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घातक है मोटापे और क्रोनिक किडनी रोगों का संयोजन, पिछले एक दशक में मोटापा संबंधी किडनी रोगों में 40% वृद्धि

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hastakshep
11 Sep 2019
सावधान ! आपको भी है कमर दर्द, कहीं किडनी की बीमारी की ओर इशारा तो नहीं !

नई दिल्ली 11 सितंबर, 2019: पिछले एक दशक में ग्वालियर जैसे टियर-वन शहरों में लंबे समय के मोटापे से संबंधित किडनी की बीमारियों (Kidney diseases related to obesity) में 40% तक वृद्धि हुई है। डॉक्टरों के अनुसार, मोटापे और क्रोनिक किडनी रोगों का संयोजन (A combination of obesity and chronic kidney diseases) शरीर के लिए घातक है। मामलों की संख्या में तेजी से वृद्धि के साथ यह प्रमुख स्वास्थ्य चिंता का कारण बन रहा है।

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एक विज्ञप्ति में बताया गया है कि फोर्टिस हॉस्पिटल की स्टडी (Study of Fortis Hospital) के अनुसार फोकल सेग्मेंटल ग्लोमेरुलोस्केलेरोसिस (एफएसजीएस), (Focal segmental glomerulosclerosis (FSGS)) एक खतरनाक स्थिति है, जिससे मोटापे से ग्रस्त रोगियों में किडनी की विफलता की समस्या देखी जाती है। हालांकि, समय पर निदान से परिणाम बेहतर हो सकते हैं लेकिन आखिरी चरण में इलाज के लिए सर्जरी या प्रत्यारोपण का विकल्प रह जाता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर के 18% पुरुष और 21% महिलाएं माटापे का शिकार हैं।

मोटापा क्रोनिक किडनी रोग (सीकेडी) और एंड-स्टेज रीनल डिजीज (end stage renal diseases) (ईएसआरडी) के विकास के लिए एक गंभीर खतरा पैदा करता है। सामान्य वजन वाले लोगों की तुलना में, मोटे या अधिक वजन वाले लोगों में ईएसआरडी विकसित होने की संभावना 7 गुना तक बढ़ जाती है।

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Obesity is the main cause of CKD

फोर्टिस इंस्टीट्यूट ऑफ रीनल साइंसेस और फोर्टिस फ्लाइट लेफ्टिनेंट राजन ढल हॉस्पिटल (एफएचवीके) के वरिष्ठ नेफ्रोलॉजी सलाहकार, डॉक्टर तनमय पांड्या ने विज्ञप्ति में बताया कि,

“मोटापा सीकेडी का मुख्य कारण है। मोटापा सीधे तौर पर चयापचय सिंड्रोम को बढ़ाता है, जिससे किडनी की कार्यप्रणाली में वर्कलोड बढ़ने के कारण किडनी डैमेज हो जाती है, जबकि दूसरी ओर यह उच्च रक्तचाप और हृदय रोगों को जन्म देता है, जिससे किडनी बुरी तरह प्रभावित होती है। दोनों ही मामलों में सही समय पर हस्तक्षेप जरूरी है और यदि इसपर ध्यान न दिया गया तो स्थिति दोगुना तेजी से खराब हो सकती है। पिछले 5 सालों में हमने बच्चों के मोटापे के मामलों में लगातार वृद्धि देखी है। हालांकि लोगों को इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं है, लेकिन सीकेडी बच्चों को भी तेजी से अपनी चपेट में लेती है। सालों से मैं ऐसे परिवारों का इलाज कर रहा हूं, जिनमें मोटापा और सीकेडी दोनों के जीन्स पाए गए और हैरानी वाली बात यह है कि यह आने वाली पीढ़ी में भी फैल सकता है।”

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“डॉक्टरों की टीम ने दोनों ही समस्याओं से निजात पाने के लिए नियमित व्यायाम, संतुलित सुगर लेवल, संतुलित ब्लड प्रेशर, सही वजन के लिए सही आहार, धूम्रपान बंद करने, मेडिटेशन और ओटीसी पिल्स की सलाह दी। यदि किसी की उम्र 40 से ज्यादा है तो उन्हें नियमित वार्षिक जांच की सलाह दी जाती है।

फोर्टिस फ्लाइट लेफ्टिनेंट राजन ढल हॉस्पिटल के सुविधा निदेशक, मंगला देम्बी ने बताया कि, ”हालांकि, क्रोनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) के मरीजों में रीनल ट्रांसप्लानंट ही एकमात्र विकल्प बचता है, लेकिन जिनको किडनी डोनर की जरूर होती है, उन्हें आमतौर पर हेमोडायलेसिस या पेरिटोनियल डायलेसिस के साथ-साथ जीवनशैली में सही बदलाव की सलाह दी जाती है। मोटापे और सीकेडी के मरीजों की संख्या को देखते हुए यह जरूरी हो गया है कि लोगों को इसके बारे में सभी जरूरी जानकारी दी जाएं, जिससे वे इन समस्याओं से बच सकें।”

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