प्रमुख भारतीय गायक श्रेया घोषाल ने संगीतकार-संरक्षणवादी अभिषेक रे के लिए अपना पहला ओपेरा गाया है जिसमे पूरे ग्रह की आवाज़ का अनुकरण किया गया हैं।
"मैं बिना किसी भाषा की बाधा के, वैश्विक ग्लोबल सिम्फनी बनाना चाहता था ताकि गायब हो रहे वन्य जीवन की आवाज़ पूरी दुनिया तक पहुंच जाए। हमने पिछले तीस सालों में ग्रह के वन्य जीवन का 50% हिस्सा खो दिया है।" अभिषेक रे ने कहा जो खुद पान सिंह तोमर, वेलकम बैक, आई एम कलाम इत्यादि जैसी फिल्मो के संगीत के लिए जाने जाते हैं।
श्रेया घोषाल और अभिषेक के पास सफल फिल्म के साथ-साथ गैर-फिल्म एल्बमों का इतिहास भी है। श्रेया ने अभिषेक की कई सदाबहार धुनों में अपनी आवाज़ का जादू बिखेरा है, जैसेतिग्मांशु धुलिया के 'साहेब बिवी और गैंगस्टर' से 'रात मुजे, गुलज़ार साहब का लिखा गीत 'प्यासी प्यासी' और 'ऐ जहान अस्मान' , जिसके लिए अभिषेक ने हाल ही में प्रतिष्ठित मिर्ची संगीत पुरस्कार भी जीता था।
मीडिया से बात करते हुए अभिषेक ने कहा, "'अर्थ वॉइसेस' एक कांसेप्ट एल्बम है। यह एक वैश्विक मुद्दे को संदर्भित करता है। श्रेया घोषाल एक अद्भुत बहुमुखी गायिका है। ' अर्थ वॉइसेस'' के लिए हमने उसकी आवाज़ में एक अलग तरह का टिम्बर और लिल्ट इस्तेमाल किया है। यह उसकी आवाज का ओपेरेटिक पक्ष है। मैंने भाषा की बाधा को दूर करने के लिए एक सिम्फनी बनाई। ताकि पूरी दुनिया में दर्शक इसे समझ सकें और यह सिम्फनी हमारी पृथ्वी के कमजोर वन्यजीवन की सार्वभौमिक आवाज बन जाए। "
अभिषेक रे भारत की पहली निजी वन्यजीव शरण सीताबानी वन्यजीवन रिजर्व बनाने के लिए जाने जाते हैं और कहते हैं कि अगर हम इन गायब लुप्तप्राय जानवरों के प्रति ध्यान नहीं देंगे तो हम जल्द ही उनके जैसे गायब हो जाएंगे। "इस एल्बम को शूट करने के लिए मैं दूरदराज के पहाड़ों और घने जंगलो में घूमा हूँ , और मैंने महसूस किया की वन्यजीवन खुद जीवन स्त्रोत के अलावा कुछ भी नहीं है, और स्वाभाविक रूप से ये पृथ्वी माँ से संबंधित है। यदि ये जानवर आज गायब हो जाते हैं, तो हम भी जल्द ही इनकी तरह विलुप्त हो जायेगे".
'अर्थ वॉइसेस' के निर्माताओं ने अप्रैल में 4 टीज़र जारी किए थे, जिसमें श्रेया की मधुर आवाज़ थी। यह एल्बम भारतीय वन्यजीवन की शानदार विविधता और नाजुकता को दर्शाता है और पृथ्वी दिवस पर जारी किया गया है ।