Advertisment

दांडी यात्रा और वायकोम सत्याग्रह की याद

गांधी जयंती के अवसर पर इप्टा, प्रलेस और अन्य प्रगतिशील जनसंगठनों द्वारा इंदौर में रुस्तम का बाग़ीचा स्थित संत रविदास धर्मशाला में स्थानीय रहवासियों के बीच बीती दो अक्तूबर को एक कार्यक्रम आयोजित किया I

author-image
hastakshep
06 Oct 2023
New Update
एक क्लिक में आज की बड़ी खबरें । आज की ताजा खबर (Latest News in Hindi) | 15 मार्च 2023 ब्रेकिंग न्यूज़

दांडी यात्रा और वायकोम सत्याग्रह की याद 

इंदौर 06 अक्टूबर 2023. गांधी जयंती के अवसर पर इप्टा, प्रलेस और अन्य प्रगतिशील जनसंगठनों द्वारा इंदौर में रुस्तम का बाग़ीचा स्थित संत रविदास धर्मशाला में स्थानीय रहवासियों के बीच बीती दो अक्तूबर को एक कार्यक्रम आयोजित किया I यह कार्यक्रम देशभर में चल रही "ढाई आखर प्रेम" की राष्ट्रीय सांस्कृतिक यात्रा के अंतर्गत आयोजित किया गया था।

Advertisment

इस अवसर पर महात्मा गांधी के दो महत्वपूर्ण आंदोलनों नमक सत्याग्रह और वायकोम सत्याग्रह पर बनी फ़िल्मों के अंशों का प्रदर्शन किया गया। 

नमक सत्याग्रह या दांडी सत्याग्रह पर चर्चा करते हुए डॉ जया मेहता ने बताया कि ब्रिटिश नमक एकाधिकार कानून के खिलाफ अहिंसक विरोध करते हुए यह यात्रा गांधीजी के नेतृत्व में की गई थी जिसमें गांधीजी ने अपने 78 विश्वस्त स्वयंसेवकों के साथ इस मार्च की शुरुआत की। यह यात्रा साबरमती आश्रम से दांडी तक 387 किलोमीटर (240 मील) तक की गई थी। यात्रा के दौरान हज़ारों देशवासी उसमें शामिल हुए। जब गांधीजी ने 6 अप्रैल 1930 को सुबह 8:30 बजे ब्रिटिश राज के नमक कानून को तोड़ा तो इससे लाखों भारतीयों द्वारा नमक कानून के खिलाफ बड़े पैमाने पर सविनय अवज्ञा की कार्रवाई शुरू हो गई। 

वायकोम सत्याग्रह पर चर्चा करते हुए विनीत तिवारी ने कहा कि 1924–25 में अस्पृश्यता की कुप्रथा के विरुद्ध त्रावणकोर (केरल) में चलाया गया था। इसका उद्देश्य निम्न जातीय कहे जाने वाले एढ़वाओं एवं अन्य अछूत समुदायों द्वारा अहिंसावादी तरीके से त्रावणकोर के एक मंदिर के निकट की सड़कों के उपयोग के बारे में अपने अधिकारों को मनवाना था। इस आन्दोलन का नेतृत्व एढ़वाओं के कांग्रेसी नेता टी. के. माधवन, के. केलप्पन तथा के. पी. केशव मेनन ने किया। 30 मार्च, 1924 को के.पी. केशव के नेतृत्व में सत्याग्रहियों ने मंदिर के पुजारियों तथा त्रावणकोर की सरकार द्वारा मंदिर में प्रवेश को रोकने के लिए लगाई गई बाड़ को पार कर मंदिर की ओर कूच किया। सभी सत्याग्रहियों को गिरफ़्तार किया गया। ये आंदोलन स्वतंत्रता संग्राम के महत्त्वपूर्ण पड़ाव थे। 

Advertisment

वायकोम सत्याग्रह में गांधीजी और पेरियार की भूमिका

विनीत ने इस आंदोलन में गांधीजी और पेरियार की भूमिकाओं की चर्चा भी की और कहा कि आज सौ साल बाद वायकॉम आंदोलन को याद करना इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि अभी तक भारतीय समाज से जातिगत भेदभाव को समाप्त नहीं किया जा सका है बल्कि अपने राजनीतिक और वर्चस्ववादी स्वार्थों के लिए समाज में जाति की दरारों को मिटाने के बजाय और गहरा किया जा रहा है। 

कार्यक्रम में शर्मिष्ठा बैनर्जी ने गांधीजी का प्रिय भजन "वैष्णव जन तो तेने कहिए रे, पीर पराई जाने रे" और गीतकार शैलेन्द्र के लिखे जनगीत प्रस्तुत किए गए। कार्यक्रम में क्षेत्रीय पार्षद श्रीमती सैफू वर्मा के अतिरिक्त बड़ी संख्या में रहवासी और इप्टा इंदौर के प्रमोद बागड़ी, विजय दलाल, श्री अशोक दुबे, श्री अरविंद पोरवाल, श्री तौफीक, रविशंकर ,अथर्व शिंत्रे, सुश्री महिमा आदि भी मौजूद थे ।

Advertisment
सदस्यता लें