व्यथा देशद्रोही न होने की
अभागे हो पिटे नहीं अब तक
माँ बहिन की गालियाँ नहीं मिली
स्याही नहीं पोती
देशद्रोही घोषित नहीं हुए
कैसे चलेगा ‘राष्ट्रवादियों’ का भंडारा
पड़े हैं कोरे प्रमाण पत्र
आपका नाम छपे
गालियों का प्रसाद मिले
आपके भी दिन फिरें
देशद्रोही का तमग़ा मिले
? जसबीर चावला