जम्मू-कश्मीर विलय दिवस समारोह समिति 27 अक्टूबर को 71वां विलय दिवस मनाएगी
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जम्मू-कश्मीर विलय दिवस समारोह समिति की एक समन्वय बैठक आज जम्मू में हुई, जो 27 अक्टूबर, 2018 को जम्मू सचिवालय के निकट डोगरा सदर सभा में आयोजित होने वाले 71वें विलय दिवस समारोह कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करेगी। इस समारोह के राष्ट्रीय संयोजक प्रो. भीमसिंह ने समाज के सभी वर्गों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया है। उन्होंने जम्मू-कश्मीर से इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में प्रमुख सामाजिक व राजनीतिक लोगों को भी आमंत्रित किया है, जो देश के बाकी हिस्सों के साथ जम्मू-कश्मीर के स्वस्थ एवं सक्रिय एकीकरण, जिसको अब तक अंतिम रूप नहीं दिया गया है, के सम्बंध में अपने कीमती सुझाव देने की दावत दी।
प्रो.भीमसिंह जिन्होंने महाराजा हरिसिंह की मौत पर शोक व्यक्त करते हुए 1961 में कई छात्र नेताओं के साथ जम्मू सचिवालय की छत पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया था। उन्होंने समाज के सभी वर्गों को जम्मू-कश्मीर के लोगों के साथ एकजुट रहने के लिए आमंत्रित किया गया, ताकि जम्मू-कश्मीर के लोगों को भी भारतीय संविधान में दी गयी स्वतंत्रता के फायदे मिल सकें।
भारत का संविधान जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं
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प्रो.भीमसिंह ने जम्मू-कश्मीर के लोगों के मौलिक अधिकार व नागरिक स्वतंत्रता से वंचित रहने के लिए भारतीय नेतृत्व और संसद को जिम्मेदार ठहराया, क्योंकि 26 अक्टूबर, 1947 को महाराजा हरिसिंह के भारत संघ के साथ विलयपत्र पर हस्ताक्षर किया और 27 अक्टूबर, 1947 को स्वीकार करने के बावजूद भारत का संविधान जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं है।
प्रो.भीमसिंह ने सभी लोगों को 27 अक्टूबर, 2018 को आयोजित होने वाले विलय दिवस समारोह में आमंत्रित किया है, जिससे भारत का कश्मीर से कन्याकुमारी तक एकजुट होने का संदेश जाए।