तेजस्वी यादव के दिल की बात -
भाजपाई छद्म राष्ट्रवाद की विफलता
नई दिल्ली। बिहार के युवा उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव इस समय सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय हैं। वह अपने फेसबुक पेज पर “मेरे दिल की बात” श्रंखला में लेख लिख रहे हैं। कहा जा रहा है तेजस्वी की “मेरे दिल की बात” प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “मन की बात” का प्रत्युत्तर है।
आइए पढ़ते हैं तेजस्वी यादव क्या लिख रहे हैं “मेरे दिल की बात” श्रंखला में अपने लेख “भाजपाई छद्म राष्ट्रवाद की विफलता” में .....
विगत एक साल में आर्थिक और सामाजिक विफलताओं से सन्न आरएसएस और बीजेपी अपने आप को हर मोर्चे पर घिरा देखकर बुरी तरह घबरा चुकी है। इनके हाथ पाँव पूरी तरह फूल चुके हैं। इनका राजनीतिक चिंतन और समझ संतुलन खो चुका है। केंद्र सरकार अति महत्वपूर्ण आर्थिक,सामाजिक एवं राजनैतिक मामलों में पूर्णरूप से असफल होने के बाद आम अवाम का ध्यान भटकाने के नए नए तरीके इजाद कर रही है। अपने ही मान्यता प्राप्त और आनुषांगिक संगठनों से 'विभाजनकारी मुद्दे' प्लांट करवा कर उन्हें राष्ट्र बहस का मुद्दा बना देती है ताकि उनकी वादाखिलाफी से लोगों का ध्यान बँट सके।
हमारा मानना है कि केंद्र सरकार जेनयू में जो करवा रही है, उसकी आग में ये खुद झुलस जायेगी। बिहार में हारने के बाद भाजपाई बिहार एवं सभी प्रगतिशील बिहारियों के पीछे पड़ गए हैं। बिहार के कन्हैया कुमार का क्या दोष था ये लोग कभी साबित नहीं कर पाएंगे, पूरे बिहार के छात्र एवं युवा कन्हैया के साथ खड़े हैं। बिहार की हार को अभी 4 महीने भी नहीं हुए हैं कि फिर ये बिहारियों से पंगा ले रहे हैं। केंद्र की फासीवादी सरकार छात्रों और युवाओं का दमन करना चाहती है। केंद्र की सत्ता के नशे में चूर पार्टी को बताना चाहता हूँ कि युवाओं के डेमोक्रेटिक राइट्स एवं स्पेस में दखलदांजी बंद करो अन्यथा जिस दिन इस देश के सारे छात्र एवं युवा एक हो गए आपको कोई ठौर नहीं मिलेगी।
हम सभी देशभक्त हैं, बाबा साहेब के संविधान एवं लोकतांत्रिक मूल्यों में पूर्ण विश्वास रखते हैं पर आपके "स्कूल ऑफ़ थॉट" व गुरु गोलवलकर के "Bunch of thoughts" की पाठशाला से हमें देशभक्ति का सर्टिफिकेट नहीं चाहिए जहाँ देशभक्त दलितों/पिछड़ों को हीन भावना से देखने के साथ-साथ उनको उत्पीड़ित करने की शिक्षा दी जाती हो। मैं दावे के साथ कहता हूँ कि इस देश के 80 फ़ीसदी युवा आपके विचार के पास से गुजरना भी नहीं चाहते।
आप किस राष्ट्रवाद का दंभ भरते हैं? राजधानी दिल्ली के पटियाला कोर्ट में दिन दहाड़े जो हुआ व कोर्ट के आदेशों की जो अनदेखी हुई क्या ये राष्ट्रवाद है? देश की बहुसंख्यक आबादी की भावनाओं के साथ घिनौना खिलवाड़ करना, उनके हकों की हकमारी एवं बेशर्मी की सभी सीमाओं को लाँघना ही क्या आपका राष्ट्रवाद है?
