Article 370: Is the whole process of Parliament not legal? See, what is the order of the Supreme Court.
नई दिल्ली, 07 अगस्त 2019. अब जम्मू-कश्मीर का संविधान की धारा 370 के तहत विशेष राज्य का दर्जा समाप्त (Special state status of Jammu and Kashmir under Article 370 of the Constitution ended) हो गया है। इसके साथ ही धारा 370 से जुड़ा आर्टिकल 35ए भी निरस्त हो गया है। नए फैसले के मुताबिक जम्मू-कश्मीर पूर्ण राज्य भी नहीं रहेगा। पूरा क्षेत्र दो केंद्र शासित इकाइयों – जम्मू-कश्मीर (विधानसभा सहित) और लद्दाख (विधानसभा रहित) – में बांट दिया गया है। सरकार ने कश्मीर की जनता को सभी तरह के संपर्क माध्यमों से काट कर और राजनैतिक नेतृत्व को नज़रबंद करके राज्यसभा और लोकसभा में ‘जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक, 2019’ (‘Jammu and Kashmir Reorganization Bill, 2019’) और राष्ट्रपति द्वारा हस्ताक्षरित आधिकारिक संकल्पों (ऑफिसियल रिजोलूशंस) को पारित कर दिया। सरकार के इस फैसले के कंटेंट और तरीके को लेकर पूरे देश में बहस चल रही है। लेकिन इस फैसले की वैधानिकता पर सवाल उठना शुरू हो गए हैं। सरकार के फेसल पर संसद् की पूरी कार्यवाही पर असंवैधानिक होने का खतरा मंडरा रहा है, क्योंकि हाल के कुछ सालों में ही माननीय सर्वोच्च न्यायालय अपने फैसले में स्पष्ट कर चुका है कि राष्ट्रपति को अनुच्छेद 370 समाप्त करने का अधिकार नहीं है।
कांग्रेस प्रवक्ता जयवीर शेरगिल और सर्वोच्च न्यायालय की युवा अधिवक्ता तमन्ना पंकज (Tamanna Pankaj) ने सोशल मीडिया पर इस आदेश की छाया प्रति के दो पेज शेयर करते हुए लगभग एक से सवाल उठाते हुए कहा है कि
एसबीआई बनाम गुप्ता होल्डिंग के मामले में सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय है :
- राष्ट्रपति विधानसभा राज्य की सिफारिश के बिना 370 को समाप्त नहीं कर सकते।
- यदि स्टेट असेंबली भंग होने पर भी (जैसे अब है) का अर्थ यह नहीं है कि 370 निरस्त है।
लेकिन कानून और संविधान का अनुमान युग समाप्त हो गया है।
Supreme Court order on Article 370
हमने जब इस आदेश का अध्ययन किया तो 2016 की सिविल अपील नंबर 12237-12238 (Civil Appeal No. 12237-12238 of 2016) ) पर विद्वान न्यायमूर्तिगण कुरियन जोसेफ और आर.एफ. नरीमन की संयुक्त बेंच के दिनांक 16 दिसंबर 2016 के 61 पृष्ठ के आदेश के अनुसार –
न्यायालय ने दोहराया है कि ऐतिहासिक कारणों से जम्मू-कश्मीर राज्य को भारतीय संघ के राज्यों के बीच अनुच्छेद 370 के कारण “विशेष स्थान” प्राप्त है, हालांकि इसका उद्देश्य अस्थायी या संक्रमणकालीन था, लेकिन अनुच्छेद 370 (3) में उल्लिखित कारणों के चलते एक यह एक स्थायी विशेषता बन गई है। संविधान का अनुच्छेद 370 (3) कहता है कि राज्य संविधान सभा की सिफारिशों के बिना, अनुच्छेद 370 को अस्वीकार नहीं किया जा सकता है।
अब सवाल उठता है कि क्या गृह मंत्री अमित शाह और मोदी सरकार इस तथ्य से परिचित हैं कि उनकी कार्यवाही सर्वथा एसंवेधानिक ठहराई जा सकती है ? क्या इसीलिए अमित शाह ने आशंका जताई कि लोग इसके खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय जाएंगे ?
आप भी माननीय सर्वोच्च न्यायालय की वेब साइट पर उपलब्ध इस आदेश को https://sci.gov.in/jonew/judis/44411.pdf लिंक पर पढ़ सकते हैं।
SUPREME COURT Judgment in case of SBI v Gupta holding:
1. President CANNOT abolish 370 WITHOUT recommendation of State Assembly
2. Even IF State Assembly stands dissolved (like now) does not mean 370 stands repealed
But Guess era of law & Constitution is over #Article370Revoked pic.twitter.com/pEFjlHwLtv— Jaiveer Shergill (@JaiveerShergill) August 5, 2019