#AyodhaVerdict : भाकपा (माले) ने कहा फैसला विसंगतियों से भरा
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लखनऊ, 9 नवम्बर। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) की राज्य इकाई ने कहा है कि यह महत्वपूर्ण है कि अयोध्या में विवादित स्थल पर सर्वोच्च न्यायालय का फैसला (Supreme Court verdict on disputed site in Ayodhya) किसी भी तरह से 6 दिसम्बर 1992 को बाबरी मस्जिद के विध्वंस की कायरतापूर्ण और आपराधिक घटना को सही नहीं ठहराता है, लेकिन यह निर्णय विवाद का यथार्थपरक समाधान करने में भी असफल रहा है - स्वयं न्यायालय द्वारा बताया गया आधार और निकाले गये निष्कर्ष के बीच की असंगति इसे अस्पष्ट और यथार्थ से दूर कर रही है।
The decision to own land should also have been based on facts and evidence, not on religious sentiments.
पार्टी राज्य सचिव सुधाकर यादव ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने बिल्कुल ठीक कहा है कि बाबरी मस्जिद विध्वंस की कार्यवाही कानून के राज का स्पष्ट उल्लंघन था, ऐसे में इस विवाद में भूमि के मालिकाने का फैसला भी तथ्यों व सबूतों के आधार पर होना चाहिए था, धार्मिक भावनाओं के आधार पर नहीं। लेकिन पूरी विवादित भूमि केन्द्र के माध्यम से मन्दिर बनाने के लिए देने और गिरा दी गई मस्जिद के एवज में नई मस्जिद बनाने हेतु 5 एकड़ भूमि किसी अन्य स्थान पर देने का फैसला सर्वोच्च न्यायालय की खुद की राय के साथ ही न्याय नहीं कर रहा है। न्यायालय की बैंच द्वारा सर्वसम्मति से दिये गये फैसले में निहित असंगति इसी फैसले के परिशिष्ट में दिये इस तथ्य में भी जाहिर हो रही है जिसमें बताया गया है कि पांच न्यायाधीशों में से एक की राय भिन्न थी, जिनका हिन्दू मान्यताओं के अनुरूप मानना है कि विवादित स्थल ही राम की जन्मस्थली है। हालांकि इसी निर्णय में इस बात को भी जोर देकर कहा गया है कि मामले पर फैसला तथ्यों के आधार पर होना चाहिए, धार्मिक मान्यताओं के आधार पर बिल्कुल नहीं।
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The Supreme Court preferred religious sentiments over the principles of justice.
माले नेता ने कहा कि पूरी भूमि को मन्दिर निर्माण के लिए देकर और सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद कहीं और बनाने की सलाह दे सर्वोच्च न्यायालय ने न्याय के सिद्धान्तों के ऊपर धार्मिक भावनाओं को ही प्राथमिकता देने वाला उदाहरण प्रस्तुत किया है, इससे भविष्य में अन्य स्मारकों– जिन्हें आरएसएस मन्दिर पर बना बताता रहता है, जिनमें ताजमहल भी शामिल है – के विरुद्ध साम्प्रदायिक अभियानों को बढ़ावा मिलने का खतरा बढ़ेगा।
उन्होंने कहा कि इसलिए हमारी मांग है कि मस्जिद गिराने के दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी सजा सुनायी जाये।
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माले नेता ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय और चुनाव आयोग इस बात की भी गारंटी करें कि इस फैसले का झारखण्ड चुनावों में जहां नामांकन प्रक्रिया चल रही है, राजनीतिक चारा के रूप में इस्तेमाल नहीं होगा और चुनावी आचार संहिता का पालन होगा।
उन्होंने प्रदेश समेत देश की शांति व न्यायपसंद जनता से किसी भी सूरत में सामाजिक सद्भाव को बिगड़ने नहीं देने और अयोध्या में राम मन्दिर के निर्माण के नाम पर 90 के दशक में देश में हुए साम्प्रदायिक खूनखराबे की पुनरावृत्ति हरगिज नहीं देने की गारंटी करने की अपील की। उन्होंने उम्मीद जतायी कि लोकतंत्र और न्याय की ताकतें हर हाल में मन्दिर के नाम में संघ ब्रिगेड को उन्माद भड़का कर अल्पसंख्यक समुदायों को और आतंकित करने और उनके नागरिक अधिकार छीनने एवं आम लोगों की आजीविका, रोजगार और मूलभूत अधिकारों के जरूरी सवालों को पीछे धकेलने की साजिश में कामयाब नहीं होने देंगी। कहा कि स्वतंत्रता, बराबरी, भाईचारा और न्याय हमारे लोकतांत्रिक गणराज्य के चार महत्वपूर्ण संवैधानिक स्तंभ हैं और इस अदालती फैसले के बहाने हमारे गणराज्य की इस संवैधानिक नींव को ध्वस्त करने के संघ-भाजपा ब्रिगेड के मंसूबों को पूरा नहीं होने दिया जायेगा।
#AyodhaVerdict: CPI (ML) said verdict full of discrepancies