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हिन्दुत्व के हमले को कभी बीजेपी ‘लीड’ करती है तो कभी कांग्रेस- चमड़िया

There is a need to fight both casteism and Hinduism in India. Hinduism cannot be fought by giving exemption to casteism. Lalu-Nitish's secularism is of a very hollow type, which is limited only to garnering the votes of the minorities.

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hastakshep
11 Dec 2015 | एडिट 05 May 2023
हिन्दुत्व के हमले को कभी बीजेपी ‘लीड’ करती है तो कभी कांग्रेस- चमड़िया

हिन्दुत्व के हमले को कभी बीजेपी ‘लीड’ करती है तो कभी कांग्रेस- चमड़िया

भारत में जातिवाद और हिंदूवाद दोनों से लड़ने की जरूरत है। जातिवाद को छूट देकर हिंदुवाद से नहीं लड़ा जा सकता है...

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भागलपुर (बिहार), 11 दिसंबर 2015: वरिष्ठ पत्रकार अनिल चमड़िया ने कहा है कि सांप्रदायिकता हिन्दू बनाम मुसलमान का मसला नहीं हैं। सांप्रदायिकता धर्म भी नहीं है बल्कि यह सत्ता एवं शासकवर्गीय राजनीतिक शक्तियों का औज़ार है। इस देश में लंबे समय से हिन्दुत्व का हमला जारी है। हिन्दुत्व के इस हमले को कभी बीजेपी ‘लीड’ करती है तो कभी कांग्रेस।

श्री चमड़िया यहाँ न्याय मंच, प्रोग्रेसिव स्टूडेंट्स फोरम, नौजवान संघर्ष सभा और इप्टा के संयुक्त तत्वावधान में मुस्लिम हाईस्कूल के सभागार में आयोजित ‘सांप्रदायिकता की चुनौतियां और हमारी भूमिका’ विषयक संगोष्ठी में बोल रहे थे।

अनिल चमड़िया ने आगे कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ ऊंची आवाज में बोल रहे राहुल गांधी और सोनिया को पता होना चाहिए कि नरेंद्र मोदी की सरकार बनने की पृष्ठभूमि मनमोहन सिंह की ही सरकार ने बनाई थी। इसलिए सांप्रदायिकता के खिलाफ की लड़ाई बीजेपी-कांग्रेस के बीच का खेल बनकर नहीं रह जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सांप्रदायिकता विकास विरोधी होती गुजरात के विकास मॉडल की सच्चाई सामने आ चुकी है। आज केवल मुसलमानों पर ही हमले नहीं हो रहे हैं, हमला 95 फीसदी जनता पर हो रहा है। दलितों-आदिवासियों, महिलाओं, सिक्खों-ईसाइयों पर हमले हो रहे हैं। देश-समाज को बचाने व आने वाली नस्लों के बेहतर भविष्य के लिए सांप्रदायिकता के खिलाफ एक बड़ा मोर्चा बनाने की जरूरत है।

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आरएसएस के खूनी अभियान को राज्यसत्ता का संरक्षण हासिल है और देश की पुलिस आरएसएस के सुरक्षा बल के बतौर काम कर रही है...

संगोष्ठी को संबोधित करते हुए मशहूर चिंतक-लेखक गौतम नवलखा ने कहा कि इस देश में बहुसंख्यावाद निरंतरता में है लेकिन आज के दौर में यह बहुसंख्यावाद फासीवाद की ओर बढ़ती हुई दीख रही है। दादरी में अखलाक की हत्या होती है सत्ता उसे जायज करार देती है। नरेंद्र मोदी का विरोध करने का मतलब इस देश में राष्ट्रद्रोह होता जा रहा है। आरएसएस के खूनी अभियान को राज्यसत्ता का संरक्षण हासिल है और देश की पुलिस आरएसएस के सुरक्षा बल के बतौर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि नब्बे के दशक से देश में वैश्वीकरण-निजीकरण की शुरुआत हुई- इसे कांग्रेस ने शुरू किया और बीजेपी ने इसे बढ़ाया। बीजेपी ने इसमें भगवाकरण को जोड़ दिया। बेशक कांग्रेस बीजेपी को मौका देती है। आज शिक्षा, संस्कृति, विज्ञान व जीवन के हर क्षेत्र में भगवा हमला तेज है। अभिव्यक्ति की आजादी पर हमले किए जा रहे हैं। आरएसएस यदि सफल रहा तो हम बोल भी नहीं पायेंगे, सारे मारे जाएँगे। 

