महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस की पत्नी अमृता फडणवीस (Amrita Fadnavis, wife of Maharashtra Chief Minister Devendra Fadnavis) पिछले दिनों एक अलग किस्म के विवाद में उलझी दिखीं। दरअसल जनाब नरेन्द्र मोदी की सालगिरह (Narendra Modi’s anniversary) पर अपने ट्विटर पर उन्होंने जो बधाई सन्देश में उन्हें जिस तरह ‘फादर आफ अवर कंट्री‘ (Father of our country) अर्थात ‘हमारे देश …
Read More »Subhash Gatade
अगर माफी ‘वीर’ सावरकर प्रधानमंत्री बने होते तो !
यह सोचना मासूमियत की पराकाष्ठा होगी कि चुनावों के ऐन मौके पर शिवसेना सुप्रीमो द्वारा सावरकर का यह महिमामंडन स्वत:स्फूर्त किस्म का था। एक तरफ, उसका मकसद था इस भावनात्मक मुद्दे को उठा कर कुछ वोट और हासिल किए जाएं; दूसरे, इस मराठी आयकन का शिवसेना द्वारा प्रोजेक्शन करके एक तरह से ‘सीनियर सहयोगी’ भाजपा को असुविधाजनक स्थिति में डालने …
Read More »‘चौकीदार केजरीवाल’, धारा 370 और अंधी गली : ‘‘वह आए, उन्होंने देखा और वह शरणागत हो गए’’
सुभाष गाताडे ‘‘वह आए, उन्होंने देखा और वह शरणागत हो गए’’ /He came, he saw and he concurred”/ 90 के दशक की शुरूआत में प्रकाशित आर के लक्ष्मण के एक कार्टून का कैप्शन/शीर्षक धारा 370 पर आम आदमी पार्टी के रूख (Aam Aadmi Party’s stance on Article 370) ने तमाम लोगों को भ्रमित और हताश किया है। संगठन के अपने …
Read More »‘हिन्दु राज्य की बात को पागलपन भरा विचार’ घोषित किया था सरदार पटेल ने
स्मृतिलोप से हट कर यथार्थ की ओर : हिंदी समाज में हीरा डोम की तलाश
स्मृतिलोप से हट कर यथार्थ की ओर : हिंदी समाज में हीरा डोम की तलाश –सुभाष गाताडे ( अकार, हिंदी समाज पर केंद्रित अंक में जल्द ही प्रकाशित) ‘देवताओं, मंदिरों और ऋषियों का यह देश ! इसलिए क्या यहां सबकुछ अमर है ? वर्ण अमर, जाति अमर, अस्पृश्यता अमर ! ..युग के बाद युग आए ! बड़े बड़े चक्रवर्ती आये …
Read More »हिन्दू राष्ट्र की डिस्टोपियन दुनिया में आप का स्वागत है, जहां विचार ही अब द्रोह है
विचार ही अब द्रोह बहुसंख्यकवादी जनतंत्र में –सुभाष गाताडे जिस हद तक धर्म ने झगड़ों को जन्म दिया है, सियासत को जटिल कर दिया है, सामाजिक विकास को बाधित किया है और दुनिया भर में मानवीय सम्बन्धों को हानि पहुंचायी है, इसके चलते अक्सर यह कहने का मन करता है कि धर्म मानवता का स्वाभाविक दुश्मन है, .. अब वक्त़ …
Read More »क्या दीनदयाल उपाध्याय वाकई इतनी बड़ी शख्सियत थे – जैसा कि उनके अनुयायी समझते हैं
नायक कैसे गढ़े जाते हैं ? दीनदयाल उपाध्याय : भाजपा के ‘गांधी’ 3 कथा दीनदयाला ! ‘‘भाजपा के दीनदयाल उपाध्याय की वही अहमियत है जो कांग्रेस के लिए मोहनदास करमचंद गांधी की है। ’’ यह राय थी आर बालाशंकर की जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखपत्र कहे जानेवाले आर्गनायजर के पूर्व सम्पादक हैं और इन दिनों भाजपा की केन्द्रीय कमेटी …
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