साहित्य क्या है? क्या बिना पत्रकारिता भाषा का विकास संभव है?
What is literature? Is the development of language possible without journalism? साहित्य से इतर क्या पत्रकारिता हैं? कैसी पत्रकारिता है? भाषा का विकास क्या बिना पत्रकारिता संभव है?
क्या कविता, गीत, छंद, कहानी, उपन्यास, ग़ज़ल जैसी चुनिंदा विधाएं ही साहित्य है?
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काव्य की विधाएं प्राचीन काल से हैं, जिसमें कथा भी समाहित होती थी।
प्राचीन काल में उपन्यास नहीं थे। नाटक जरूर थे। नाटक भी काव्य में लिखे जाते थे। कालीदास, शूद्रक, सोफोक्लीज से लेकर शेक्सपीयर तक कविता में काव्य लिखा करते थे। भारत में रवींद्र नाथ टैगोर ने भी कविता में काव्य लिखे।
उपन्यास, कहानी और नाटक भी गद्य विधा में आधुनिक काल में लिखे गए। भारत में तो उपन्यास और कहानी की आयु दो सौ साल भी नहीं है।
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आजादी से पहले और बाद में भी साठ के दशक तक गद्य मुख्य विधा थी, जिसमें सामयिक मुद्दों पर सभी बड़े साहित्यकार लिखा करते थे। भारतेंदु और महावीर प्रसाद द्विवेदी क्या लिखते थे?
गद्य में सामयिक मुद्दों पर लिखना क्या महज पत्रकारिता है?
क्या पत्रकारिता साहित्य नहीं है?
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तो फिर गद्य की उत्पत्ति कैसे हुई?
यूरोप में तो पत्रकारिता से गद्य की उत्पत्ति मानी जाती है।
अंग्रेजी साहित्य के इतिहास में पत्रकारिता भी शामिल है।
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अंग्रेजी के महान साहित्यकार चार्ल्स डिकेंस पत्रकार थे।
अंग्रेजी के महान गद्यकार चार्ल्स लैंब भी पत्रकार थे।
शार्लक होम्स, आर्थर कोनान डायल और जिम कॉर्बेट का लिखा भी साहित्य है।
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भारतेंदु ने जो लिखा, यहां तक कि प्रेमचंद ने भी जो लिखा, क्या उसमें पत्रकारिता के तत्व नहीं है।
सामाजिक यथार्थ को तथ्यपरक,वस्तुनिष्ठ ढंग से संबोधित करने में डॉक्यूमेंटेशन की जरूरत भी होती है।
यह डॉक्यूमेंटेशन माणिक बंदोपाध्याय की कहानियों और महाश्वेता देवी के उपन्यासों में खूब देखा जा सकता है।
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औद्योगिक क्रांति के दौरान यूरोप में कृषि और गांवों के विध्वंस पर थॉमस हार्डी ने जो उपन्यास लिखे या फ्रांसीसी क्रांति पर विक्टर ह्यूगो का जो क्लासिक उपन्यास ला मिजरेबल्स है, उससे बढ़कर पत्रकारिता क्या होगी? यह उपन्यास तो इतिहास से बढ़कर इतिहास भी है।
रघुवीर सहाय, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना, मनोहर श्याम जोशी, प्रभाष जोशी, पराड़कर और गणेश शंकर विद्यार्थी, राजेंद्र यादव ने जो लिखा, क्या वह साहित्य नहीं है।