काव्य रस की फुहार में भीगे साहित्य प्रेमी
वर्धा, 6 अगस्त 2017: मैथिलीशरण गुप्त ने देश की स्वतंत्रता के लिए लोगों में जागरूकता लाने के लिए कविता के माध्यम से बड़ा योगदान दिया। उनकी कविताओं ने स्वतंत्रता की चेतना का संचार जनमानस में किया।
उक्त विचार महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. गिरीश्वर मिश्र ने व्यक्त किये। वे राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त की 131वीं जयंती के उपलक्ष्य में महात्मा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में आयोजित समारोह में कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बोल रहे थे।
सरोजिनी नायडू सभागार में गुरुवार, 3 अगस्त को आयोजित कार्यक्रम में मंच पर विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति प्रो. आनंद वर्धन शर्मा, अतिथि अध्येता श्रीराम परिहार, नंदिनी मेहता, डॉ. एस. छाबड़ा, डॉ. के. आर. पातोंड, डॉ. ओ. पी. गुप्ता और डॉ. सतीश कुमार उपस्थित थे। कुलपति प्रो. मिश्र ने मैथिलीशरण गुप्त के कुछ काव्य उद्धरणों के हवाले से उनके हिंदी साहित्य व भारतीय समाज के जागरण में उनके अप्रतिम योगदान को याद किया तथा अयुर्विज्ञान संस्थान सेवाग्राम में गुप्त जयंती समारोहों की 21 वर्ष की सतत श्रृंखला की सराहना की।
कार्यक्रम का प्रारंभ कस्तूरबा गांधी, महात्मा गांधी और मैथिलीशरण गुप्त की प्रतिमा पर माल्यार्पण तथा दीप प्रज्ज्वलन से किया गया। सुश्री तनया सेठ ने सरस्वती वंदना तथा स्वागत गीत प्रस्तुत किया। इस अवसर पर मेडिसिन विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. ओ. पी. गुप्ता द्वारा रचित दो पुस्तकों का लोकार्पण मंचासीन अतिथियों ने किया। काव्य सत्र में हिंदी और गुजराती की वरिष्ठ कवियित्री श्रीमती नंदिनी मेहता ने अपनी कविताएं प्रस्तुत की जिसमें हमारा घर, खुशी की खोज, मॉं की याद आदि कविताएं प्रमुख थी। इस मौके पर उन्होंने आयुर्विज्ञान संस्थान से जुड़े संस्मरण भी सुनाए। इसी कड़ी में प्रो. आनंद वर्धन शर्मा ने एक भीतर वाला एक बाहर वाला, बेगमपुरा तथा मॉं पर गज़ल प्रस्तुत कर प्रकृति की अनुपम छटा तथा कबीर एवं गांधी जी की परंपरा की बात की।
उद्बोधन सत्र में श्रीराम परिहार ने ‘गुप्त जी का सांस्कृतिक दृष्टिबोध’ पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में साहित्य की महती भूमिका व गुप्त जी द्वारा महाकाव्यों में सदा उपेक्षित रहे स्त्री पात्रों के माध्यम से सांस्कृतिक जागरण को नई स्फूर्ति देने की बात कही। गुप्त के जीवन एवं कार्यों पर प्रकाश ड़ाला। श्रीमती नंदिनी मेहता ने अपने पुस्तकें हिंदी विश्वविद्यालय के पुस्तकालय को भेंट की जिसे कुलपति प्रो. मिश्र ने स्वीकार किया।
अतिथियों का परिचय गीता गुप्ता, डॉ. अनवर अहमद सिद्दीकी तथा डॉ. अनिल कुमार दुबे ने कराया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अनुपमा गुप्ता ने किया तथा आभार नरेंद्र दंढारे ने माना।
इस अवसर पर डॉ. प्रतिभा नारंग, विरेंद्र व्यास, डॉ. हेमचंद्र वैद्य, आशा गुप्ता, मदन मोहन विश्वकर्मा, डॉ. एस. कुमार, रेणु गुलाटी, डॉ. सूरज पालीवाल, डॉ. शोभा पालीवाल, डॉ. दिलीप गुप्ता, प्रो. के. के. सिंह, मुरलीधर बेलखोडे, बी. एस. मिरगे, अमित विश्वास, डॉ. राजेश्वर सिंह, प्रो. देवराज, डॉ. उल्लास जाजू, अनिल नरेडी, मोहनबाबू अग्रवाल, इमरान राही, शहनाज सिद्दीकी, भव्या सेठ, वर्धा के हिंदी साहित्य प्रेमी एवं महात्मा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के अधिकारी, कर्मी एवं विद्यार्थी प्रमुखता से उपस्थित थे।