Not only shops and houses, the state government is also sealing law and order – Rihai Manch
लखनऊ, 5 जूलाई 2020. रिहाई मंच ने कायदा कानून ताक पर रखकर क्षतिपूर्ति के नाम पर लखनऊ में गिरफ्तारी और सम्पत्तियों के सील किए जाने की कार्रवाई की निंदा करते हुए कोरोना संकट की घड़ी में इसे अमानवीय करार दिया.
मंच ने कहा कि सूबे की कानून व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है जिसका जीता-जागता उदाहरण कानपुर है, जहां पुलिस, अपराधी, राजनीति का गठजोड़ सामने आया. योगी सरकार की गैर कानूनी कार्रवाइयों की वजह से पुलिस के जवान मारे गए और अब विकास दुबे का घर गिरवाकर जनता के आक्रोश को शांत किए जाने की भी कोशिश गैर कानूनी है. गोली के बदले गोली, खून के बदले खून इसकी इजाजत हमारा संविधान नहीं देता.
रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार के इशारे पर लखनऊ प्रशासन ने नोटिस देकर कथित क्षतिपूर्ति की रकम जमा न करने के नाम पर जानकीपुरम निवासी मो. कलीम को गिरफ्तार किया है जबकि उसी आरोप में मो. कलीम को अदालत से ज़मानत मिल चुकी है. झोपड़पट्टी में रहने वाले मो. कलीम रिक्शा चलाकर अपने चार बच्चों का पेट पालते थे. लॉक डाउन में काम बंद हो गया तो बच्चों का पेट भरने के लिए बिस्कुट और अन्य चीजें बेचने लगे. समाचार माध्यमों में आया है कि खुर्रमनगर निवासी नफीस अहमद की स्टील फर्नीचर व धर्मवीर सिंह के फैशन शोरूम और माहेनूर चौधरी की कबाड़ की दुकान भी सील कर दी गई.
राजीव यादव ने कहा कि व्यापारी वर्ग पहले ही लॉक डाउन के कारण आर्थिक संकट से जूझ रहा था. जो मामला हाईकोर्ट के सामने विचाराधीन है लखनऊ प्रशासन द्वारा कोरोना महामारी की आड़ में गिरफ्तारी और दुकानों को सील किए जाने के कारण परिवारों के सामने खाने-पीने से लेकर बच्चों की पढ़ाई–लिखाई तक का संकट खड़ा कर जिंदगी तबाह की जा रही है. लखनऊ प्रशासन की यह कार्रवाई केवल न्याय के मानकों को ही पूरा नहीं करती बल्कि अमानवीय भी है.
उन्होंने कहा कि जिन लोगों के खिलाफ सरकार कुर्की की कार्रवाई कर रही है उनमें से अधिकांश लॉक डाउन में, जब सरकारी सेवाओं का कहीं पता भी नहीं था, प्रवासी मज़दूरों की हर संभव सहायता के लिए मैदान में थे.
मंच महासचिव ने कहा कि प्रतिष्ठित शिया धर्मगुरू मौलाना सैफ अब्बास और ओसामा सिद्दीकी के घरों पर लखनऊ प्रशासन ने कुर्की का नोटिस चस्पा किया.
उन्होंने आरोप लगाया कि जब प्रदेश में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ती जा रही है ऐसे समय में बदले के भावना से इस तरह की कार्रवाई से सरकार अपनी नाकामियों को छुपाने और लोकतांत्रिक आवाज़ों का गला घोंटने का काम कर रही है.
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