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BJP's factionalism came to the fore, the Prime Minister warned the treacherous leaders
नयी दिल्ली, 31 अगस्त। भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) में शीर्ष स्तर पर मौजूद राजनीतिक खेमेबंदी के नतीजे सामने आना शुरू हो गए हैं। गृहमंत्री राजनाथ सिंह (Home Minister Rajnath Singh) के खिलाफ जो खुसुर-पुसुर अभियान चलाया गया था वह सफल नहीं हुआ और उस अफवाह का अभियान चलाने वालों को प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी किये गए एक बयान में सख्त चेतावनी भी दे दी गयी है।
बयान में कहा गया है कि ,"पिछले कुछ हफ़्तों से मीडिया के कुछ हिस्सों में प्रधानमंत्री का उल्लेख करने वाली,कुछ केंद्रीय मंत्रियों का हवाला देने वाली और गृहमंत्री के बेटे के कथित ग़लत आचरण का हवाला देने वाली रिपोर्टें आ रही हैं। ये सभी रिपोर्टें झूठी और प्रेरित हैं और सरकार की छवि ख़राब करने का दुर्भावनापूर्ण प्रयास हैं।"।
प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी इस बयान में यह भी कहा गया है कि जो लोग ऐसी अफ़वाहें फैला रहे हैं वे देशहित को नुक़सान पहुँचा रहे हैं।
दिल्ली में रहने वाले पत्रकारों को मालूम है कि राजनाथ सिंह के खिलाफ यह अभियान कुछ केंद्रीय नेताओं की शह पर चलाया जा रहा था।
दिल्ली के सत्ता के गलियारों में यह अफवाह राजनीतिक चर्चा में सुबह से ही आ गयी थी। उम्मीद यह थी कि सभी टी वी चैनलों में शाम छः बजे से चर्चा इसी विषय पर होगी लेकिन उनकी योजना धरी की धरी रह गयी। दो बजे के पहले ही प्रधानमंत्री कार्यालय से बयान आ गया। उस बयान ने अफवाह के प्रायोजकों पर मर्मान्तक वार किया। अभी उस बयान से पैदा हुए घाव को लोग चाट ही रहे थे तब तक भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष, अमित शाह की तरफ से भी एक बयान जारी हो गया। अमित शाह ने कहा कि जहां तक राजनाथ सिंह का सवाल है, वह हमारे सबसे वरिष्ठ मंत्री हैं। मैं अफवाहों की कड़ी निंदा करता हूँ और व्यक्तिगत रूप से आहत महसूस करता हूँ।
अफवाह को हवा देने वालों में ज़्यादातर बड़े पत्रकार थे। मीडिया में अपने जान पहचान वालों को वे बताते पाए जाते थे कि राजनाथ सिंह के बेटे को प्रधानमंत्री ने बुलाकर डांटा था। यह लोग यह भी प्रेरित करते थे कि जिस रिपोर्टर से बात कर रहे हैं वह अपने अखबार में खबर को छाप दे लेकिन अपने अखबारों में नहीं छाप रहे थे। योजना यह थी कि जिस दिन उत्तर प्रदेश विधान सभा के उपचुनावों के टिकटों का ऐलान हो उसी दिन अखबारों में यह बात छप जाए कि राजनाथ सिंह के बेटे को टिकट न मिलने का कारण यही था। अब तक सब कुछ योजना के अनुसार चलता रहा लेकिन उसके बाद गड़बड़ हो गयी थी। इस अफवाह के प्रायोजकों को शायद अंदाज़ नहीं था कि प्रधानमंत्री अपने गृहमंत्री के सम्मान की रक्षा के लिए इतनी मजबूती से उतर पड़ेंगे।
भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि राजनाथ सिंह का राजनीतिक जीवन शालीनता, विनम्रता और पवित्रता का प्रतीक है। उनके खिलाफ आरोप निराधार, असत्य हैं और पार्टी की छवि खराब करने के इरादे से लगाए गए हैं।
उन्होंने यह भी दावा किया कि यह तरीका अपनाने वालों को पता होना चाहिए कि वे मोदी सरकार के विकास के एजेंडे को भटकाने में सफल नहीं हो पायेगें।
इस तरह से भाजपा के आला नेताओं की आपसी लड़ाई का पहला राउण्ड निश्चित रूप से उन लोगों को सख्त सन्देश देने में सफल रहा है जो अफवाहों के बल पर राजनाथ सिंह को कमज़ोर करने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन यह मान लेना भी जल्दबाजी होगी कि देश के शक्तिशाली पत्रकारों की दोस्ती की ताक़त रखने वाले भाजपा के नेता हार मान लेगें। अभी उम्मीद की जानी चाहिए कि इसी तरह की और भी राजनीतिक फुलझड़ियाँ दिल्ली को गुलज़ार रखेंगीं।
शेष नारायण सिंह
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Topics- भाजपा की गुटबाज़ी, राजनाथ सिंह के खिलाफ, खुसुर-पुसुर अभियान, राजनाथ सिंह को कमज़ोर करने की कोशिश, भाजपा के आला नेताओं की आपसी लड़ाई, Polarization of the BJP has come up, Prime Minister warned gimmicky leaders