श्वा यदि क्रियते राजा स किं नाश्रातयुपानहम् ?
बनारस व लखनऊ में नरेन्द्र मोदी का जनता के विभिन्न तबकों में काले झंडों व मोदी गो बेक के नारों से स्वागत किया. बनारस में कई बार लाठी चार्ज भी करना पड़ा.
वाराणसी में एक ओर पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के 100वें दीक्षांत समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शिरकत कर रहे थे तो वहीं दूसरी ओर बीएचयू गेट के बाहर पुलिस बल प्रयोगकर और लाठीचार्ज कर विरोध कर रहे दलित संगठनों और छात्रों पर काबू पाने की कोशिश में जुटी थी.
हजरतगंज लखनऊ में छात्रों ने काले झंडे दिखाए.
नरेन्द्र मोदी की सरकार बने हुए अभी दो वर्ष भी नहीं पूरे हुए हैं कि जनता के विभिन्न तबकों द्वारा जगह-जगह पर उनके खिलाफ आक्रोश प्रदर्शन तेजी से हो रहा है.
अच्छे दिन लाने का वादा करने वाले मोदी की एक मात्र उपलब्धि यह है कि सब्सिडी कटौती और कॉर्पोरेट सेक्टर को लाखों-लाख करोड़ रुपये का फायदा पहुँचाना.
ऊपर लिखा गया श्लोक अब उनके ऊपर ठीक तरह से लागू हो रहा है. हैदराबाद विश्वविद्यालय से लेकर जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय तक छात्रों का आन्दोलन चल रहा है. इन आन्दोलनों को पैदा करने का काम अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् का है.
शासन में आने के बाद विभिन्न विचारों के मानने वाले लोगों को देशद्रोही साबित करके अपमानित करने का जो तरीका इस सरकार ने अपनाया है वही उसके संकट का कारण है.
जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय में उद्गम संकट को पैदा करने में गृह मंत्री राजनाथ सिंह, दिल्ली पुलिस कमिश्नर बस्सी तथा अखिल विद्यार्थी परिषद् का मुख्य हाथ है. इतनी दुर्दशा होने के बाद भी दिल्ली पुलिस कमिश्नर बीएस बस्सी कहते हैं कि देशद्रोह का आरोप झेल रहे जेएनयू छात्रों को अगर लगता है कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया तो उन्हें सबूत देने होंगे। जबकि अगर उन्होंने देशद्रोह किया है तो उसको साबित करने का काम पुलिस को करना है. पुलिस के पास सबूत न होने के बावजूद कन्हैया कुमार को कारागार में निरुद्ध कराये हुए हैं.
इसी सन्दर्भ में हितोपदेश के ऊपर लिखे श्लोक का अर्थ यह है कि जिसका जैसा स्वभाव है, वह सर्वदा छूटना कठिन है, जैसे…
यदि कुत्ते को राजा कर दिया जाए, तो क्या वह जूते को नहीं चबाएगा ?
शासक दल एक गणवेश, एक विचार को लाठी से डरा धमका कर मनवाने के लिए प्रयत्नशील है जिसके विरोध में समाज के विभिन्न तबके विरोध कर रहे हैं.