पटना, 29 मई. पटना की चर्चित संस्था अभियान सांस्कृतिक मंच द्वारा साइंस फ़ौर सोसायटी के संस्थापक रहे प्रो एस. पी वर्मा की स्मृति में बीते दिनों 'पूंजी का वर्तमान वर्चस्व और उसका विचारधारात्मक प्रभाव' विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इस अवसर पर कर्नाटक से आये विद्वान रवीन्द्र हैंलीगली (Ravindra Halingali in Hindi) थे. आगत अतिथियों का स्वागत अभियान के राजू कुमार ने किया.
मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री क्यों बनाया गया था?
विषय प्रवेश करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता अनिल कुमार राय ने कहा "रवीन्द्र हलीएंगली का काम भारत के गाँवों पर है. ये वामपंथी विचारक रहे हैं. आज पूरी दुनिया में लेफ्ट को नई परिस्थियों में काम करना पड़ा रहा है. कई बार वाम थोड़ा पीछे की ओर भी गया है. हमें इसके कारणों की पड़ताल करनी होगी, हमें काम करने के नए ढंग देखने पड़ेंगे और विचार करना पड़ेगा." उन्होंने कहा कि विश्व बैंक के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री बनाया गया था.
बिहार में बुद्ध का ऐतिहासिक महत्व
रवींद्र हलिंगली ने बिहार में बुद्ध के ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, 'दुनिया में जितने धर्म हैं सब भारत में है. भारत सहित दुनिया में अब तक जो दार्शनिक विकास हुआ है उसका सर्वोच्च रूप मार्क्सवाद में हुआ है, वैज्ञानिक समाज़वाद में हुआ है. कम्युनिस्ट पार्टी का पटना कांग्रेस बहुत प्रमुख रहा है. क्रांति, बदलाव आदि के बारे में भ्रम दूर करने के लिए हमने कई सालों तक, यानी लगभग दो दशकों तक मार्क्स, लेनिन की क्लासिक रचनाओं का अध्ययन शुरू किया. तब लगा कि वर्तमान परिस्थिति के बारे थामस पिकेटी की किताब 'कैपिटल इन द फर्स्ट सेंचूरी पढ़ा' उसके दूसरे खंड कैपिटल एंड आइडियोलाजी को पढ़ा. मार्क्स को छोड़कर हम कैपिटल के बारे में नहीं छोड़ सकते. उनका तीन खंड सबसे महत्वपूर्ण है लेकिन पिकेटी ने अपनी किताब में मार्क्स का जिक्र नहीं किया है, तब लगा कि इसमें तो विचारधारा है ही नहीं तब मैंने आइडियोलॉजी ऑफ कौपिटल लिखा ताकि लोगों को वर्ग संघर्ष के बारे में भ्रम को साफ किया जा सके.
मार्क्स की महानता क्या है?
रवीन्द्र हलिंगली ने कहा कि मार्क्स की महानता यह है कि वे जितने विद्वान थे, उतने ही व्यावहारिक भी थे. रिएकशनरी लोग तेज़ी से जनमत के बीच अपने विचार को फैलाते हैं. वर्ग संघर्ष लोगों के बीच कैसे ले जाने का है, उनके दिमाग में वर्ग संघर्ष का कंसेप्ट ले जाने का है, यह बड़ा सवाल है.
उन्होंने कहा कि सबसे पहले हमें समझना है कि कैपिटल प्रोडक्शन सिस्टम में कैसे दाखिल होता है. माल उत्पादन के माध्यम से पूंजी ये काम करता है. यहीँ पर वर्गीय चेतना आती है. पेटी बुर्जआ यानी छोटी पूंजी वालों के रोल के बारे में सोचना होगा. उत्पादक शक्तियां कैसे वैश्विक हो जाए इसकी कोशिश हो रही है.
भारतीय संसद ने नहीं बल्कि डब्ल्यूटीओ ने जीएसटी भारत पर लादा है
श्री हलिंगली ने कहा कि कम्युनिस्ट मैनीफेस्टो में मार्क्स ने कहा है पूंजी पूरी दुनिया में अपने विस्तार के लिए जाता है. आज के जमाने में डंकल प्रस्ताव और विश्व व्यापार संगठन के माध्यम से यह किया गया है. जीएसटी भारतीय संसद का नहीं बल्कि विश्व व्यापार संगठन द्वारा लादा हुआ है. पूंजी ने धन का राष्ट्रीय व वैश्विक दोनों स्तरों पर केंद्रित कर लिया है. अमेरिका और चीन दोनों को मोनोपोली कैपिटल कब्जे में लेना चाहता है. इसे ध्यान में रखकर आंदोलन आगे चलाना है.
सामाजिक कार्यकर्ता अक्षय जी ने कहा, "हमारी संवेदनाएं भौतिक दृव्यों से प्रभावित होता है. सुनने बोलने की स्वाभाविक अंतगरता को समाप्त कर दी गई है. और यह सब पूंजी के निर्देश पर किया गया है."
सभा को अभय पांडे ने भी संबोधित किया. व्याख्यान की अध्यक्षता अधिवक्ता मदन प्रसाद सिंह ने की.
इस व्याख्यान के मौके पर प्रमुख लोगों में थे बी. एन विश्वकर्मा, अक्षय जी, राजीव जादौन, प्रियदर्शी, चंद्रबिन्द सिंह, उदयन, गोपाल शर्मा, अभय पांडे, धनंजय, प्राच्य प्रभा के सम्पादक विजय कुमार सिंह, गजेंद्रकांत शर्मा, लड्डू शर्मा, कुलभूषण गोपाल, अभिषेक, रविशंकर उपाध्याय, संस्कृति सिंह.
The challenge is to take the idea of class struggle against capital - Ravindra Halingali