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विश्व उच्च रक्तचाप दिवस : उच्च रक्तचाप को न करें अनदेखा

हर साल की तरह इस साल भी 17 मई को 'वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे' (world hypertension day in Hindi) के रूप में मनाया जाएगा. इस दिन को मनाने का खास उद्देश्य हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी को लेकर लोगों को जागरूक करना है.

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hastakshep
16 May 2023
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17 मई 2023, विश्व उच्च रक्तचाप दिवस पर विशेष

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हर साल की तरह इस साल भी 17 मई को 'वर्ल्ड हाइपरटेंशन डे' (world hypertension day in Hindi) के रूप में मनाया जाएगा. इस दिन को मनाने का खास उद्देश्य हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी को लेकर लोगों को जागरूक करना है.

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हाई ब्लड प्रेशर की समस्या आजकल एक आम समस्या बन चुकी है। हाई ब्लड प्रेशर का ही दूसरा नाम हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप है। इसे मेडिकल भाषा में हाइपरटेंशन कहा जाता है। 

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हर आठ भारतीयों में से एक साइलेंट किलर हाइपरटेंशन का शिकार

नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (National Family Health Survey) के मुताबिक, हर आठ भारतीयों में से एक हाइपरटेंशन की समस्या से जूझ रहा है, ये एक ऐसी परेशानी है जो व्यक्ति की जान तक ले सकती है। इसे साइलेंट किलर (silent killer) के तौर पर भी जाना जाता है। इस जानलेवा समस्या के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए हर साल 17 मई को विश्व उच्च रक्तचाप दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य लोगों के बीच हाइपरटेंशन के जोखिम और इसकी रोकथाम को लेकर जागरूकता फैलाना है, ताकि भविष्य में इस समस्या और इसके कारण होने वाली अन्य समस्याओं से बचा जा सके।

हम अपने खानपान और दिनचर्या, सामान्य व्यायाम वगैरह का ध्यान रखें, तो उच्च रक्तचाप की समस्या पर खुद काबू पा सकते हैं। भारत की संस्कृति में स्वास्थ्य को ठीक रखने की प्रेरणा प्राचीन समय से दी जाती रही है। कहावत ही है कि पहला सुख निरोगी काया। पर जैसे-जैसे विकास और जीवन में सुख-सुविधाएं बढ़ती गई, लोग इसके महत्व को भूलते गए या फिर कुछ व्यस्तताओं के चलते अपेक्षित ध्यान नहीं दे पाते। भारत की उस प्राचीन परंपरा को मोदी ने जीवंतता देकर जीने को नया अंदाज दिया है, क्योंकि लोगों को अपने स्वास्थ्य के प्रति सावधान करना आज बड़ी जरूरत बन गई है।

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विश्व उच्च रक्तचाप दिवस 2023 की थीम

वर्ष 2023 का विश्व उच्च रक्तचाप दिवस की थीम ‘अपने रक्तचाप को सटीक रूप से मापें, इसे नियंत्रित करें, लंबे समय तक जीवित रहें’ (Measure Your Blood Pressure Accurately, Control It, Live Longer) है जो उच्च रक्तचाप की कम जागरूकता दरों से निपटने के प्रयासों पर केंद्रित है। 

विश्व उच्च रक्तचाप दिवस मनाने का उद्देश्य | विश्व उच्च रक्तचाप दिवस क्यों मनाया जाता है?
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गलत खानपान के चलते व गलत आदतों के कारण हाइपरटेंशन की समस्या लोगों को होने लगती है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य यह है कि लोगों को हाई ब्लड प्रेशर के खतरों के बारे में बताया जाए और इसे कंट्रोल करने व ठीक करने के तरीकों के बारे में जागरूक किया जाए। 

उच्च रक्तचाप से ग्रस्त संकट तब होता है जब रक्तचाप में अचानक वृद्धि होती है, संभावित रूप से अंग क्षति हो सकती है। उदाहरण के लिए, जब रक्तचाप बहुत अधिक हो जाता है तो किसी को दिल की विफलता, गुर्दे की विफलता या स्ट्रोक का खतरा होता है। उच्च रक्तचाप से ग्रस्त संकट के लक्षण सांस फूलना, सीने में दर्द, चेतना में परिवर्तन, बार-बार उल्टी, गंभीर सिरदर्द और आक्षेप हो सकते हैं।

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हमारे शरीर में मौजूद रक्त नसों में लगातार दौड़ता रहता है और इसी रक्त के माध्यम से शरीर के सभी अंगों तक ऊर्जा और पोषण के लिए जरूरी ऑक्सीजन, ग्लूकोज, विटामिन्स, मिनरल्स आदि पहुंचते हैं। ब्लड प्रेशर उस दबाव को कहते हैं, जो रक्त प्रवाह की वजह से नसों की दीवारों पर पड़ता है। 

आमतौर पर यह ब्लड प्रेशर इस बात पर निर्भर करता है कि हृदय कितनी गति से रक्त को पंप कर रहा है और रक्त को नसों में प्रवाहित होने में कितने अवरोधों का सामना करना पड़ रहा है। 

एक साइलेंट किलर है हाइपरटेंशन
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हाइपरटेंशन एक ऐसी बीमारी है जिसमें धीरे-धीरे आपका हृदय, किडनी व शरीर के दूसरे अंग काम करना बंद कर सकते हैं। हाइपरटेंशन एक साइलेंट किलर है। हाइपरटेंशन कई कारणों से होता है, जिनमें से कुछ कारण शारीरिक और कुछ मानसिक होते हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक हालिया अध्ययन से पता चलता है कि भारत में हर आठ में से एक व्यक्ति उच्च रक्तचाप से पीड़ित है। जिसका उद्देश्य उच्च रक्तचाप के बारे में जागरूकता पैदा करना और लोगों को जीवनशैली की बीमारी के खिलाफ निवारक उपाय करने के लिए प्रोत्साहित करना है।

महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों को ज्यादा होता है हाईपरटेंशन का खतरा

हाई ब्लडप्रेशर या हाईपरटेंशन का खतरा महिलाओं से ज्यादा पुरुषों में होता है। इसके अलग-अलग कारण हो सकते हैं जैसे- फैमिली हिस्ट्री, तनाव, गलत खानपान और लाइफ स्टाइल आदि। लेकिन इससे बचने के लिए न केवल डाइट और लाइफ स्टाइल पर ध्यान देने की जरूरत है बल्कि तनाव को कम करना और शरीर को सक्रिय बनाए रखने के लिए एक्सरसाइज भी बेहद जरूरी है। आजकल 18 साल से 50 वर्ष के लोग हाइपरटेंशन के अधिक शिकार हैं। हालांकि साठ साल की उम्र से पहले पुरुषों में उच्च रक्तचाप का खतरा ज्यादा रहता है, पर बाद में स्त्री-पुरुष दोनों में ही खतरे की आशंका बराबर होती है। 

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रोजमर्रा की जिंदगी में हमें तमाम तरह की मीठी-कड़वी बातों से दो-चार होना पड़ता है। ऐसे में गुस्सा आना स्वाभाविक है। लेकिन गुस्सा अगर लत का रूप ले लें तो इस पर विचार करना जरूरी है। बात-बात पर गुस्सा करने से हमारी सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। लेकिन जब यह भावना व्यवहार और आदत में बदल जाती है, तो आप के साथ-साथ दूसरों पर इसका गंभीर असर पड़ने लगता है। इसके लिए जरूरी यह है कि अपने गुस्से की सही वजह को पहचाना जाए और उन पर नियंत्रण रखा जाए। जिस व्यक्ति को गुस्सा ज्यादा आता है, उनमें ब्लडप्रेशर, हाइपरटेंशन, गंभीर रूप से पीठ में दर्द की शिकायत देखी गई है। इसके साथ ही ऐसे लोगों को पेट की शिकायत भी हो सकती है।

उच्च रक्तचाप के लक्षण 

उच्च रक्तचाप ज्यादातर लोगों में इसका कोई बाहरी लक्षण और इसका प्रभाव देखने को नहीं मिलता। नियमित सिरदर्द, सांस की तकलीफ, चक्कर आना, त्वचा का फड़कना और प्रतिकूल स्थितियों में नाक बहना कुछ ऐसे मामूली लक्षण हैं, जिन पर आदतन ध्यान नहीं दिया जाता और ऐसे यह अनियंत्रित और अनुपचारित रह जाता है। उच्च रक्तचाप से पीड़ित आधे से अधिक व्यक्ति इससे अनजान हैं। 

यदि आपको हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है, तो जाहिर है कि आप हर रोज हाई बीपी की दवा लेते होंगे। एक बार जब दवा लेना शुरू कर दी, तो जीवन भर इससे पीछा नहीं छूटता। हर रोज समय पर दवा लेना वास्तव में एक टेंशन है।

नियमित व्यायाम, योगासन, सकारात्मक सोच, संतुलित एवं सात्विक खानपाप आदि से शरीर में पैदा हुई रक्तप्रवाह के अनियमितता एवं अस्तव्यस्तता को आसानी से दुरूस्त किया जा सकता है। इसके अलावा जो भी लोग शराब या धूम्रपान करते हैं। उन सभी लोगों को इस तरह के नशीले पदार्थों से बचना चाहिए। उच्च रक्तचाप से बचने के लिए हरी सब्जियों व मौसमी फलों का सेवन करें। नमक व तैलीय खाद्य सामग्री का सेवन कम करें। अगर आपकी आयु 40 साल से अधिक है तो वर्ष में दो बार रक्तचाप चेक जरूर कराएं। दवा के साथ डाइट चार्ट पर अमल करें।

हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप का विचारों से क्या संबंध है

विचारों का हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप पर बहुत गहरा प्रभाव होता है, अतः स्वस्थ जीवन एवं संतुलित रक्तचाप के लिए सकारात्मक विचारों का विकास जरूरी है। आज हर आदमी सुख की खोज में खड़ा है और उस थके हारे इंसान के लिये महान् दार्शनिक आचार्य महाप्रज्ञ कहते हैं कि आदमी शरीर को ज्यादा संभालता है, मन को कम। समझदार आदमी इसका उल्टा करेगा। वह शरीर पर अगर तीस प्रतिशत ध्यान देगा तो मन पर सत्तर प्रतिशत। आखिर शरीर का संचालक मन ही तो है। अगर वह स्वस्थ नहीं तो शरीर कैसे स्वस्थ रहेगा?’ इसलिये मन की शुद्धि एवं स्वस्थता जरूरी है। 

हमें विचारों की स्वस्थता और संतुलन पर भी विशेष ध्यान देना होगा। आज ‘फेथ-हीलिंग’ की चर्चा ज्यादा है, जिसे आस्था और भावना द्वारा चिकित्सा का ही एक रूप कह सकते हैं। भौतिक चिकित्सा का उपयोग करते हुए भी हमें इस आध्यात्मिक चिकित्सा का प्रयोग करना चाहिए।

ललित गर्ग

लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।

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