नफ़रत भरी भाषा व आस्था आधारित उत्पीड़न पर रोक लगाने की संयुक्त राष्ट्र प्रमुख की पुकार
Stamp out hate speech, persecution based on faith: Guterres. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा है कि ऑनलाइन नफ़रत अक्सर अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ हिंसक शारीरिक हमले भड़कने का कारण बनती है.
नफ़रत भरी भाषा व आस्था आधारित उत्पीड़न पर रोक लगाने की संयुक्त राष्ट्र प्रमुख की पुकार
Stamp out hate speech, persecution based on faith: Guterres
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नई दिल्ली, 22 अगस्त 20223. संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा है कि ऑनलाइन नफ़रत अक्सर अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ हिंसक शारीरिक हमले भड़कने का कारण बनती है. उन्होंने सभी सरकारों, समुदायों व धार्मिक नेताओं से अपील की कि वो “नफ़रत व हिंसा भड़काने वाले कृत्यों के विरूद्ध” अपनी आवाज़ उठाएँ.
धर्म या आस्था के नाम पर हिंसक कृत्यों के शिकार लोगोंकी याद में मनाए जाने वाले अन्तरराष्ट्रीय दिवस (International Day Commemorating the Victims of Acts of Violence Based on Religion or Belief) के अवसर पर, यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने अपने सन्देश में कहा, “धर्म और आस्था की स्वतन्त्रता अहरणीय मानव अधिकार है.”
उन्होंने कहा, “फिर भी विश्वभर में लोग और समुदाय, विशेषकर अल्पसंख्यक, अपने पूजा स्थलों, अपनी आजीविकाओं और अपने जीवन के लिए भी, ख़तरों, असहिष्णुता एवं भेदभाव का सामना करते हैं.”
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महासचिव ने कहा, “यह हिंसा अक्सर ऑनलाइन और ऑफ़लाइन मंचों पर प्रचारित घृणा से भड़कती है.”
धर्म या आस्था के नाम पर हिंसक कृत्यों के शिकार लोगों की स्मृति के अन्तरराष्ट्रीय दिवस पर हम सभी पीड़ितों को याद करते हैं. साथ ही, “असहिष्णुता के इन जघन्य कृत्यों को भड़काने वाली नफ़रत की बोली को मिटाने का अपना संकल्प दोहराते हैं.”
समाधान के लिए पहल
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संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने मानवाधिकारों के लिए कार्रवाई की पुकार और नफ़रत भरी भाषा के ख़िलाफ़ संयुक्त राष्ट्र की रणनीति व कार्रवाई योजना जैसी पहलों का ज़िक्र किया.
उन्होंने कहा, “मैं सभी सरकारों से आग्रह करता हूँ कि धर्म एवं आस्था के नाम होने वाले हिंसक कृत्यों को रोकने और उनसे निपटने के सिए उचित क़दम उठाएँ.”
“मैं सभी से, विशेषकर राजनीतिक, सामुदायिक एवं धार्मिक नेताओं से आग्रह करता हूँ नफ़रत और हिंसा भड़काये जाने का विरोध करें.”
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महासचिव ने सरकारों, टैक्नॉलॉजी कम्पनियों और अन्य सम्बद्ध पक्षों से अपील की कि वो ऑनलाइन नफ़रत की भाषा पर अंकुश लगाने के लिए, अगले वर्ष होने वाले भविष्यवादी शिखर सम्मेलन से पहले, डिजिटल मंचों पर सूचना की प्रामाणिकता हेतु, स्वैचिछक आचार संहिता विकसित करें.
अधिक समावेशन व सम्मान
महासचिव ने कहा, “साथ मिलकर, हम विविधता के महत्व को समझने वाले,अधिक समावेशी, सम्मानपूर्ण और शान्तिपूर्ण विश्व की रचना की दिशा में प्रयास कर, हिंसा के शिकार लोगों को सम्मान दें.”
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2019 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा नामित यह दिवस, उन प्रवासियों, शरणार्थियों, आश्रय चाहने वालों और अल्पसंख्यक व्यक्तियों जैसे कमज़ोर समूहों के व्यापक उत्पीड़न से प्रेरित था - जिन्हें धर्म या आस्था के आधार पर निशाना बनाया जाता है.
स्वतंत्र संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद द्वारा नियुक्त विशेषज्ञों के एक बड़े समूह ने एक वक्तव्य में बताया कि सभी प्रकार की असहिष्णुता और धर्म या आस्था के आधार पर भेदभाव के उन्मूलन पर संयुक्त राष्ट्र की घोषणा पर सहमति बनने में लगभग दो दशक लग गए. उन्होंने कहा कि "धर्म या आस्था की स्वतंत्रता जैसे मानवाधिकारों की उपेक्षा और उल्लंघन से पीड़ितों को व्यापक कष्ट व पीड़ा झेलनी पड़ी है.''
‘विशाल संकल्प' की आवश्यकता'
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इस वर्ष, पूरा विश्व मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणापत्र (UDHR) की 75वीं वर्षगाँठ मना रहा है. ऐसे में, इस बार विशेषत: इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि यूएन चार्टर विरोधी उद्देश्यों या किसी अन्य मक़सद के लिए धर्म या आस्था का उपयोग करना “ पूर्णत: अस्वीकार्य और निन्दनीय होगा.”
विशेषज्ञों ने कहा कि 1981 की घोषणा के 42 साल बाद, इस वर्ष का अन्तरराष्ट्रीय दिवस "धर्म या आस्था के आधार पर होने वाली विविध, दैनिक और गम्भीर हिंसा को उजागर करने और इसके मूल कारणों के ख़िलाफ़, अधिक दृढ़ संकल्प के साथ, तत्काल कार्रवाई करने का अवसर प्रदान करता है.”