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माजूफल (oak apple), Nutmeg (जायफल), और कायफल (Kayfal or kayphal (Myrtus)) भारत तथा एशिया के कई देशों में घरेलू चिकित्सा (Home medicine) के महत्वपूर्ण हिस्से हैं। पहले तो ये तीनों अपने मूल स्वरूप में हर घर में मिलते थे परंतु अब इनके उत्पाद मिलते हैं पावडर या कैप्सूल के रूप में। आइए देखते हैं कि ये फल वास्तव में कितने फल है।
जायफल इन हिंदी, जायफल को इंग्लिश में क्या कहते हैं, Nutmeg in Hindi
पहले बात करते हैं जायफल की। अंग्रेज़ी में इसे नटमेग कहते हैं। वनस्पति विज्ञानी इसे मायरिस्टिका फ्रेगरेंस (myristica fragrans in hindi) नाम से जानते हैं। नाम (myristica fragrans hindi name,) से ही पता चलता है कि यह कोई सुगंधित वस्तु है। संस्कृत साहित्य में इसे जाति फलम कहा गया है। इसके पेड़ जावा, सुमात्रा, सिंगापुर, लंका तथा वेस्ट इंडीज़ में अधिक पाए जाते हैं। हमारे यहां तमिलनाडु और केरल में इसके पेड़ लगाए गए हैं। जायफल का वृक्ष (Nutmeg tree) सदाबहार होता है। फूल सफेद और फल छोटे-छोटे, लगभग अंडाकार लाल-पीले होते हैं जो पकने पर दो भागों में फट जाते हैं। फटने पर सूखे हुए बीज को घेरे हुए सुर्ख लाल रंग की एक जाल सी रचना नज़र आती है। यह भूरा, अंडाकार तथा लगभग 2-5 सेंटीमीटर का बीज ही जायफल है।
'फल' का उपयोग सुगंध, उत्तेजक, मुख दुर्गंध नाशक और वेदनाहर के रूप में किया जाता है।
Mace (Javitri) Meaning in Hindi.
अब जरा जावित्री की बात कर लेते हैं। जावित्री (mace spice in hindi) लाल नारंगी रंग की मोटी जाल समान रचना है जो टुकड़ों के रूप में बाज़ार में मिलती है। जावित्री दरअसल जायफल के बीज पर लगी एक विशेष रचना है, जो सुगंधित और तीखी होती है। इसमें मुख्य रूप से वाष्पशील तेल, वसा और गोंद होते हैं। जावित्री के गुण (Properties of mace) भी जायफल की तरह होते हैं इसे हम बीज का तीसरा छिलका या विज्ञान की भाषा में एरील कहते हैं।
जानिए कायफल के बारे में Know about Kayfal or kayphal -Katphala- Myrica nagi
अब बात करें कायफल की। वनस्पति शास्त्र में मिरिका एस्कूलेंटा (myrica esculenta in hindi) नाम से ज्ञात यह पेड़ हिमालय के उष्ण प्रदेशों में खासी पहाड़ियों में पाया जाता है। सिंगापुर में भी मिलता है। चीन तथा जापान में इसकी खेती की जाती है। कायफल के मध्यम ऊंचाई के वृक्ष सदाबहार होते हैं, छाल बादामी-धूसर और सुगंधित होती है। कायफल का फल लगभग आधा इंच लंबे अंडाकार दानेदार बादामी होते हैं। यद्यपि वृक्ष का नाम कायफल है, तब भी औषधि के रूप में इसकी छाल का ही प्रयोग कायफल के नाम से किया जाता है। अत: यह फल नहीं, एक पेड़ की छाल है। कायफल की छाल को सूंघने से छींक आती है,तथा पानी में डालने पर लाल हो जाती है।
जानिए नकली फल – माजूफल के बारे में
अब बात एक बिलकुल ही नकली फल - माजूफल - की। यह नकली फल क्वेर्कस इनफेक्टोरिया (quercus infectoria in hindi) नामक एक ओक प्रजाति का है और गाल्स के रूप में बनता है। सदियों से एशिया महाद्वीप में पारंपरिक चिकित्सा पद्धति में इन गाल्स का उपयोग किया जाता रहा है। मलेशिया में इसे मंजाकानी कहते हैं। इसका उपयोग चमड़े को मुलायम करने और काले रंग की स्याही बनाने में वर्षों से हो रहा है। भारत में इसे माजूफल कहते हैं।
क्वेर्कस इनफेक्टोरिया एक छोटा पेड़ है, जो एशिया माइनर का मूल निवासी है। क्वेर्कस इनफेक्टोरिया की पत्तियां चिकनी और चमकदार हरी होती हैं। जब ततैया शाखाओं पर छेद कर उनमें अपने अंडे देती है तो इन अंडों से निकलने वाले लार्वा और तने की कोशिकाओं के बीच रासायनिक अभिक्रिया होती है जिसके फलस्वरूप शाखाओं पर फल जैसी गोल-गोल कठोर रचनाएं बन जाती है, जो दिखने में खुरदरी होती हैं। इन्हें गाल कहते हैं और यही माजूफल है।
Use of oak apple in India
इस गाल में अन्य रसायनों के अलावा टैनिन काफी मात्रा में पाया जाता है। भारत में माजूफल का उपयोग दंत मंजन बनाने, दांत के दर्द और पायरिया के उपचार में किया जाता है। इस गाल से मिलने वाला टैनिक एसिड गोल्ड सॉल बनाने के काम आता है। गोल्ड सॉल का उपयोग इम्यूनोसाइटोकेमेस्ट्री (Immunocytochemistry) में मार्कर के रूप में किया जाता है। वर्तमान में इसका उपयोग खाद्य पदार्थों, दवा उद्योग, स्याही बनाने और धातु कर्म में बड़े पैमाने पर किया जाता है। माजूफल का उपयोग प्रसव के बाद गर्भाशय को पूर्व स्थिति में लाने के लिए भी किया जाता है।
तो हमने देखा कि ये तीन विचित्र चीज़ें हैं, जिनका उपयोग फल कहकर किया जाता है। इनमें से एक (जायफल) तो फल नहीं बीज है। दूसरा (कायफल) छाल है जबकि तीसरा (माजूफल) तो फलनुमा दिखने के बावजूद गाल नामक एक विशेष संरचना है।
डॉ. किशोर पंवार
(यह लेख मूलतः देशबन्धु में प्रकाशित हुआ था, उसका संपादित रूप साभार)