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भाजपा और शिव सेना ने महाराष्ट्र चुनाव घोषणापत्र में वायु प्रदूषण के संकट को पूरी तरह नजरअंदाज किया

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जद (यू) को छोड़कर फ़ायदे में रहेगी, सुकून से जिएगी भाजपा...

नई दिल्ली, 20 अक्तूबर: कल यानी 21 अक्तूबर को महाराष्ट्र विधानसभा के चुनाव हैं। बीच चुनाव में ही आरे के जंगल की कटाई को लेकर सत्तारूढ़ भाजपा और शिवसेना आमने-सामने आ गए थे। खुद आदित्य ठाकरे ने इस मसले पर भाजपा के खिलाफ मोर्चा संभाला था। लेकिन हैरानी की बात यह है कि कई महीनों पहले इसी भाजपा ने अपने राष्ट्रीय चुनावी घोषणापत्र में गंभीर होते वायु प्रदूषण के संकट को जगह दी थी, लेकिन इसी विषय पर महाराष्ट्र में उसने अपनी आंखें मूंद ली हैं। शिव सेना के चुनावी घोषणापत्र (Election Manifesto) के बाद भारतीय जनता पार्टी ने भी गत 15 अक्तूबर को अपना ‘इलेक्शन मैनिफेस्टो’ जारी किया है। लेकिन यह देखना वाकई निराशाजनक है कि भाजपा और शिव सेना, दोनों पार्टियों ने उन सभी पर्यावरणीय मुद्दों को नजरअंदाज कर दिया है, जिनसे महाराष्ट्र राज्य कई सालों से जूझ रहा है।

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव घोषणापत्र में भाजपा ने एक बार भी वायु या प्रदूषण का जिक्र नहीं किया

प्रधानमंत्री देश से लेकर संयुक्त राष्ट्र तक सिंगल यूज़ प्लास्टिक को लेकर गरज रहे हैं। समुद्र तट पर प्रतिबंधित प्लास्टिक थैली में ही प्लास्टिक कचरा एकत्रित करने के फोटो सेशन आयोजित हो रहे हैं, लेकिन भाजपा के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव घोषणापत्र में एक बार भी ‘वायु’ या ‘प्रदूषण’ का जिक्र नहीं किया गया है!

केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) के राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (National Clean Air Program) के तहत देश के 122 प्रदूषित शहरों में महाराष्ट्र के 18 जिले आते हैं, जिसके कारण यह देश का सबसे प्रदूषित राज्य बन गया है।

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केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़े बताते हैं कि पुणे, बदलापुर और उल्हासनगर में नाइट्रोजन डायक्साइड खतरनाक ढंग से ऊंचे स्तर पर है; वहीं विदर्भ, नागुपर, अकोला, अमरावती और चंद्रपुर जिलों में ‘सूक्ष्म प्रदूषित धूलकण यानी पार्टिकुलेट मैटर’ (PM2.5) का स्तर स्वीकार्य सीमा से लगातार अधिक होता गया है।

शिकागो यूनिवर्सिटी, अमेरिका से जुड़े एपिक (EPIC) द्वारा तैयार ‘एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स’ (Air Quality Life Index) के अनुसार अगर महाराष्ट्र के सभी नगर विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) द्वारा वायु प्रदूषण के तय मापदंडों को पूरा करते हैं तो वहां औसत ‘जीवन प्रत्याशा’ (Life Expectancy) तीन साल बढ़ जाएगी।

इस महीने की शुरूआत में महाराष्ट्र ‘क्लीन एयर कलेक्टिव’ (Clean Air Collective), जो वायु प्रदूषण के समाधान के लिए मुख्य तौर पर सिविल सोसायटी ग्रुप तथा गैर सरकारी संगठनों से बना एक समूह है, ने सभी राजनीतिक दलों के घोषणापत्र तैयार करने वाले नेताओं से मिला था।

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क्लीन एयर कलेक्टिव ने सभी पार्टी के नेताओं को उनके चुनावी घोषणापत्र में वायु प्रदूषण तथा पर्यावरणीय समस्याओं को शामिल करने के लिए कई सुझाव दिए थे, अगर वे महाराष्ट्र के सिर से देश के सबसे प्रदूषित राज्य का खिताब हटाने के प्रति गंभीर हैं। कांग्रेस (INC), नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) और आम आदमी पार्टी (AAP) ने बढ़ते वायु प्रदूषण के खतरों को स्वीकार किया है और हानिकारक प्रदूषण एवं उत्सर्जन को कम करने के लिए कई कदम उठाने का वायदा किया है। लेकिन सतारूढ़ गंठबंधन ने सभी पर्यावरणीय समस्याओं को दरकिनार कर मुंह फेर लिया है।

वातावरण (Waatavaran) के संस्थापक और निदेशक भगवान केसभट ने कहा कि

‘‘एक ओर जहां हमारे माननीय प्रधानमंत्री राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर निरंतर पर्यावरण संरक्षण पर सही बातें करते हुए कदम उठा रहे हैं, वहीं मैं यह देख कर हैरान हूं कि महाराष्ट्र के विजन में देश के लिए एक स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण का माननीय प्रधानमंत्री का संकल्प ही गायब है।’’

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कंजर्वेशन एक्शन ट्रस्ट (Conservation Action Trust) के एक्जीक्यूटिव ट्रस्टी देबी गोयनका ने बताया कि

‘‘हम विकास का स्वागत करते हैं, लेकिन ऐसा कोई विकास हमारी भावी पीढ़ी के स्वास्थ्य की कीमत पर नहीं होना चाहिए। हमें भावी पीढ़ी को वायु प्रदूषण के संकट से बचाने की जरूरत है और यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि हमें सालों भर, पूरे भारत में स्वच्छ और स्वस्थ हवा मिलती रहे।’’

भगवान केसभट ने इस विषय पर निष्कर्ष के रूप में जोर देकर कहा कि

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‘‘अगर महाराष्ट्र वास्तव में एक महान राज्य के रूप में पहचाने जाने की इच्छा रखता है, तो पर्यावरण पर अनिवार्य ध्यान दिए जाने का यह हकदार है। कोई भी ‘इकोनोमी’ बिना ‘इकोलॉजी’ (Ecology) के नहीं चल सकती।’’

अमलेन्दु उपाध्याय

BJP and Shiv Sena completely ignore air pollution crisis in Maharashtra election manifesto

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