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शराब के कारण महिला हिंसा का बढ़ता ग्राफ
उदयपुर, राजस्थान (रुपी), 04 मई 2023: देश में महिलाओं के खिलाफ होने वाली शारीरिक एवं यौन हिंसा को लेकर हाल में नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (The recent National Family Health Survey regarding physical and sexual violence against women in the country NFHS-5) में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं.
महिलाओं के खिलाफ शारीरिक हिंसा में अधिकतर पति शामिल
सर्वे के मुताबिक, 18 से 49 साल की आयु वाली लगभग 30 प्रतिशत महिलाएं ऐसी हैं, जिन्हें 15 साल की उम्र के बाद शारीरिक हिंसा का सामना करना पड़ा है. 6 फीसदी महिलाओं को जिंदगी में कभी न कभी यौन हिंसा झेलनी पड़ी है, लेकिन इनमें महज 14 फीसदी महिलाएं ही ऐसी रहीं हैं, जिन्होंने आगे बढ़ कर अपने साथ हुई शारीरिक या यौन हिंसा के बारे में बात की है.
सर्वे यह भी बताता है कि अक्सर शराब पीने वाले 70 फीसदी लोग ऐसे होते हैं, जो अपनी पत्नियों के साथ शारीरिक या यौन हिंसा करते हैं. महिलाओं के खिलाफ शारीरिक हिंसा के 80% से अधिक मामलों में पति ही जिम्मेदार देखा गया हैं.
घरेलू हिंसा के पीछे शराब बड़ा कारण
महिलाओं पर घरेलू हिंसा के अधिकांश मामलों में शराब एक बड़ा कारण सामने आया है. महिलाओं की यह शिकायत रहती है कि पति ने शराब पीकर उनपर हाथ उठाया है. ग्रामीण इलाकों में इस तरह के मामले अधिक संख्या में देखने को मिलते हैं.
राजस्थान के उदयपुर जिले से 70 किलोमीटर की दूरी पर, स्थित सलुम्बर ब्लॉक से 10 किलोमीटर दूर मालपुर गांव है. जहां पुरुषों में शराब की बढ़ती लत महिलाओं के लिए बहुत बड़ी समस्या बन गई है. यहां के अधिकतर पुरुष शराब के सेवन का आदि हो चुके हैं. इस गांव के 60 प्रतिशत लोग न केवल शराब पीते हैं बल्कि महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा भी करते हैं. मारपीट और अपशब्द से परेशान गांव की एक महिला पूजा (बदला हुआ नाम) का कहना है कि हमारे गांव में शराब पीने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है.
शराब ने गांव के सामाजिक वातावरण को इस क़दर दूषित कर दिया है कि अब कम उम्र के बच्चे भी इसका सेवन करने लगे हैं. जिस वजह से वह न केवल घर में लड़ाई झगड़े करते हैं, बल्कि शिक्षा से भी दूर हो चुके हैं. शराब पीने के लिए कई नाबालिग बच्चे गलत संगत में पड़ कर अपना बहुमूल्य जीवन बर्बाद कर रहे हैं. शराब की बढ़ती लत से गांव की बदनामी होने लगी है और कई लड़कों के शादी के रिश्ते तक टूट गए हैं.
एक अन्य महिला अनीता (बदला हुआ नाम) का कहना है कि गांव के अधिकतर पुरुष कोई काम नहीं करते हैं, बल्कि शराब में डूबे रहते हैं और फिर पीकर हम महिलाओं के साथ मारपीट करते हैं. घर चलाने के लिए जब हम काम करने बाहर जाते है तो भी हमारे साथ गाली गलोच किया जाता है. जब हम काम करके घर आती हैं तो हमें चैन से खाना भी खाने को नहीं मिलता है, उसी समय मेरे पति शराब पीकर घर आते है और झगड़ा करना शुरू कर देते हैं. परिवार की खातिर हम यह हिंसा चुपचाप सहने को मजबूर हो जाते हैं. गांव की एक अन्य महिला निर्मल (बदला हुआ नाम) का कहना है कि मेरे पति बाहर जा कर काम करते हैं और जब घर आते हैं तो वह शराब पीकर आते हैं. फिर मेरे साथ मारपीट करते हैं. इतना ही नहीं, इस मारपीट के दौरान वह मेरे चरित्र पर भी प्रश्न उठाते हैं. यह लगभग रोज़ की बात हो चुकी है. इससे परेशान होकर मैंने एक बार घर छोड़ने का फैसला भी कर लिया था. फिर अपने छोटे छोटे बच्चों के भविष्य की खातिर घर नहीं छोड़ पाई और आज तक हिंसा का शिकार हो रही हूं.
शराब की बढ़ती लत के कारण गांव का सामाजिक ताना बाना पूरी तरह से बिगड़ता जा रहा है.
पांच साल पहले दो पुरुषों ने नशे में आत्महत्या भी कर ली थी. हालांकि गांव के युवाओं को शराब की बुराई और इससे होने वाली बीमारी के बारे में पूरी जानकारी है. लेकिन इसके बाद भी वह शराब पीना नहीं छोड़ते हैं. इस लत के कारण गांव के युवा नौकरी या कोई भी व्यवसाय तक छोड़ कर इसी में डूबे रहते हैं. युवा झुंड बना कर बेकार का इधर उधर घूमते रहते हैं. घर की आर्थिक स्थिति खराब होने के बाद भी वह कोई काम नहीं करते हैं क्योंकि उन्हें नशे ने दबोच कर रखा है. गांव की एक अन्य महिला राखी (बदला हुआ नाम) का कहना है कि इस गांव में लगभग सभी पुरुष शराब का सेवन करते हैं और अपनी पत्नी के साथ जबरदस्ती संबंध बनाते हैं. जब वह गर्भवती हो जाती हैं तो उन्हें पूछते तक नहीं हैं कि बच्चे को रखना है या नहीं? उनकी परवरिश कैसे करनी है? वह ऐसी स्थिति में होती है कि इस परिस्थिति में कोई भी महिला अपने लिए कुछ भी नहीं पाती है और उनके 7 से 8 बच्चे हो जाते हैं. जबकि घर में आय का बहुत अधिक साधन नहीं होता है. ऐसे में बच्चों को न तो अच्छी शिक्षा मिल पाती है और न ही उन्हें उचित पोषण आहार उपलब्ध हो पाता है. इससे महिलाओं को अपना परिवार पालने में भी दिक्कत आती है.
बहरहाल, शराब न केवल सेहत के लिए हानिकारक है बल्कि यह सभी बुराइयों की जड़ भी है. इससे कई घर परिवार बर्बाद हो चुके हैं.
देश में इस समय केवल गुजरात और बिहार ही ऐसे प्रदेश हैं जिन्होंने इस बुराई पर प्रतिबंध लगा रखा है. हालांकि बिहार में इसमें कुछ असफलता भी नज़र आई है. हाल के दिनों में बिहार में चोरी छुपे ज़हरीली शराब के सेवन से कई लोगों की मौत भी हुई है. लेकिन इसके बावजूद बड़े पैमाने पर इस बुराई को रोकने में मदद मिली है. ज़रूरत है अन्य राज्यों को भी इसी प्रकार की नीति अथवा योजना बनाने की जिससे लोगों के अंदर इस बुराई को बढ़ने से रोका जा सके ताकि समाज की बिगड़ती व्यवस्था को संभाला जा सके.
(चरखा फीचर)
Rising graph of violence against women due to alcohol