भीमा कोरेगांव केस : सर्वोच्च न्यायालय ने पांचों मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की नज़रबंदी बढ़ायी, पुणे पुलिस का रिकॉर्ड 19 सितंबर को देखा जाएगा
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नई दिल्ली, 17 सितंबर। भीमा कोरगांव हिंसा के मामले में गिरफ्तार किए गए पांचों मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की नज़रबंदी माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने आगामी 19 सितंबर तक बढ़ा दी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक आगामी 19 सितंबर को पुणे पुलिस का रिकॉर्ड देखा जाएगा।
भीमा कोरेगांव केस में महाराष्ट्र सरकार का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता तुषार मेहता ने सर्वोच्च न्यायालय से कहा,
"आरोपियों को न सिर्फ केस में कथित शिरकत के लिए गिरफ्तार किया गया है, बल्कि वे देश में शांति को बाधित भी करते प्रतीत हो रहे हैं।"
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#BhimaKoregaon case: Tushar Mehta, senior lawyer appearing for Maharashtra govt says before the Supreme Court 'The accused persons have not only been arrested for their alleged involvement in the case but they also seem to be disrupting peace in the country.' pic.twitter.com/PuVR2QXXnl
जबकि भीमा कोरेगांव केस में याचिकाकर्ताओं का पक्ष रख रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने शीर्ष अदालत से कहा,
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"केस की सही तरीके से विशेष जांच टीम (SIT) द्वारा जांच कराई जानी चाहिए, या अदालत में निगरानी में जांच होनी चाहिए।"
#BhimaKoregaon case: Abhishek Manu Singhvi, Senior lawyer appearing for many petitioners, submits to the Supreme Court that the case should be properly probed by a Special Investigation Team (SIT) or there should be a court monitored probe.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भीमा कोरेगांव केस में देश के प्रधान न्यायाधीश (CJI) दीपक मिश्रा ने कहा,
"हमने इस मामले में लिबर्टी के मूल के कारण सुनवाई की, निष्पक्ष जांच जैसे मुद्दे बाद में आएंगे। पहले आरोपियों को निचली अदालत से राहत मांगने दीजिए, तब तक हाउस अरेस्ट में रखने का हमारा अंतरिम आदेश जारी रह सकता है।"