेहद महत्वपूर्ण है। 

मेटा-मैटेरियल्स किसे कहते हैं?

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 मेटा-मैटेरियल्स विशिष्ट कम्पोजिट सामग्रियों को कहते हैं, जिन्हें कृत्रिम रूप से डिजाइन और निर्मित किया जाता है। उनके अनूठे गुण उनकी रासायनिक संरचना के बजाय उनकी आंतरिक सूक्ष्म संरचनाओं से प्राप्त होते हैं। विशिष्ट ज्यामिति में परमाणु व्यवस्था में परिवर्तन करके मेटा-मैटेरियल्स में ऐसे गुणों और क्षमताओं का समावेश किया जाता है, जिसे प्राकृतिक सामग्री में पाया जाना संभव नहीं हैं।

विभिन्न तरंग दैर्ध्य के साथ तरंगों के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए मेटा-मैटेरियल्स निम्न अथवा उच्च आवृत्ति के बैंड अंतराल को प्रेरित करते हैं। इन मैटेरियल्स का उपयोग मुख्य रूप से माइक्रोवेव इंजीनियरिंग, ध्वनि अथवा विद्युत चुम्बकीय जैसी तरंगों को निर्देशित करने वाली संरचना (वेवगाइड्स), प्रसार प्रतिपूर्ति, स्मार्ट एंटेना और लेंस में होता है। 

आईआईटी मंडी के प्रमुख शोधकर्ता डॉ अर्पण गुप्ता कहते हैं - "नींव को विशेष रूप से डिजाइन करके इमारत को ज्यादा नुकसान पहुँचाए बिना भूकंप की लहरों को वापस मोड़ा जा सकता है। हर इमारत के लिए अच्छी नींव की आवश्यकता होती है। लेकिन, यहाँ नींव के डिजाइन में आवधिकता पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जिसे मेटामेट्री फाउंडेशन के रूप में जाना जाता है। भौतिक गुणों की ऐसी आवधिक भिन्नता तरंगों के प्रतिबिंब को जन्म दे सकती है, जिससे उस नींव पर खड़े भवन की रक्षा हो सकती है।"

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इस अध्ययन में, द्वि-आयामी (2डी) मेटा-मैटेरियल्स का उपयोग किया गया है। धातु और प्लास्टिक जैसी कम्पोजिट सामग्री से बने तत्वों को जोड़कर एक मेटामेट्री बनायी जाती है, जो आमतौर पर दोहराये जाने वाले पैटर्न में व्यवस्थित होती है। यह भूकंप के कंपन या भूकंपीय तरंगों जैसी प्रभावित करने वाली घटनाओं की तरंग दैर्ध्य से छोटी होती हैं। 

शोधकर्ता बताते हैं कि भूकंपीय तरंगें लोचदार होती हैं, जो पृथ्वी की परतों के माध्यम से ऊर्जा का परिवहन करती हैं। अन्य प्रकार की भौतिक तरंगों के विपरीत, भूकंपीय तरंगों में लंबी तरंग दैर्ध्य और कम आवृत्ति होती है। भूकंपीय तरंगों के लिए मेटा-मैटेरियल्स का परीक्षण एक अपेक्षाकृत नया और अत्यधिक जटिल क्षेत्र है।

रबर मैट्रिक्स में स्टील और लेड से बने दोहरे गोलाकार स्कैटर को शामिल करके बनायी गई नींव का शोधकर्ताओं ने अध्ययन किया है। 

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भवन की नींव पर भूकंप हलचलों के प्रभाव का परीक्षण एक कंप्यूटर मॉडल पर किया गया। कंक्रीट नींव के मामले में बड़े कंपन दर्ज किए गए, जबकि मेटा-मैटेरियल नींव के मामले में कम कंपन देखे गए।

यह अध्ययन भूकंपरोधी भवनों के विकास की दिशा में महत्वपूर्ण बताया जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि मेटामेट्री आधार भवन संरचनाओं को होने वाले नुकसान को कम करने में मदद कर सकता है, और भूकंप-प्रवण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सुरक्षा प्रदान कर सकता है। 

डॉ अर्पण गुप्ता कहते हैं - "यह अध्ययन भवन संरचनाओं को भूकंपीय सुरक्षा प्रदान करने के लिए मेटा-मैटेरियल्स की क्षमता दिखाता है। आशा है कि हमारा शोध अन्य शोधकर्ताओं को संरचनात्मक इंजीनियरिंग और भूकंप प्रतिरोधी इमारतों के अन्य क्षेत्रों में मेटा-मैटेरियल्स के उपयोग की संभावनाओं का पता लगाने के लिए प्रेरित करेगा।"

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यह अध्ययन शोध पत्रिका साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित किया गया है। 

डॉ अर्पण गुप्ता के अलावा, इस अध्ययन में उनके शोध छात्र ऋषभ शर्मा, अमन ठाकुर और डॉ प्रीती गुलिया शामिल हैं। 

(इंडिया साइंस वायर)

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