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काफी सारे युवा चाहे वह किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी (Competitive exam preparation) कर रहे हो या फिर जो स्कूल कॉलेज की परीक्षाओं में अच्छे अंक लाने के प्रयास में हो, वे सब खूब पढ़ते हैं. लेकिन कई बार खूब पढ़ने पर भी उन्हें मन वांछित सफलता प्राप्त नहीं होती. तब उनमें से अधिकतर निराश हो जाते हैं. अधिकांश का कहना होता है कि इतना पढ़ने पर भी कुछ नहीं हुआ. इससे तो अच्छा है कि पढ़ना ही छोड़ दिया जाए, लेकिन ऐसा कहने वालों को अपनी अध्ययन शैली पर भी ध्यान देना चाहिए.
Best way of reading and understanding.
सिर्फ पढ़ना और पढ़ने में वक्त गुजारना ही पर्याप्त नहीं हैं. पढ़ने का तरीका और शैली भी महत्वपूर्ण है.
अगर आप मन से पढ़ाई नहीं कर रहे हैं या आपके लिए पढ़ाई मजबूरी है तो आप इससे कुछ भी ग्रहण नहीं कर पाएंगे.
What is the first thing that greets you almost every morning?
दरअसल देखा जाए तो अध्ययन हमारी दिनचर्या, हमारी जीवनशैली में कई रूपों से जुड़ा हुआ है. स्कूल, कॉलेज की पढ़ाई के साथ ही साथ घर पर की गई पढ़ाई जीवन में हमारी सफलता का सोपान बनती है. अध्ययन की भूमिका (Role of study) को कैरियर निर्माण और व्यक्तित्व विकास (Career building and personality development,) में किसी भी तरह से नकारा नहीं जा सकता, यदि आप जीवन में प्रगति करना चाहते हैं. ज्ञान के क्षेत्र में कुछ करना चाहते हैं तो आपको अन्य प्रयासों के साथ ही साथ अपनी अध्ययन शैली को भी कारगर बनाना पड़ेगा. अक्सर आपको अध्ययन संबंधित आदतों के बारे में सुधार की सलाह आपके माता-पिता, शिक्षकों से मिलती ही रहती होगी. वैसे आजकल पत्र-पत्रिकाओं में ही इस तरह के सलाह पढ़ने को मिल जाती है. लेकिन पढ़ाई के बोझ और भय से विद्यार्थियों पर किसी भी दी सीख कारगर नहीं लगती जिससे वे लीक से हटकर नहीं सोच पाते.
पढ़ने का तरीका कैसे. How to read and understand effectively. Which is the simplest way to read?
अध्ययन शैली (Study style) कारगर बनाना थोड़ा मुश्किल जरूर है पर असंभव नहीं. इसमें कुशलताओं का बारीकी से विश्लेषण करना पड़ता है. शुरूआत अध्ययन के प्रति लगन से की जा सकती है. इसके लिए आप को खुद को अनुशासित करना होगा और ऐसे लालच, जिनकी वजह से ध्यान बंटता हो, से प्रभावित होने से बचना होगा. पढ़ाई के मामले में अनुशासन को अपनाकर विद्यार्थी अध्यव्सायी होने के महत्व को समझेगा और ठीक परीक्षा, के समय उसे शार्ट कट से अपना कोर्स पूरा करने की नौबत नहीं आएगी. यह तरीका शुरू में थोड़ा सा कष्टदायक हो सकता है, लेकिन आगे चलकर इसके लाभ भी तो है.
इस तरह की अध्ययन शैली से निर्णय करने की क्षमता का विकास होता है क्योंकि विद्यार्थियों में अपनी प्राथमिकताएं तय करने की समझ आती है और उनकी विश्लेषणात्मक क्षमता प्रखर जाती है. सबसे महत्वपूर्ण बात होती है कि वह समय का सदुपयोग करना सीख जाता है क्योंकि वह उपलब्ध समय को अध्ययन, खेलकूद, रूचियों जैसे कार्यकलापों के बीच बांट कर संतुलित दिनचर्या बनानी होती है. यह सब उसमें एक नए तरह का आत्मविश्वास पैदा करता है.
Tips To Remember What You Read
अध्ययन करना और अध्ययन की हुई बात का मनन करना दो अलग-अलग चीजें है. यानि आपकी नजरें तो किताब पर है लेकिन दिमाग टी.वी. में आ रहे क्रिकेट मैच में चल रहा है कि अभी कितने रन हो गए होंगे या कितने विकेट उड़ गए होंगे. तो आप इससे शायद ही कुछ ग्रहण कर पाएं.
कुछ लोग अक्सर एक पंक्तिया पैराग्राफ को बार-बार पढ़ते हैं यह दुहराव पंक्ति या पैराग्राफ में छिपे गहंरे अर्थ को समझने का हो, तब तो ठीक है लेकिन अगर पढ़ाई मन से नहीं की जा रही हो तो पांच-छह घंटे की पढ़ाई की भी व्यर्थ है इसके बजाए बिल्कुल मन लगाकर की गयी एक घंटे की पढ़ाई ही काफी है.
अध्ययन शैली विकसित करते समय सिर्फ और सिर्फ अपने कैरियर पर नजर रखें. हर जगह अलग-अलग तरह की परीक्षाओं का आयोजन होता है जो कई मायनों में स्कूल व कालेज की परीक्षाओं से अलग होती है और इनमें वे लोग ही ज्यादा सफल होते हैं जिनके अध्ययन में गहराई हो और जिनके निर्णय जल्दी होते हो और विश्लेषण करने जैसी क्षमताओं से युक्त हों. रटने वाले लोग यहां पिछड़ जाते हैं.
यहां यह भी महत्वपूर्ण है कि क्या पढ़ा जा रहा है पढ़ने के तरीके के साथ ही. जाहिर सी बात है कि अगर आपके पास सीमित समय है तो आप इसे गैर जरूरी विषयों के अध्ययन में नहीं गंवा सकते. अतः उचित होगा कि आप अपने पाठ्यक्रम ‘सिलेबस’ को बखूबी समझ लें ताकि पाठ्यक्रम से बाहर के अध्यायों पर आपका समय नष्ट न हो. ऐसे समय में बाजारू उपन्यासों की बजाए महापुरुषों की आत्म कथाएं, जीवनी, आत्मविकास, ज्ञान-विज्ञान से संबंधित पुस्तकों का अध्ययन विद्यार्थियों पर अच्छा प्रभाव डालता है.
सक्सेस गुरु ए.के. मिश्रा
निदेशक
चाणक्य आईएएस एकेडमी, नई दिल्ली
सम्प्रेषण
Career: Not only reading, but the way of reading is also important