सावधान ! जलवायु परिवर्तन का असर अब कृषि उत्पादों की पौष्टिकता पर पड़रहा है
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रेगिस्तान में तब्दील हो रही उपजाऊ जमीन
पंकज चतुर्वेदी
सावधान जलवायु परिवर्तन का असर अब कृषि उत्पादों की पौष्टिकता पर पड़ने लगा है। यह सर्वविदित है कि जलवायु परिवर्तन या तापमान बढ़ने का बड़ा कारण वातावरण में बढ़ रही कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा है।
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कार्बन उत्सर्जन में बढ़ोत्तरी के कारण तमाम फसलों में पोषक तत्व घट रहे हैं। इससे 2050 तक दुनिया में 17.5 करोड़ लोगों में जिंक की कमी होगी और करीब 12.2 करोड़ लोग प्रोटीन की कमी से ग्रस्त होंगे।
दरअसल 63 फीसद प्रोटीन, 81 फीसद लौह तत्व तथा 68 फीसद जिंक की आपूर्ति पेड़-पौधों से होती है।
एक शोध में पाया गया है कि अधिक कार्बन डाइऑक्साइड की मौजूदगी में उगाई गई फसलों में तीन तत्वों- जिंक, आयरन एवं प्रोटीन की कमी पाई गई है। यह रिपोर्ट भारत जैसे देशों के लिए अधिक डराती है क्योंकि हमारे यहां पहले से कुपोषण एक बड़ी समस्या है। यह पर्यावरण में कार्बन की मात्र बढ़ा रही है। इससे पैदा पर्यावरणीय संकट का कुप्रभाव है कि मरुस्थलीयकरण दुनिया के सामने बेहद चुपचाप, लेकिन खतरनाक तरीके से बढ़ रहा है।
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रेगिस्तान बनने का खतरा उन जगहों पर ज्यादा है, जहां पहले उपजाऊ जमीन थी और अंधाधुंध खेती या भूजल दोहन या सिंचाई के कारण उसकी उपज क्षमता खत्म हो गई। ऐसी जमीन धीरे-धीरे रेगिस्तान में तब्दील हो जाती है।
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