मैं जो बोली उस पर कोई पछतावा नहीं, हजार बार यही बात कह सकती हूं : ममता बनर्जी
संघ परिवार के आत्मध्वंस का खेल बंगाल में अब तमाशा जोरदार
दीदी को जिताने की जिद न छोडें केंद्रीय नेतृत्व तो समझ लीजिये कि अब तक भाजपाई बंगाल में जितने पिटे हैं,वह कुछ नहीं है क्योंकि बंगाल के संघियों को रोने की इजाजत भी नहीं है।
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
कोलकाता (हस्तक्षेप)। हस्तक्षेप के आंखों देखा का कमाल का असर होने लगा है कि मच गयी खलबली और मीडिया निकला महाबलि। तोबा करने लगा नकली खली।
चुनाव आयोग के नोटिस पर दीदी की खुली चुनौती हैः ममता बनर्जी ने कहा कि मैं जो बोली उस पर कोई पछतावा नहीं, हजार बार यही बात कह सकती हूं।
दीदी वाम कांग्रेस गठबंधन के मुकाबले कांटे की टक्कर में फंसकर मिजाज पर काबू न रख पाने की वजह से मुश्किल में फंसती नजर आ रही हैं। लगातार संघ परिवार के खिलाफ चुप्पी साधने की कवायद उन्हें भारी पड़ने लगी है कि मशहूर हो गया है उनका और संघ परिवार का गुपचुप गठबंधन। उत्तर बंगाल के मुसलमान पूरी तैयारी के साथ इस केसरिया गठबंधन के मुकाबले में है जिसका असर बारी बंगाल में भी होगा।
इसी बीच पश्चिम बंगाल में चुनावी सरगर्मी के बीच सीएम ममता बनर्जी को झटका लगा है। चुनाव आयोग ने आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने पर उन्हें नोटिस भेजा है। यह नोटिस उन्हें उनकी आसनसोल में हुई रैली के दौरान किए गए एक वादे के लिए भेजा गया है, जिसमें ममता ने सत्ता में वापसी पर आसनसोल को जिला बनाने का वादा किया था। उधर ममता बनर्जी ने इस नोटिस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है।
चुनाव आयोग की ओर से जारी कारण बताओ नोटिस पर ममता बनर्जी भड़क गईं हैं। उन्होंने चुनाव आयोग को चुनौती देते हुए कहा कि वह सभी नोटिस के जवाब 19 मई को देंगी। गौरतलब है कि 19 मई को विधानसभा चुनाव के नतीजे आएंगे।
गौरतलब है कि मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी ने कहा कि आचार संहिता का उल्लंघन करने के कारण चुनाव आयोग ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। एक संवाददाता सम्मेलन में जैदी ने कहा कि आयोग ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया है। उन्होंने ये भी कहा कि हमारी जानकारी में आया है कि उन्होंने आसनसोल से एक नया जिला बनाने का वादा किया जिसके बाद उन्हें कारण बताओ नोटिस भेजा गया है। जैदी ने कहा कि उन्होंने कुछ और टिप्पणी की जो कि आचार संहिता का उल्लंघन है।
बहरहाल मुख्य चुनाव आयुक्त ने बताया है कि बंगाल में प्रथम चरण के मतदान के बाद विभिन्न पार्टियों द्वारा कई शिकायतें मिली हैं और इन शिकायतों पर कार्रवाई करने के लिए चुनाव आयोग प्रतिबद्ध है। अगले पांच चरणों की चुनाव प्रक्रिया को स्वतंत्र व निष्पक्ष संपन्न कराने के लिए आयोग ने यहां केंद्रीय सुरक्षा बल के जवानों की संख्या और बढ़ाने का फैसला किया है। बाकी पांच चरणों के मतदान के दौरान यहां कुल 800 कंपनियां तैनात की जायेंगी। प्रथम चरण के मतदान के समय यहां 400 कंपनियां थीं। अब यहां और 400 कंपनियां असम से बुलायी जा रही हैं, जो बंगाल में मतदान प्रक्रिया पूरी होने तक रहेंगी।
