NRC will be a decision with more tragic consequences than partition of India.
एनआरसी भारत विभाजन से अधिक त्रासद परिणामों वाला फैसला होगा।
एनआरसी (NRC) की कवायद मुसलमानों से द्वेष (Malice to Muslims) के नाम पर शुरू होकर सभी धर्मों के करोड़ों भारतीयों को उसी तरह घायल कर गुजरेगी जैसे कालेधन के नाम पर नोटबन्दी ने किया ! और ये घाव नासूर की तरह अरसे तक रिसेंगे !
जो समझते हैं कि एनआरसी से परेशानी सिर्फ घुसपैठियों को होगी, वही हैं जो नोटबन्दी से सिर्फ कालेधन वालों को परेशानी की बात कर रहे थे।
देशवासियों को नागरिकता सिद्ध करने और आपस में एकदूसरे को नफरतों की आग में झोंकने के काम में लगा दिया जाएगा। यह सब कुछ खास पूंजीपतियों को लूट की और खुली छूट के साथ साथ समग्रता में भारत की अर्थव्यवस्था को रसातल में पहुंचाने की भी तैयारी है।
मि.पीएम ! मि.एचएम !!
Madhuvan Dutt Chaturvedi मधुवन दत्त चतुर्वेदी, लेखक वरिष्ठ अधिवक्ता हैं।
क्या सीएबी से पहले का कानून धार्मिक भेदभाव से त्रस्त विदेशियों को नागरिकता देने से रोकता था ? सिर्फ तीन पड़ोसी देशों के गैर-मुसलमानों के नाम पर संशोधन के जरिये भारतीय राजनीति में साम्प्रदायिक शोलों को हवा देने के लिए ही तो संसद का इस्तेमाल कर रहे हो न ?
'हिन्दुओं का होमलैंड' जैसी कोई कंसेप्ट ईसाइयत, इस्लाम या बौद्ध धर्म के नाम पर किसी देश की है क्या ?
एनआरसी पर जो बाहरी लोगों के बोझ का रोना रोते हैं वे सीएबी के जरिये बाहर वालों के बोझ को न्यौत रहे हैं। असल इरादा तो द्वेष है!
मधुवन दत्त चतुर्वेदी
&w=853&h=480>