Advertisment

8 अक्टूबर को मनाया जाएगा विश्व डिस्लेक्सिया दिवस

विश्व डिस्लेक्सिया दिवस 2023 पर जानिए भारत में कितने लोग डिस्लेक्सिक हैं? डिस्लेक्सिया क्या है और यह किस तरह बच्चों को प्रभावित करता है? विश्व डिस्लेक्सिया दिवस मनाने का उद्देश्य क्या है?

author-image
hastakshep
07 Oct 2023
New Update
Children's health

विश्व डिस्लेक्सिया दिवस 2023

Advertisment

नई दिल्ली, 07 अक्तूबर 2023: विश्व डिस्लेक्सिया दिवस (world dyslexia day in Hindi) प्रत्येक वर्ष 8 अक्टूबर को मनाया जाता है। डिस्लेक्सिया एक सामान्य शिक्षण विकार है, जो किसी व्यक्ति की ठीक से पढ़ने और लिखने की क्षमता को प्रभावित करता है। डिस्लेक्सिया से पीड़ित व्‍यक्ति के लिए धारा प्रवाह रूप से पढ़ना और लिखना चुनौती भरा क्षेत्र है। डिस्लेक्सिया से पीड़ित व्यक्ति अक्सर बिना गलती किए तेजी से पढ़ने और लिखने में असमर्थ होते हैं। डिस्लेक्सिया से पीड़ित व्यक्तियों को पढ़ने, लिखने, शब्दावली और उन कार्यों को करने में कठिनाई हो सकती है जिनमें हाथ और आंख के समन्वय की आवश्यकता होती है। विश्व डिस्लेक्सिया दिवस इन मुद्दों के बारे में यह जागरूकता बढ़ाता है कि इस तरह के विकार के प्रबंधन के लिए क्या किया जा सकता है। 

विश्व डिस्लेक्सिया दिवस क्यों मनाया जाता है?

विश्व डिस्लेक्सिया दिवस मनाने का उद्देश्य समावेशिता को बढ़ावा देना, शिक्षा तक पहुंच और डिस्लेक्सिया से पीड़ित व्यक्तियों को उनके सीखने के प्रयासों में सहायता प्रदान करने में प्रभावी रणनीतियों को लागू करना है।

Advertisment

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय मना रहा है विश्व डिस्लेक्सिया दिवस 

भारत सरकार के सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के तहत दिव्‍यांग व्यक्तियों का सशक्तिकरण विभाग देश के दिव्‍यांग व्यक्तियों के सभी विकासात्‍मक एजेंडे की देखभाल करने वाला नोडल विभाग है। जनता के बीच डिस्लेक्सिया के बारे में जागरूकता पैदा करने की दृष्टि से यह विभाग पूरे देश में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करके उससे जुड़े संस्थानों के माध्यम से 8 अक्टूबर 2023 को विश्व डिस्लेक्सिया दिवस मना रहा है।

डिस्लेक्सिया एसोसिएशन ऑफ इंडिया (Dyslexia Association of India) का कहना है कि यदि तरीका सही हो तो डिस्लेक्सिया वाले बच्चे भी सामान्य रूप से सीख सकते हैं।

भारत में कितने लोग डिस्लेक्सिक हैं?

डिस्लेक्सिया एसोसिएशन ऑफ इंडिया का अनुमान है कि भारत में लगभग 10 से 15 प्रतिशत स्कूली बच्चे किसी न किसी प्रकार प्रकार के डिस्लेक्सिया से ग्रस्त हैं। हमारे देश में बहुत सारी भाषाएं हैं, जो स्थिति को और अधिक कठिन बना सकती हैं। यह स्थिति लड़कों व लड़कियों को समान रूप से प्रभावित कर सकती हैं। यदि कक्षा दो तक ऐसे बच्चों की पहचान नहीं हो पाई, तो ऐसे बच्चे बड़े होकर भी इस समस्या से परेशान रह सकते हैं और उस बिंदु पर इसे ठीक नहीं किया जा सकता।

Advertisment
सदस्यता लें