आज बीजेपी और उसकी समर्थित संस्थाएँ और संगठन राष्ट्रवाद को एक हॉट प्रोडक्ट बना कर जनता को बेचना चाहती है ताकि इनके काले कारनामे इन बहसों के शोर शराबे में दब जाएं। भुखमरी, बेरोज़गारी, स्वाथ्य और शिक्षा के प्रश्नों पर संवेदनहीन मोदीजी की सरकार से पूछना चाहता हूँ कि:-
1 . आपकी सरकार ने पूंजीपतियों के एक लाख चौदह हज़ार करोड़ के कर्जे माफ़ किये हैं, इस श्रेणी में वो कौन महान राष्ट्रवादी लोग कौन हैं, क्या ये बताने का कष्ट करेंगे?
2 . क्या आपकी सरकार में इतना कलेजा है कि वो उन गरीब राष्ट्रप्रेमी किसानों के इतने कर्जे माफ़ कर दे जो आये दिन हज़ारों की संख्या में आत्महत्या करते हैं? किसानों की लगातार बढ़ती आत्महत्या क्या आपके आधारहीन और खोखले राष्ट्रवाद का हिस्सा नहीं है?
जब गरीब, मजदूर, किसान, दलित एवं पिछड़े को मारा जाता है और आपके केंद्रीय मंत्रियों द्वारा पढ़ाई छोड़ने को मजबूर किया जाता है तब आपका राष्ट्रवाद कहाँ गायब हो जाता है? रोहित वेमुला के द्वारा चिन्हित प्रश्नों पर आपकी लगातार चुप्पी आपराधिक प्रतीत होती है।
जब आपही की पार्टी के लोग एक आतंकी को साथ बैठाकर काबुल छोड़ने जाते हैं तब आपका राष्ट्रवाद कहाँ चला जाता है?
जब आप ही की सहयोगी पार्टी पीडीपी के लोग कानून द्वारा दोषी करार दिए गए अफजल गुरु को शहीद बताते हैं तब आपके छद्म राष्ट्रवाद को देशद्रोह की बू नहीं आती ?
आरएसएस के दफ्तरों पर जब हमारे प्यारे विजयी तिरंगे की जगह कोई दूसरा झंडा फहरता है तब आपका राष्ट्रप्रेम कहाँ ठिकाने तलाश रहा होता है ?
माफ़ कीजियेगा... आप और आपके संगठनों का राष्ट्रवाद तो जब जगता है तब बाबा साहेब के नारों से देश गूंजता है, जब गांधी जी की पूजा होती है, जब ज्योतिबा फूले, कर्पूरी ठाकुर और रोहित वेमूला के नाम पर इस देश के दलित, पिछड़े एवं प्रगतिशील लोग एक हो जाते हैं। दलित, पिछड़े और प्रगतिशील अवाम जब एक मुट्ठी बनकर एकता का सन्देश देते हैं तब छद्म राष्ट्रवाद के नाम पर नागपुर के आपके लोगों की साँसे फूलती है और देशभक्ति का प्रमाणपत्र बाँटने वाले वो चंद मुट्ठी भर ठेकेदार लोग इस गौरवशाली देश की चट्टानी एकता व गंगा-जमुनी तहजीब को तोड़ने का कुचक्र रचते हैं।
भाजपा और आरएसएस के लोग भारत के पवित्र सँविधान की जगह गुरु गोलवलकर का एजेंडा लागू करना चाहते हैं। ये लोग लाल किला पर हमारे प्यारे तिरंगे की जगह भगवा ध्वज फहराना चाहते हैं। मैं इनको बताना चाहता हूँ कि इस देश में समाजवादियों एवं निरपेक्ष लोगों विशेषकर आदरणीय लालू जी जैसे सामाजिक न्याय एवं धर्मनिरपेक्षता के योद्धा के रहते ये कभी भी संभव नहीं होगा।
दोस्तों, एक विशेष विचार के लोगों ने देश की एकता एवं संप्रभुता के सामने विचित्र संकट खड़ा कर दिया है। हम सबों का नैतिक एवं राष्ट्रीय दायित्व बनता है कि मिलजुल कर शांति से इस मसले का समाधान करने में अपना योगदान दें।