किसी शाह-मोदी की जरूरत नहीं, लड़कपन सलाहकार, भ्रष्ट और मैनेज हो जाने वाले कर्ता धर्ता कांग्रेस का बेड़ा गर्क करने के लिये पर्याप्त हैं

hastakshep
23 Oct 2019
किसी शाह-मोदी की जरूरत नहीं, लड़कपन सलाहकार, भ्रष्ट और मैनेज हो जाने वाले कर्ता धर्ता कांग्रेस का बेड़ा गर्क करने के लिये पर्याप्त हैं किसी शाह-मोदी की जरूरत नहीं, लड़कपन सलाहकार, भ्रष्ट और मैनेज हो जाने वाले कर्ता धर्ता कांग्रेस का बेड़ा गर्क करने के लिये पर्याप्त हैं

किसी शाह-मोदी की जरूरत नहीं, लड़कपन सलाहकार, भ्रष्ट और मैनेज हो जाने वाले कर्ता धर्ता कांग्रेस का बेड़ा गर्क करने के लिये पर्याप्त हैं

हरियाणा और महाराष्ट्र में सत्ताधारी भाजपा एग्जिट पोल्स के अनुसार फिर सरकार बनाने जा रही है। बावजूद इसके कि महाराष्ट्र में किसान बहुत आक्रोशित थे और वहां से किसानों के आत्म हत्या करने की खबरें आ रही थीं और सत्ताधारी नेता किसानों की आत्म हत्या की वजह नपुंसकता को बता रहे थे। सूखे से बेहाल किसान त्रस्त रहा, उसे सरकार से कोई राहत नहीं मिली थी। भाजपा के नेता जलाशयों को मूत कर भर देने की बात कह रहे थे।

उधर हरियाणा में जाट बहुत नाराज थे, बाबाओ के डेरों ने अराजकता फैला रखी थी और सरकार सजायाफ्ता राम रहीम को पैरोल के पक्ष में खड़ी दिखी। जाटों को आरक्षण का वायदा पूरा नहीं हुआ था। आरक्षण समर्थित आंदोलन ने सरकार की चूलें हिला दी थीं और उस आंदोलन से व्यापारी वर्ग का बहुत नुकसान हुआ जो कि भाजपा का समर्थक वर्ग माना जाता है। खट्टर साहब की अहंकारी खटपट भी सार्वजनिक हुई और बेरोजगारी अब तक सबसे जायदा हो चुकी है।

लेकिन यदि सरकार फिर भी बनती है तो यह सरकार की उपलब्धि नहीं होगी, बल्कि विपक्ष की निष्क्रियता व आराम तल्बी की वजह से होगी।

कांग्रेस महाराष्ट्र में अपने नेताओं में ही समन्वय नहीं बना सकी, ऐन चुनाव से पहले मुंबई के बिहारी कांग्रेस के अध्यक्ष रहे नेता संजय निरुपम ने इस्तीफा तक दे दिया और कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संघर्ष के लिये प्रेरित भी न कर सकी। NCP के साथ सहयोग और शरद पवार जी का अनुभवी मार्गदर्शन भी काम नहीं आया लगता है।

हरियाणा में वरिष्ठ कांग्रेसी नेता हुड्डा साहब ने जब रैली करके धमकाया तब कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व की नींद खुली और हरियाणा में परिवर्तन किया। उससे पहले पट्ट पांव श्री गुलाम नबी आजाद साहब वहां के प्रभारी बना ही दिये गये थे, जिनकी उपलब्धि यूपी में 2017 में कांग्रेस सपा समझौता एवं कांग्रेस के सूपड़ा साफ की है ही। चिर कुमारी शैलजा जी को जब वहां का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया तो मैनेजमेंट out going अध्यक्ष अशोक तंवर को पार्टी छोड़ने से नहीं रोक सका। अब जबकि एक-एक कार्यकर्ता की पार्टी को बहुत सख्त जरूरत है तब कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व कार्यकर्ताओं एवं नेताओं की समस्याओं और शिकायतों के प्रति असंवेदशील बना हुआ है, जो कि पार्टी के लिये घातक सिद्ध होने जा रहा है।

जमीनी जानकारी का अभाव, लौंडहार सलाहकार, अपने ही कर्मठ, समर्पित कार्यकर्ताओं से संवादहीनता और समर्पित व निष्ठावान कार्यकर्ताओं की नेतृत्व की अबूझ अज्ञानता, भ्रष्ट और मैनेज हो जाने बाले कर्ता धर्ता कांग्रेस का बेड़ा गर्क करने के लिये पर्याप्त हैं।

महाराष्ट्र और हरियाणा में कांग्रेस NCP, ही मुख्य विपक्षी दल है और वहां कांग्रेस ने भाजपा को जिताने के लिये कोई कमी छोड़ी हो ऐसा लगता भी नहीं है।

इस सबमें अगर सबसे बड़ा नुकसान हो रहा है तो धर्मनिरपेक्ष, शांतिपूर्ण सहअस्तित्व चाहने वाले व रोजी रोटी कमा कर अपने जीवन यापन करने बाले आम आदमी को हो रहा है। जिसकी जिम्मेदारी लेने से हमारे जैसा कोई भी राजनीतिक कार्यकर्ता नहीं बच सकता।

पीयूष रंजन यादव

लेखक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं। वे यूपीसीसी के सदस्य व भीमनगर जिले के कांग्रेस अध्यक्ष रहे हैं, आजकल घर बैठा दिए गए हैं।

अगला आर्टिकल