महाराष्ट्र सरकार ने चार दिनों के लिए मुंबई में मांस-मच्छली के सेवन पर प्रतिबन्ध लगा दिया है। इन चार दिनों में जैन समुदाय का धार्मिक उत्सव है। महाराष्ट्र का संघ संचालित भाजपा सरकार महाराष्ट्र में बीफ खाने पर प्रतिबन्ध लगाकर बेरोज़गार लोगों को कोई वैकल्पिक रोज़गार अभी तक मुहैया नहीं किया है, लेकिन बीफ का निर्यात भाजपा की सरकार ने कई गुना बढ़ा दिया है शायद विश्व-मुद्रा-व्यवस्था में चीन की जगह लेने का काल्पनिक उपाय है।
इन चार दिनों में मुंबई और आसपास के कोली समुदाय के लोगों में रोष है क्योंकि ये समंदर से मच्छली जान-जोखिम में डालकर अपना जीवन -बसर करते हैं। प्रश्न उठता है कि जितने भी धर्म के धार्मिक-उत्सव होंगे, क्या खाने-पीने की चीज़ों पर यूँ ही प्रतिबन्ध लगाकर लोगों को टंगी के हवाले कर दिया जाएगा ?
अभी मुंबई में गणपति उत्सव आरम्भ होने वाला है, क्या इस दौरान भी मान-मच्छली पर रोक लगेगा ? फिर दुर्गा पूजा, दीवाली आने वाली है, तो इन अवधियों में भी मांसाहार पर रोक लगेगी ?
कोली समुदाय कल उत्तेजित थे और इसीलिए राजनीतिक लाभार्थ के लिए शिवसेना ने भाजपा के इस प्रतिबन्ध का विरोध किया है। सभी जानते हैं कि शिवसेना भाजपा के साथ महारष्ट्र में सरकार चला रही है। कोली समुदाय शिवसेना को वोट देता रहा है।
मांस-मछली पर प्रतिबन्ध, भाजपा की धार्मिक तुष्टिकरण और जैन समुदाय
जैन समुदाय को खुश करने की भाजपा की तुष्टिकरण की ये नीति है। भाजपा कांग्रेस पर आरोप लगाती रही है कि ये अल्पसंख्यकों, खासकर मुसलमानों का तुष्टिकरण करती रही है। क्या भाजपा जैन को तुष्टिकरण कर वोट लेने की कोशिश नहीं कर रही है ? भाजपा जैन समुदाय को भी साम्प्रदायिकता के रंग में रंगने की कोशिश कर रही है। प्रधानमंत्री मोदी गया में बोध-समागम में जाकर वही काम कर रहे हैं जो उनके मुख्यमंत्री फड़नवीस कर रहे हैं हैं। सारी दुनिया जानती है कि बौद्ध-धर्म का उदय हिन्दू-धर्म की जातिगत आक्रामकता के खिलाफ हुआ है। धार्मिक-सद्भाव अच्छी बात है लेकिन बौद्ध धर्म को हिन्दू धर्म का एक हिस्सा कहना इतिहास को झुठलाने का प्रयास है।
यूँ मोदी सरकार इतिहास की वास्तविकता को कितना भी दबाने की कोशिश कर लें, इतिहास के अंदर जनसमूहों की सामूहिक चेतना एक दिन विस्फोट करेगी।
मुख्यमंत्री फड़नवीस जनता के रहन-सहन और खाने पर प्रतिबन्ध लगाकर हिन्दू-धर्म की कट्टरता को बढ़ावा दे रहे हैं। जो धार्मिक लोग हैं अपने धार्मिक उत्सव में यूँ भी मांस-मच्छली नहीं खाते हैं लेकिन इस तरह के प्रतिबन्ध से दूसरे धार्मिक समुदाय के खाने-पीने पर क्यों रोक लगाया जाए।
सत्य प्रकाश गुप्ता
Tags मछली
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