आयोग ने डीजीपी को लगायी फटकार
प्रथम चरण के चुनाव के बाद राज्य में हुई हिंसा पर चुनाव आयोग ने राज्य के डीजीपी को फटकार लगायी है। मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि प्रथम चरण के मतदान के पहले व बाद दोनों ही समय यहां हिंसक घटनाएं हुई हैं। इस संबंध में उन्होंने राज्य के डीजीपी को यहां जमीनी स्तर पर कानून व्यवस्था को सुधारने का निर्देश दिया है और साथ ही कानून-व्यवस्था पर रोजाना रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। उन्होंने डीजीपी से किसी भी हिंसा पर त्वरित कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। जिन-जिन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज है, उनके खिलाफ कार्रवाई करनी ही होगी।
खूबी यह है कि संघी बंगाल में मार खा रहे हैं, लेकिन उन्हें रोने की इजाजत भी नहीं है
तृणमूल कांग्रेस के वीरभूम जिला अध्यक्ष अनुव्रत मंडल के संबंध में मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि उनके खिलाफ बहुज जल्द कानूनी कार्रवाई की जायेगी। गौरतलब है कि आयोग द्वारा अनुव्रत मंडल को पहले ही सेंसर किया जा चुका है और उसके बाद एक बार फिर से कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ क्या कानूनी कार्रवाई होगी, इसकी जानकारी आपको शीघ्र दे दी जायेगी।
दूसरी तरफ खास गौरतलब है कि मां माटी मानुष के राजकाज के तहत बंगाल के लोकतंत्र महोत्सव में कमल फूल तो कहीं खिलखिलाते नजर नहीं आ रहे हैं, लेकिन किसी भी कीमत पर वाम कांग्रेस गठबंधन को शिकस्त देने के लिए दीदी को जिताने के लिए संघ परिवार का हर दांव उसके लिए सत्यानाश की दास्तां लिख रहा है।
हाल में बंगाल में जितनी धुनाई और जितनी पिटाई भाजपाइयों और संघियों की हुई है, बाकी पूरे देश में उसकी कोई सानी नहीं है। खूबी यह है कि संघी बंगाल में मार खा रहे हैं, लेकिन उन्हें रोने की इजाजत भी नहीं है।
मसलन वीरभूम के सत्ता सिपाहसालार बाहुबलि ने मतदान से पहले विरोधियों को वैनिश कर देने की धमकी दी है और वहां गाज गिरी भाजपाइयों पर। मयूरेश्वर से भाजपाई फिल्म स्टार लाकेट चटर्जी चुनाव मैदान में हैं जो रूपा गांगुली के साथ संघ परिवार का ग्लेमक कोशेंट हैं। लाकेट बंगाल में और बाकी देश में परम आदरणीय रामकृष्ण परमहंस के वंशजों के परिवार से हैं।
बंगाली भावनाओं और धर्म का यह शानदार रेसिपी मयूरेश्वर में किसी काम का नहीं है। अब तक बीरभूम जिले में मारामारी वाम दलों और सत्ता दल के बीच होती रही है। अब वाम कांग्रेस गठबंधन बनने के बाद सत्ता सिपाहियों के लिए मसल पावर से वोटरों को डराने धमकाने की कवायद में संघी केसरिया कार्यकर्ता हाट केक नजर आ रहे हैं।
