रवींद्र का दलित विमर्श-24 पलाश विश्वास रवींद्रनाथ टैगोर पर बचपन और किशोर वय में ही उत्तर भारत के कबीरदास और सूरदास के साहित्य का गहरा असर रहा है और संत सूफी साहित्यकारों के अनुकरण में ब्रजभाषा में उन्होंने भानुसिंह के छद्मनाम से बांग्ला लिपि में पदों की रचना की जो गीताजंलि से पहले की उनकी रचनाधर्मिता है और ऐसा …
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महिमामंडन और चरित्रहनन के शिकार रवींद्रनाथ! फासीवादी राष्ट्रवाद के निशाने पर रवींद्र नाथ शुरू से हैं
रवींद्र का दलित विमर्श-22 पलाश विश्वास सवर्ण भद्रलोक विद्वतजनों ने नोबेल पुरस्कार पाने के बाद से लेकर अबतक रवींद्र के महिमामंडन के बहाने रवींद्र का लगातार चरित्र हनन किया है। रवींद्र साहित्य पर चर्चा अब रवींद्र के प्रेमसंंबंधों तक सीमाबद्ध हो गया है जैसे उनके लिखे साहित्य को वैदिकी धर्म के आध्यात्म और सत्तावर्ग के प्रेम रोमांस के नजरिये से …
Read More »संत कबीर को समझें तो रवींद्र और लालन फकीर को भी समझ लेंगे
रवींद्र का दलित विमर्श-19 लालन फकीर का मनेर मानुष गीतांजलि का प्राणेर मानुष। ज्यों-की -त्यों धरि दीन्हीं चदरिया। । पलाश विश्वास बौद्धमय बंगाल का अवसान ग्यारहवीं शताब्दी में हुआ। आठवीं सदी से लेकर ग्यारहवीं सदी तक बंगाल में बौद्ध पाल राजाओं का शासन रहा जिसका ग्यारहवीं सदी में सेन वंश के अभ्युत्थान के साथ अंत हुआ। सेन वंश के …
Read More »समूचे रवींद्र साहित्य पर बौद्धमय भारत की अमिट छाप
रवींद्र का दलित विमर्श-छह समूचे रवींद्र साहित्य की दिशा और समूची रवींद्र रचनाधर्मिता, उनकी जीवनदृष्टि पर उसी बौद्धमय भारत की अमिट छाप है। पलाश विश्वास चंडाल आंदोलन के भूगोल में रवींद्र की जड़ें है जो पीर फकीर बाउल साधु संतों की जमीन है और उसके साथ ही बौद्धमय भारत की निरंतता के साथ लगातार जल जंगल जमीन के हकहकूक का …
Read More »रवींद्र की चंडालिका में बौद्धमय भारत की गूंज है तो नस्ली रंगभेद के खिलाफ निरंतर जारी चंडाल आंदोलन की आग भी है
रवींद्र का दलित विमर्श-चार पलाश विश्वास रवींद्र की रचनाधर्मिता सिरे से सामाजिक यथार्थ की जमीन पर आधारित है।वे भारतीय समाज की सबसे बड़ी समस्या असमानता और अन्याय के नस्ली भेदभाव को कमानते रहे हैं और इसीलिए उनका धर्म मनुष्यता का धर्म है और उनका जीवन दर्शन भी मनुष्यता का दर्शन है।रवींद्र की चंडालिका में बौद्धमय भारत की गूंज है …
Read More »संघ परिवार को बंगाल की चुनौती : हिंदुत्व और हिंदू राष्ट्रवाद के कट्टर विरोधी रवींद्र नाथ को निषिद्ध करके दिखाये
पलाश विश्वास संदर्भः आज रवींद्र नाथ को प्रतिबंधित करने की चुनौती देता हुआ बांग्ला दैनिक आनंद बाजार पत्रिका में प्रकाशित सेमंती घोष का अत्यंत प्रासंगिक आलेख, जिसके मुताबिक रवींद्र नाथ का व्यक्तित्व कृतित्व संघ परिवार और उसके हिंदू राष्ट्रवाद के लिए सबसे बड़ा खतरा है। उनके मुताबिक रवींद्रनाथ का लिखा, कहा हर शब्द विशुद्धता के नस्ली ब्राह्मणावादी हिंदू राष्ट्रवाद के …
Read More »हिंदू राष्ट्र का यह धर्मोन्माद किसान, आदिवासी, स्त्री और दलितों के खिलाफ इसे हम सिर्फ मुसलमानों के खिलाफ समझने की भूल कर रहे
बांग्लादेश में रवींद्र और शरत को पाठ्यक्रम से बाहर निकालने के इस्लामी राष्ट्रवाद खिलाफ आंदोलन तेज
कट्टरपंथ के खिलाफ आसान नहीं होती कोई लड़ाई। लालन फकीर और रवींद्रनाथ की रचनाओं को पाठ्यक्रम से निकालने के खिलाफ बांग्लादेश में आंदोलन तेज हो रहा है और रवींद्र और प्रेमचंद समेत तमाम साहित्यकारों को पाठ्यक्रम से निकालने और समूचा इतिहास को वैदिकी साहित्य में बदलने के खिलाफ भारत में अभी कोई आंदोलन शुरू नहीं किया जा सका है। रवींद्र का …
Read More »अंधेर नगरी में सत्यानाश फौजदार का राजकाज! रवींद्र प्रेमचंद के बाद निशाने पर भारतेंदु?
