धुएं में बदल देगा धुआं - आलोक तोमर

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hastakshep
11 Feb 2011
धुएं में बदल देगा धुआं - आलोक तोमर

देश के जाने माने पत्रकार आलोक तोमर (Alok Tomar) ने आज यहाँ अपने आवास पर शुक्रवार दिनांक 11 फरवरी 2011 को आईएमसीएफ़जे (IMCFJ) की तरफ से इंडिया इंटरनेशनल सेंटर (India International Centerमें होने वाली वर्कशाप और तम्बाकू विरोधी दिवस (anti-tobacco day) / गुटका विरोधी दिवस के लिए विशेष अपील की।

गौरतलब है कि आलोक तोमर इस समय गले के कैंसर (throat cancer) से जूझ रहे हैं।

आलोक तोमर ने तम्बाकू उत्पादों का इस्तेमाल (Use of tobacco products) करने वालों से इसे जल्द से जल्द छोड़ने की गुजारिश की। और जो कहा –

हालाँकि मैंने लगभग 23 साल सिगरेट पी है मगर असल में तम्बाकू का स्वाद मुझे आज तक नहीं पता। मैं तो हर फिक्र को धुंए में उड़ाता चला जा रहा था और शायद तब तक उड़ाता रहता जब तक डाक्टरों ने कह नहीं दिया कि इस धुएं को नहीं छोड़ा तो खुद धुआं बनाने में ज्यादा देर नहीं बची है।

दरअसल छोड़ने पर भी बचने की बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं थी। फिर कैंसर का इलाज शुरू हुआ और सिगरेट का धुआं अचानक खतरनाक जहर मानी जाने वाली दवा कीमो थेरेपी (chemo therapy) में बदल गया। इसका इलाज बहुत महंगा है। अभी तक अलग अलग संसाधनों से बीस लाख से ज्यादा खर्च हो चुके हैं और पता नहीं यह आंकड़ा कहां तक जाएगा.

अक्सर कैंसर वार्ड में छत को देखते हुए सोचता हूँ कि अगर सिगरेट पर 23 साल में सौ रुपये के औसत से लाखों रुपए खर्च नहीं किए होते और इलाज का यह आंकड़ा जोड़ लेता तो अपनी और अपनों की बहुत सारी मुरादें पूरी कर लेता।

तम्बाकू जहर है। मगर इस जहर से हमारे देश की कल्याणकारी सरकार हर साल अरबों रुपए टैक्स और निर्यात में कमाती है। सरकार के जिन महापुरुषों ने इंडियन टोबैको कंपनी (Indian Tobacco Company) आईटीसी के मुखिया योगी देवेश्वर को पद्म विभूषण दिया है उन्हें जरा किसी कैंसर वार्ड में टहला कर लाना चाहिए। इन लोगों को खुद देखना चाहिए कि कैसे कैंसर का इलाज (cancer treatment) करवाने के चक्कर में लोगों के घर मकान बिक रहे हैं और तम्बाकू उत्पादों का विज्ञापन का खर्चा लगातार बढ़ता जा रहा है।

सरकार ने सार्वजनिक स्थलों पर सिगरेट और तम्बाकू सेवन की मनाही की है, सजा भी तय की है मगर बड़े-बड़े अफसरों के कमरे में ऊपर तक भारी ऐश ट्रे मिल जाती है। वे सरकारी नियमों का ही नहीं अपना भी सत्यानाश कर रहे हैं।

आप इसे भले ही मौत से डरे हुए एक व्यक्ति का प्रायश्चित वाला बयान कहें मगर सच यह है कि परमाणु बमों से ज्यादा सिगरेट और तम्बाकू खतरनाक है। बम आपको एक मिनट में रख बना देता है और तम्बाकू आपको जीवन भर राख और जहर के खेतो की खाद बनाती रहती है।

दुनिया के कई देशों ने कारोबार का लालच छोड़ कर अपने यहाँ तम्बाकू की खेती पर पाबंदी लगा दी है। वैसे भी तम्बाकू और कपास की खेती के मुनाफे में ज्यादा फर्क नहीं है। अगर हमारे देश को तम्बाकू बेचनी ही है और हमारे प्रधानमंत्री सरदार मनमोहन सिंह को तम्बाकू के मामले में अपना धर्म द्रोह करना ही है तो उचित होगा कि तम्बाकू की कमाई सबसे पहले देश को कैंसर का मुफ्त इलाज (Free Cancer Treatment) उपलब्ध करने में खर्च की जाए और उस आम आदमी को जीते जी चिता होने से बचाया जाए।  जो भोले पन में इस जहर का शिकार होता है। इस विष मुक्ति अभियान में जितने लोग जुड़ेंगे ,देश का उतना ही कल्याण होगा।

( आलोक तोमर की यह अपील अंबरीश कुमार ने उनके घर पर लिखी )

साभार - विरोध

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