इसी समीकरण के तहत सर्वत्र जंगलमहल से लेकर भाजपाइयों की पिटाई का कार्यक्रम पिछले दिनों लोकतंत्र महोत्सव का लाइव प्रसारण रहा। आसनसोल में बाबुल सुप्रिय सांसद हैं तो क्या वहां भी व्यापक पैमाने पर भाजपाई पिटे गये।
तीसरे चरण में उत्तर बंगाल की 45 सीटों पर मतदान होना है। जंगल महल की तरह वहां माओवादी नहीं हैं लेकिन संघ परिवार कामतापुरी और गोरखा राज्य समर्थकों के दम पर उत्तर बंगाल भी जीतना चाहते हैं। उनके लिए मुश्किल है कि समूचा उत्तर बंगाल इस वक्त दीदी के लिए सबसे बड़ी चुनौती है और मालदह मुर्शिदाबाद के मुस्लिमबहुल इलाकों में भी कांग्रेस के मुकाबले दीदी पीछे ही हैं।
बाकी जिलों में जहां वाम समर्थन प्रबल है, वहां कांग्रेस साथ है। ऐसे हालात में इन तमाम इलाकों में पिछले दो चरणों के मुकाबले लड़ाई कांटे की होगी और भूतों का नाच सिर्फ बूथों और बूथों के आस पास सीमाबद्ध नहीं रहने वाला है।
जैसा कि बीरभूम में महीनों पहले से दहशत का माहौल कायम हैं जहां दिन हो या रात हथियारबंद भूतों का पहरा है कि परिंदा भी पर कहीं मार न सकें। वाम कांग्रेस को सबक सिखाने के लिए संघियों की वहां बलि चढ़ाने की तैयारी है। इसके लिए रस्म अदायगी बतौर यज्ञ होम इत्यादि के सात ओ3म स्वाहा का मंत्र जाप चल रहा है और वैनिश करने के नमूने के तौर पर बजरंगी पीटे जा रहे हैं।
संघ परिवार के लिए शर्म की बात है कि बाकी देश में वे किसी को भी राष्ट्रद्रोही घोषित कर देते हैं। विश्वविद्यालय तक पर हमला कर देते हैं। धर्मस्थलों का ठेका उन्हीं के पास है तो धर्म कर्म कारोबार का भी। कलबुर्गी, पनसारे से लेकर महात्मा गांधी तक इनकी राष्ट्रभक्ति का गौरवशाली इतिहास है। अभी-अभी इन्हीं बजरंगियों ने शनिमंदिर में स्त्रियों के प्रवेश के आंदोलन का नेतृत्व किया तो उन मंदिरों में भी आंदोलन चलाने का ऐलान कर दिया, जहां स्त्री का प्रवेशाधिकार निषिद्ध है।
बजरंगियों ने उन्हीं तृप्ति देसाई को पीट दिया और जेएनयू से बाबासाहेब की 125वीं जयंती पर दीक्षाभूमि जाते हुए नागपुर में भी उनको घेर दिया।
सारे देश में जिन बजरंगियों का यह अखंड प्रताप है, वे केंद्रीय वाहिनियों, चुनाव आयोग के तमाम पर्यवेक्षकों की देख रेख में सरेआम पीटे जा रहे हैं लेकिन उनका माई बाप कोई नहीं है क्योंकि यूपी के चुनाव से पहले बंगाल में वाम कांग्रेस गठबंधन को शिकस्त देने की रणनीति के तहत संघ परिवार हर सूरत में दीदी की ताजपोशी नये सिरे से करना चाहता है।
रोते पिटते गुहार लगाते संघियों की शिकायतों की भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
इसे लेकर नई दिल्ली में स्यापा इतना जबर्दस्त हुआ कि बर्दाश्त की भी हद होती है कि मुख्य चुनाव आयुक्त आगे संघियों की कमसकम पिटाई न हो, यह सुनिश्चित करने तीसरे चरण से पहले बंगाल पधारे हैं।
सघियों को सोचना चाहिए कि बीरभूम में 11 सीटें हैं और वहां खेत पर खेत हो जाने की रघुकुल रीति है और भूत बिरादरी किसी को बख्शने के मूड में नहीं है। खुलेआम हत्या हो जाने के बावजूद वहां एफआईआर तक दर्ज होने की भी परंपरा नहीं है।
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