पैंथर्स सुप्रीमो की जम्मू-कश्मीर के सभी राजनीतिक दलों से 7 दिसम्बर को ‘जम्मू बंद‘ का समर्थन करने की अपील
Advertisment
Appeal for Jammu Bandh
NPP Supremo’s appeal to all political parties in J&K to support ‘Jammu Bandh’ on Dec.7
नई दिल्ली/जम्मू/श्रीनगर 05 दिसंबर 2019. नेशनल पैंथर्स पार्टी के मुख्य संरक्षक एवं सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के वरिष्ठ कार्यकारी सदस्य प्रो. भीम सिंह ने जम्मू-कश्मीर के सभी सामाजिक, राजनीतिक दलों और गैरसरकार संगठनों से एकता, अखंडता, स्वतंत्रता और भारतीय संविधान के अध्याय के अनुच्छेद 12 से 35 में दिये गये मौलिक अधिकार के फायदे प्राप्त करने के लिए 7 दिसम्बर, 2019 को होने वाले ‘जम्मू बंद‘ का समर्थन करने की अपील की है।
Advertisment
पैंथर्स सुप्रीमो ने कहा कि 1954 में राष्ट्रपति ने अध्यादेश जारी करके अनुच्छेद 35-ए को लागू किया गया था, जिसे अब राष्ट्रपति ने 5 अगस्त, 2019 को वापस ले लिया है, जिसके परिणास्वरूप भारतीय संविधान में दिये गये सभी मौलिक अधिकार पूरे राज्य में लागू हो गये हैं, इसके बावजूद वर्तमान सांसद, कई पूर्व मुख्यमंत्री और मंत्रियों सहित सैकड़ों भारतीय नागरिक गैरकानूनी और असंवैधानिक रूप से जेलों, होटलों और घरों आदि में कैद हैं। इंटरनेट सुविधाएं ठप हैं, विश्वविद्यालय, कालेज, सभी शैक्षणिक संस्थान आज भी इंटरनेट से वंचित हैं और हजारों छात्र और युवा अपनी परीक्षाओं में शामिल नहीं हो पा रहे हैं। इंटरनेट सुविधा न उपलब्ध होने के कारण शिक्षकों और छात्रों की परेशानियों को कोई भी सुनने वाला नहीं हैं, जिससे कारण इनकी परीक्षाओं में शामिल न होने से बड़ा नुकसान हो रहा है।
जम्मू-कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी ने 7 दिसम्बर को जम्मू बंद का आह्वान करने से पहले पूरी स्थिति का बारीकी से समीक्षा की है। उन्होंने सभी राजनीतिक, सामाजिक दलों और गैरसरकारी संगठनों से इस बंद में शामिल होने की अपील की है, जिससे यह संदेश जाए कि हर व्यक्ति, हर नागरिक, हर दुकानदार, हर कर्मचारी और हर मजदूर को सम्मान और गौरव के साथ जीने के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है।
प्रो.भीमसिंह ने कांग्रेस, पीडीपी, नेशनल कांफ्रेंस, सीपीआई, सीपीआई-एम, छात्र संगठनों, एनपीएसयू सहित सभी राजनीतिक और सामाजिक दलों से एकजुट होकर जम्मू की सड़कों पर आने की अपील की है, जिससे दिल्ली में बैठे शासकों को यह संदेश जाये कि जम्मू-कश्मीर के लोग भी सभी मौलिक अधिकारों और शांति और गौरव के साथ जीने का अधिकार रखते हैं।