उन्होने कहा कि प्रगतिशील, क्रांतिकारी, लोकतान्त्रिक शक्तियां अपने-अपने खोल से निकलकर बड़ा मोर्चा बनाने के लिए आगे आयें।

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सांप्रदायिकता का अर्थव्यवस्था के साथ रिश्ता

जेएनयू के प्रोफेसर एसएन मालाकार ने कहा कि सांप्रदायिकता का रिश्ता अर्थव्यवस्था के साथ है। पूरी दुनिया में इस्लाम विरोधी माहौल बनाने के पीछे अमेरिकी स्वार्थ ही रहा है। उन्होंने कहा कि भारत में जातिवाद और हिंदूवाद दोनों से लड़ने की जरूरत है। जातिवाद को छूट देकर हिंदुवाद से नहीं लड़ा जा सकता है। जातिवाद और हिंदुवाद दोनों एक- दूसरे से अंतर्संबंधित है।

संगोष्ठी को वरिष्ठ समाजसेवी मानी खान, प्रोफेसर फारुक अली, रामशरण, डॉ. योगेन्द्र, डॉ. केके मंडल, डॉ चंद्रेश, डॉ. रामनारायण भाष्कर, हाजी अब्दुल सत्तार, प्रो अरविंद कुमार, नौजवान संघर्ष सभा के संयोजक नवीन कुमार, प्रोग्रेसिव स्टूडेंट फ्रंट के कोर कमिटी सदस्य रिंकी ने संबोधित किया। धन्यवाद ज्ञापन इप्टा के संजीव कुमार ‘दीपू’ ने और संचालन न्याय मंच से जुड़े डॉ. मुकेश कुमार ने किया। उक्त अवसर पर सौरभ तिवारी, सुधीर शर्मा, उदय, प्रवीर, अर्जुन शर्मा, शशांक सिंह, शिशुपाल भारती, डॉ. सुधांशु शेखर, डॉ. सीतांशु कुमार, डॉ. मिथिलेश कुमार, रंजन कुमार, डॉ. अवधेश, संदीप कुमार, अमित कुमार, रौशन कुमार, दीपक मंडल, मुकेश मुक्त, संतोष यादव, गौरी शंकर, महेश यादव, रणधीर यादव, विजय यादव, रवि कुमार, रणजीत मंडल, रवीन्द्र कुमार, रणजीत मोदी, जावेद, मो. जब्बार, नूर शाह, बन्नी बेगम, सोमू राज, गगन सिंह, अजीत सिंह राठौर सहित दर्जनों लोग उपस्थित हुए।

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लोकार्पण : लालू-नीतीश का सेकुलरिज़्म अत्यंत ही खोखले किस्म का है जो अल्पसंख्यकों का वोट बटोरने तक ही सीमित है...

संगोष्ठी के दूसरे सत्र में 1989 के भागलपुर सांप्रदायिक हिंसा के 25 साल बाद दंगापीड़ितों की स्थिति पर कानपुर के शरद जायसवाल द्वारा पिछले दिनों किए गए अध्ययन के आधार पर तैयार  पुस्तक – भागलपुर राष्ट्रीय शर्म के पच्चीस साल का अनिल चमड़िया, गौतम नवलखा, एसएन मालाकार सहित अन्य लोगों के हाथों लोकार्पण हुआ। पुस्तक के लेखक शरद जायसवाल ने कहा कि भागलपुर सांप्रदायिक दंगे के पच्चीस साल बाद भी दंगापीड़ित इंसाफ से वंचित हैं। दंगा कांग्रेस के कार्यकाल में हुआ और 25 साल तक लालू-नीतीश जैसे कथित सेकुलर की सरकार चलती रही। इन पीड़ितों के न्याय, पुनर्वास व बुनियादी सुविधाओं की बहाली पर विशेष ज़ोर देना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। लालू-नीतीश का सेकुलरिज़्म अत्यंत ही खोखले किस्म का है जो अल्पसंख्यकों का वोट बटोरने तक ही सीमित है।

संगोष्ठी को देश के गौतम नवलखा, चर्चित वरिष्ठ पत्रकार अनिल चमड़िया (दिल्ली) एवं जेएनयू के प्राध्यापक प्रोफेसर एसएन मालाकार ने संबोधित किया।

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