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ये है कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के पीछे बदसूरत सच
The ugly truth behind workplace harassment
78% of those who were sexually harassed at work place did not report it
नई दिल्ली, 17 अक्तूबर। अमरीका से शुरू हुआ #MeToo अभियान अब भारत में भी सुर्खियों में है। मोदी सरकार के नवरत्न केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर #MeToo अभियान की चपेट में हैं तो बॉलीवुड से लेकर राजनीति और मीडिया में भी तूफान मचा है। लेकिन एक सर्वे में खुलासा हुआ है कि कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न की शिकार 78% ने इसकी रिपोर्ट नहीं की। यानी कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के जितने मामले दर्ज हुए हुए लगभग उसके चार गुना दर्ज ही नहीं हुए।
लोकल सर्किल्स के एक ऑनलाइन सर्वे में यह बात निकलकर सामने आई कि कॉर्पोरेट सेक्टर से लेकर सरकारी नौकरी और कारखानों से लेकर रियल एस्टेट और निर्माण क्षेत्र और शहरी व ग्रामीण दोनों कार्यस्थलों पर यौन उत्पीड़न आम है।
यौन उत्पीड़न की प्रकृति समझने के लिए लोकल सर्किल्स ने नागरिकों से समझने की कोशिश की कि किस तरह का यौन उत्पीड़न उन्होंने कार्यस्थल पर महसूस किया।
इस सर्वे में 28000 से ज्यादा वोट पड़े और 15000 से ज्यादा यूनिक नागरिकों ने अपना मत दिया।
पहला सवाल पूछा गया कि यदि भारत में कार्ययस्थल पर यौन उत्पीड़न आम है तो उनका अनुभव कैसा रहा। तो 32 प्रतिशत ने कहा कि उन्होंने या उनके परिजन ने कार्ययस्थल पर यौन उत्पीड़न सहा है। 45 प्रतिशत ने कहा कि उन्होंने कार्ययस्थल पर यौन उत्पीड़न महसूस नहीं किया, जबकि 23 प्रतिशत अनिश्चित थे कि कार्ययस्थल पर यौन उत्पीड़न सहा है या नहीं।
78% ने कहा कि भले ही वे या परिवार के सदस्य को कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ा, फिर भी उन्होंने एचआर या वरिष्ठ नेतृत्व में इसकी रिपोर्ट नहीं की। केवल 22% ने कहा कि वे आगे बढ़े और उन्होंने इसकी सूचना ऊपर दी।
50 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनके साथ कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न नियमित कार्यालय समय में हुआ जबकि 19 प्रतिशत ने कहा कि उनके साथ यह हरकत ऑफिस ऑवर्स के बाद कार्यस्थल पर ही हुई। 31 प्रतिशत का कहना था कि उनके साथ यह हरकत सामाजिक सभाओं या निजी स्थानों पर हुई।
इसलिए, यह साफ है कि यौन उत्पीड़न का सामना करने वाले लोगों में से 69%, प्रकरण उनके कार्य परिसर में ही हुए।
इस सर्वे से यह भी जाहिर होता है कि यौन उत्पीड़न के मामले शराब के नशे में पार्टियों में नहीं हुए बल्कि ये सचेत हमले थे।
इस प्रश्न के उत्तर में कि कार्यस्थल पर किस तरह का यौन उत्पीड़न हुआ 50 प्रतिशत ने कहा कि शारीरिक संपर्क, 19 प्रतिशत ने कहा यौन संबंध की मांग। 31 प्रतिशत ने कहा कि या तो उन पर अश्लील टिप्पणियां की गईं या अश्लील प्रदर्शन किए गए।
भारत में यौन उत्पीड़न की शिकायत करना हमेशा इतना आसान नहीं होता। एक बड़ी निजी फर्म की एक कर्मचारी को कुछ दिन पूर्व नौकरी से निकाल दिया गया, क्योंकि उसने अपने एक उच्चाधिकारी की शिकायत एचआर विभाग में कर दी थी।
यौन उत्पीड़न की शिकायत करने वालों को कानूनी सहायता
कुछ आरोपियों ने शिकायतकर्ताओं के खिलाफ मानहानि के केस दायर दर दिए और कई शिकायतकर्ताओं को धमका रहे हैं। लेकिन ठीक इसी समय कई लोग यौन उत्पीड़न की शिकायत करने वालों को कानूनी सहायता देने के लिए भी हाथ बढ़ा रहे हैं।
सवाल यह है कि क्या #MeToo आंदोलन बॉलीवुड और मीडिया से निकलकर कॉर्पोरेट सेक्टर, सरकारी नौकरियों और घरेलू श्रमिकों के लिए भी आगे बढ़ेगा या सिर्फ नकली रिपोर्टिंग और स्कोर बढ़ाने की अंधी गलियों में गुम हो जाएगा।
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