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मानव अधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी दलितों-आदिवासियों की आवाज दबाने की साजिश - मोदी

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hastakshep
30 Aug 2018

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मानव अधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी दलितों-आदिवासियों की आवाज दबाने की साजिश -सजप

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भोपाल, 30 अगस्त। सुधा भरद्वाज, अरुण फरेरा, गौतम नवलखा, वारवरा राव जैसे मानवाधिकारवादी कार्यकर्ताओं की भीमा कोरेगांव मामले में पुणे पुलिस व्दारा की गई गिरफ्तारी एवं स्टेन स्वामी और आनन्द तेलतुम्बड़े जैसे लोगों के घर की तलाशी को समाजवादी जन परिषद की म. प्र. इकाई एवं किसान आदिवासी संगठन एवं श्रमिक आदिवासी संगठन ने असवैधानिक एवं गैर-लोकतान्त्रिक करार देते हुए इसे दलितों और आदिवासियों, मजदूरों और गरीबों की आवाज दबाने की साजिश करार दिया है। यह सभी लोग इनके मुद्दे उठाने के लिए पिछले 30 साल से काम कर रहे हैं।

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Arrest of human rights activists conspiracy to suppress voice of dalits-tribals - SJP

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समाजवादी जन परिषद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य अनुराग मोदी ने कहा कि सरकार अर्बन नक्सल के नाम पर शहरों में मध्यमवर्गीय मानवाधिकारवादी कार्यकताओं को मानव अधिकार के मुद्दे पर आवाज उठाने से रोकने के लिए यह कार्यवाही कर रही है। असल में, आदिवासी इलाके झारखंड, छ. ग., उडीसा में कम्पनीयों, जहाँ लाखों करोड़ रुपए मूल्य के संसाधन है उसकी लूट की खुली झूठ देने और वहां उठने वाली विरोध की आवाज दबाने के लिए हो रहा है। यह घोर विडम्बना है, कि एक तरफ तो सविंधान में पांचवी और छठवी अनुसूसूची के तहत आने वाले आदिवासी इलाकों में आदिवासियों को अपनी परम्परा और संस्कृती के अनुसार व्यवस्था संचालन का अधिकार दिया है, दूसरी तरह इसका पालन सुनश्चित करवाने वाले कार्यकर्ताओं को नक्सली बताकर उनकी आवाज दबाई जा रही है।  

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सजप के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनुराग मोदी ने कहा कि, आज जब रोजगार मिल नहीं रहे, किसान की हालात बद से बद्दतर होती जा रही है और चारों तरफ कम्पनीयों का राज होता जा रहा है, तब सरकार विरोध के स्वर दबाकर अघोषित आपतकाल जैसे स्थिति बना रही है।

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सजप की प्रदेश अध्यक्ष स्मिता ने कहा, सुधा भरद्वाज छतीसगढ़ मुक्ति मोर्चा (छ. मु. मो.)  एवं छतीसगढ़ बचाओं आन्दोलन के तहत वहां के मजदूरों और आदिवासियों की आवाज बुलंद करती रही है। और वो म. प्र. और छ. ग. के जन संगठनों के समूह जन संघर्ष मोर्चा की भी सदस्य रही है। यह सारे संगठन पिछले 30 से 40 सालों से अहिंसक आन्दोलन के रास्ते पर लोगो के मुद्दे उठाते रहे है। 

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श्रमिक आदिवासी संघठन के साथी आलोक सागर, बंसत टेकाम, रामदीन, सुरेश, राजेन्द्र एवं किसान आदिवासी संगठन के फागरम, विस्तूरी, रावल आदि साथीयों ने भी इस गिरफ्तारी की निंदा की है।





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