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जातिवादी राजनीति और हिंदुत्व की राजनीति कारपोरेट वित्तीय पूंजी के उपकरण

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hastakshep
14 Jul 2019
जे. डे की हत्या और कपिल शर्मा की पुलिस प्रताड़ना की निंदा

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लखनऊ, 14 जुलाई 2019. आगामी अगस्त के अंतिम सप्ताह में स्वराज इंडिया व जन मंच के बैनर पर लखनऊ में एक सेमिनार सह सम्मेलन आयोजित किया जायेगा, जिसे बाद में प्रदेश के अन्य जिलों में आयोजित जायेगा। यह निर्णय बीती 10-11 जुलाई 2019 को लखनऊ की बैठक में हुआ।

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बैठक में वक्ताओं ने कहा कि विश्वसनीय विपक्ष का अभाव, कारपोरेट पूंजी का भारी समर्थन, मोदी मिथ का महिमामंडन उन प्रमुख कारणों में रहा है जिसने भाजपा को अपार चुनावी सफलता दिलायी है।

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उन्होंने कहा कि पुलवामा हमले के बाद समूचे विपक्ष ने मोदी सरकार के साथ खड़ा होकर अपनी राजनीतिक पहलकदमी को खो दिया और बाद के दौर में बिना किसी कार्यक्रम और दिशा के यहां-वहां चुनावी गठजोड़ में लगा रहा। अभी भी मुख्य धारा की विपक्षी पार्टियों के पास मोदी सरकार के खिलाफ न तो कोई कार्यक्रम है और न ही पहलकदमी। संसद में भी उनकी बहसें बेहद लचर रही, यहां तक कि बजट में पेट्रोल और डीजल का दाम बढ़ा दिया गया, बावजूद इसके उसका कोई भी विरोध संसद और संसद के बाहर नहीं दिखा।

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वक्ताओं ने कहा कि दरअसल नई आर्थिक औद्योगिक नीति के खिलाफ खड़े होकर ही संघ और भारतीय जनता पार्टी की घेरेबंदी हो सकती है, लेकिन विपक्ष का गठबंधन और महागठबंधन अभी भी नई आर्थिक औद्योगिक नीतियों के पैरोकार बने हुए हैं।

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सभी वक्ताओं का मत था कि उदारीकरण की नीतियों से पैदा हुये बेरोजगारी, किसानों की आत्महत्या, मजदूरों की छंटनी और अन्य असहनीय कष्ट और जन विक्षोभ से ध्यान हटाने के लिए सांस्कृतिक राष्ट्रवाद, हिंदू गौरव जैसे विमर्श को खड़ा किया गया। इन आर्थिक औद्योगिक नीतियों को बिना पलटे जनता की दुश्वारियों को कम नहीं किया जा सकता है और न ही मौजूदा लोकतंत्र को बचाया जा सकता है। साथ में भारत में फासीवाद का खतरा निरंकुश राज्य और समाज की संरचना में भी निहित है। इसलिए मौजूदा आर्थिक औद्योगिक नीति के विरुद्ध लड़ते हुए समाज व राज्य के जनतंत्रीकरण की लड़ाई को आगे बढ़ाना होगा क्योंकि अधिनायकवादी विचारों को फलने फूलने का मौका उन्हें यहां से मिलता है।

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वक्ताओं ने कहा कि जातिवादी राजनीति और हिंदुत्व की राजनीति कारपोरेट वित्तीय पूंजी के उपकरण हैं। इसलिए आज के दौर में कथित सामाजिक न्याय की मौजूदा बहुजन राजनीति की भी समालोचना करना जरूरी है।

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कृषि, कृषि आधारित उद्योग, छोटे-मझोले उद्योगों का सहकारीकरण की नीति, रोजगार का अधिकार और शिक्षा, चिकित्सा, पेंशन आदि पर भारी खर्च बढ़ाने के लिए विमर्श, जनसंवाद और जनांदोलन की जरूरत है। इसी परिप्रेक्ष्य में बैठक में स्वराज अभियान के राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य अखिलेंद्र प्रताप सिंह, जन मंच के प्रदेश संयोजक एस आर दारापुरी, स्वराज इंडिया के प्रदेश अध्यक्ष अनमोल, राजीव ध्यानी व लाल बहादुर सिंह, मजदूर किसान मंच के प्रदेश संयोजक अजीत यादव, वर्कर्स फ्रंट के प्रदेश अध्यक्ष दिनकर कपूर, जन मंच के एडवोकेट नितिन मिश्रा, युवा मंच के संयोजक राजेश सचान, कमलेश सिंह, आलोक, सौरभ, दुर्गा प्रसाद, राज नारायण मिश्र आदि मौजूद रहे।

Caste politics and Hindutva politics are equipments of Corporate financial capital

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