क्या वैदिकी सभ्यता का प्रतीक न होने की वजह से अशोक चक्र को भी हटा देंगे? रवींद्र का दलित विमर्श-28 पलाश विश्वास डिजिटल इंडिया में इन दिनों जो वेदों, उपनिषदों, पुराणों, स्मृतियों, महाकाव्यों के वैदिकी साहित्य में लिखा है, सिर्फ वही सच है और बाकी भारतीय इतिहास, हड़प्पा मोहंजोदोड़ो सिंधु घाटी की सभ्यता, अनार्य द्रविड़ शक हुण कुषाण खस पठान …
Read More »अनेकता में एकता का विमर्श ही रवींद्र रचनाधर्मिता है और यही मनुष्यता का आध्यात्मिक उत्कर्ष भी।
देश के करोड़ों अछूतों की तरह रवींद्र नाथ भी अछूत है जिन्हें मंदिर में प्रवेशाधिकार नहीं मिलता और वे धर्मस्थल में कैद ईश्वर की जगह मनुष्यता के उत्कर्ष के आध्यात्म में ही ईश्वर की खोज करते हैं। यही उनकी गीताजंलि है।
Read More »विसर्जन : देवी नहीं है, कहीं कोई देवी नहीं है, देवता के नाम मनुष्यता खोता मनुष्य
रवींद्र का दलित विमर्श-32 দেবতার নামে মনুষ্যত্ব হারায় মানুষ पलाश विश्वास वैसे भी धर्मोन्मादी राष्ट्रवाद की सुनामी के मध्य मनुस्मृति विरोधी रवींद्र के दलित विमर्श को जारी रखने में भारी कठिनाई हो रही। रवींद्र के दलित विमर्श और उससे संदर्भ सामग्री शेयर करने पर बार-बार रोक लग रही है। दैवी सत्ता और राजसत्ता के देवी पक्ष में देवी के अस्तित्व …
Read More »सामाजिक विषमता के खिलाफ मनुस्मृतिविरोधी लड़ाई को खत्म करना ही हिंदुत्ववादियों के हिंदू राष्ट्र का एजेंडा
रवींद्र का दलित विमर्श-30 गंगा और नर्मदा की मुक्तधारा को अवरुद्ध करने वाली दैवीसत्ता का फासिज्म आदिवासियों और किसानों के खिलाफ मुक्तधारा के लिए जल सत्याग्रह इसीलिए जारी रहेगा। पलाश विश्वास टिहरी बांध का उतना प्रबल विरोध नहीं हुआ और गंगा की अबाध जलधारा हमेशा के लिए नमामि गंगा के मंत्रोच्चार के बीच अवरुद्ध कर दी गयी। पुरानी टिहरी समेत …
Read More »नर्मदा बांध विरोधी आंदोलन के खिलाफ दैवी सत्ता का आवाहन, हिटलर की आर्य विशुद्धता का सिद्धांत और नरहसंहार कार्यक्रम
रवींद्र का दलित विमर्श-27 ताशेर देश : मनुस्मृति व्यवस्था के फासीवाद पर तीखा प्रहार पलाश विश्वास नर्मदा बांध के खिलाफ आदिवासियों और किसानों के आंदोलन का दमन का सिलसिला जारी रखते हुए आज इसे देश के नाम समर्पित करते हुए दावा किया गया कि इसके निर्माण में विदेशी कर्ज की जगह मंदिरों के धन का इस्तेमाल किया गया है। यह …
Read More »क्या यह हत्यारों का देश है? गौरी लंकेश की हत्या के बाद 25 कन्नड़, द्रविड़ साहित्यकार निशाने पर!
हम किस देश के वासी हैं? रवींद्र का दलित विमर्श-20 पलाश विश्वास इंडियन एक्सप्रेस की खबर है। गौरी लंकेश की हत्या के बाद कन्नड़ के 25 साहित्यकारों को जान के खतरे के मद्देनर सुरक्षा दी जा रही है। जाहिर है कि दाभोलकर, पनासरे, कुलबर्गी, रोहित वेमुला, गौरी लंकेश के बाद वध का यह सिलसिला खत्म नहीं होने जा रहा है। …
Read More »गौरी लंकेश असुर संस्कृति की अनार्य सभ्यता की द्रविड़ प्रवक्ता थीं, इसीलिए उनका वध हुआ
रवींद्र का दलित विमर्श-18 पलाश विश्वास कल हमने रवींद्र के दलित विमर्श के तहत रवींद्र के दो निबंधों जूता व्यवस्था और आचरण अत्याचार की चर्चा की थी। आचरण अत्याचार में जाति व्यवस्था की अस्पृश्यता पर प्रहार करते हुए रवींद्र ने लिखा है कि गाय मारने पर प्रायश्चित्त का विधान है लेकिन मनुष्य को मारने पर सामाजिक प्रतिष्ठा मिलती …
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