Modi government launched an unprecedented attack on the working class for the benefit of corporate houses
Notes on Working class
इज आफ डूयिंग बिजनेस के लिए प्रदेश में योगी सरकार ने नई इकाइयों में एक हजार दिनों तक सभी लेबर कानूनों के लागू करने पर रोक लगा दी है। काम के घंटे बारह करने का आदेश इस सरकार ने दिया था जिसे वर्कर्स फ्रंट के हाईकोर्ट में हस्तक्षेप के बाद उसे वापस लेना पड़ा। सरकार ने उत्तर प्रदेश समय से वेतन भुगतान अधिनियम, उत्तर प्रदेश में संशोधन कर समय से वेतन न देने वाले मालिकों के जेल जाने वाले प्रावधान को ही खत्म कर दिया है। रोजगार सृजन के बड़े-बड़े दावे किए जा रहे है। लेकिन सच्चाई यह है कि प्रदेश की असंगठित क्षेत्र की सूक्ष्म, लधु, मध्यम ईकाइयां और बुनकरी जैसे कुटीर उद्योग संकट के शिकार है और इनमें रोजगार की कमी हुई है।
महिलाओं के सुरक्षा, स्वालम्बन और सम्मान देने के लिए महिला सशक्तिकरण की मिशन शक्ति योजना के विज्ञापन पर करोड़ों रूपया खर्च किया गया लेकिन इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए चल रही 181 वूमेन हेल्प लाइन और महिला समाख्या जैसी योजनाओं को बंद कर सैकड़ों महिलाओं को बेरोजगार कर दिया गया।
भाजपा ने संकल्प पत्र में वायदा किया था कि सरकार बनने के 120 दिन के अंदर आंगनबाड़ी, आशाओं के सम्मानजनक मानदेय के लिए कमेटी बनाकर इसे बढाया जायेगा। पर सरकार की विदाई की बेला आ गई मानदेय में एक पैसे की वृद्धि नहीं हुई। उलटे प्रदेश में हजारों आगंनबाडियों को बिना पेंशन, ग्रेच्युटी या सेवानिवृत्ति लाभ दिए 62 साल की उम्र में नौकरी से हटा दिया गया। प्रदेश में सरकारी दावों के विपरीत मनरेगा की हालत खराब है औसतन 9 दिन भी रोजगार मनरेगा में उपलब्ध नहीं हो सका है।
कोरोना महामारी में प्रदेश से पलायन कर बाहर काम कर रहे मजदूरों की घर वापसी के समय सरकार द्वारा किए गए क्रूर, बर्बर व्यवहार को सबने अपनी आंखों से देखा है। प्रदेश के विभिन्न विभागों में संविदा, आउटसोर्सिंग, ठेका पर मजदूरों से काम कराया जा रहा है इनके नियमितीकरण करने की कोई योजना सरकार के पास नहीं है।
कुल मिलाकर कहा जाए तो प्रदेश में मजदूर वर्ग पर हमले लगातार जारी है। प्रदेश में यह सभी की इच्छा है कि योगी सरकार जाए और यह भी चर्चा है कि समाजवादी पार्टी इसके बरखिलाफ उभर रही है। लेकिन अखिलेश यादव को प्रदेश की जनता को बताना चाहिए कि मजदूर वर्ग के सम्बंध में समग्रता में उनकी नीति क्या है। महज मेट्रो और एक्सप्रेस के गुणगान से काम नहीं चलेगा।
दिनकर कपूर
अध्यक्ष, वर्कर्स फ्रंट
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