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सोशलिस्ट पार्टी इंडिया के उपाध्यक्ष संदीप पांडे भी समर्थन देने पहुंचे, नर्मदा चुनौती अनशन के समर्थन में देश भर से कई हिस्सों से मिला समर्थन
इंदौर। नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर द्वारा नर्मदा चुनौती अनिश्चितकालीन सत्याग्रह, नर्मदा किनारे छोटा बड़दा में आठवे दिन भी जारी रहा।
मेधा पाटकर पिछले 25 अगस्त से बिना पुनर्वास सरदार सरोवर बांध में 192 गांव और एक नगर को डुबाने की केंद्र और गुजरात सरकार की जिद के खिलाफ अनशन कर रही हैं। जबकि घाटी में आज 32,000 परिवार निवासरत हैं, ऐसी स्थिति में बांध में 138.68 मीटर पानी भरने से 192 गांव और एक नगर की जल हत्या होगी।
बांध में पानी का स्तर 134 मीटर से ऊपर पहुँच चुका है और केंद्र और गुजरात सरकार द्वारा लगातार 32,000 परिवारों को अनदेखा किया जा रहा है। नर्मदा बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ता लगातार अनिश्चितकालीन अनशन पर हैं लेकिन सरकार गोलमोल जवाब दे रही है।
नर्मदा चुनौती सत्याग्रह के समर्थन में देश भर से समर्थन मिल रहा है
मध्यप्रदेश सोशलिस्ट पार्टी अध्यक्ष रामस्वरूप मंत्री ने मुख्यमंत्री कमलनाथ को पत्र लिखकर बिना पुनर्वास डूब की निंदा की तथा बांध के गेट खोलने की मांग की।
सोशलिस्ट पार्टी इंडिया के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष संदीप पांडेय, प्रदेश अध्यक्ष रामस्वरूप मंत्री भी आंदोलन का समर्थन करने बड़दा पहुंचे तथा आंदोलन में सक्रिय भागीदारी की।
अनशन स्थल से लौटकर रामस्वरूप मंत्री ने बताया कि आज भी नर्मदा घाटी में 32,000 परिवार निवासरत हैं। आज की मध्यप्रदेश सरकार ने डूब प्रभावितों की बात तो सुनी पर आठ महीनों में पुनर्वास का काम आगे नहीं बढ़ा। पूर्व सरकार ने जो गड़बड़ी की उसकी सच्चाई सामने लाकर गुजरात और केंद्र सरकार से बांध के गेट खुलवाना चाहिए और पुनर्वास का काम तत्काल करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि हजारों परिवारों का सम्पूर्ण पुनर्वास भी मध्य प्रदेश में अधूरा है, पुनर्वास स्थलों पर नीति आनुसार सुविधाएँ नहीं है। ऐसे में विस्थापित अपने मूल गाँव में खेती, आजीविका डूबते देख संघर्ष कर रहे हैं।
घाटी में जीने का अधिकार न पाये दुकानदार, छोटे उद्योग, कारीगरी, केवट, कुम्हार तो डूब लाकर क्या इन गांवों की हत्या करने दे सकते हैं?
श्री मंत्री ने कहा कि गुजरात सरकार जलस्तर में वृद्धि सत्याहग्राहियों को धमकाने का प्रयास कर रही है। गुजरात सरकार सत्याग्रहियों तथा डूब क्षेत्र के प्रभावितों को धमकाने के लिए सरदार सरोवर के गेट से पर्याप्त निकासी नहीं कर रही है, जिससे जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। निर्धारित जलभराव कार्यक्रम के विरुद्ध जलस्तर बढ़ा कर आज 134.500 मीटर कर दिया गया है। लेकिन, सत्याग्रही डूब से पहले हर परिवार के संपूर्ण पुनर्वास की मांग पर अडिग हैं।
अन्याय, अत्याचार और गैरकानूनी डूब के खिलाफ नर्मदा घाटी में सत्याग्रह जारी है। मेधा ताई के अनशन का आज आठवां दिन है की नाजुक तबीयत के बावजूद उनका और आंदोलन का आत्मिक बल बढ़ता ही जा रहा है।
आज खलघाट से पूरे क्षेत्र की रैली निकली है जो सत्याग्रह स्थल पर समाप्त होगी।
इसी अभियान के तहत कल, सोमवार, दो सितंबर को पूरी घाटी एक दिन का लाक्षणिक अनशन करेगी।
बांध के दुष्परिणाम दिखाई देने लगे हैं
पिछले पखावड़े से नर्मदा घाटी के साकड़-हरिबड़ क्षेत्र में लगातार भूकम्प के झटके आ रहे हैं। अब भूकंप की तीव्रता और प्रभाव क्षेत्र में वृद्धि होने से इंकार नहीं किया जा सकता है।
जलाशय में पानी रुकने से जलजनित और मच्छरों से फैलने वाली बीमारियां तेजी से फैल रही हैं। स्थानीय अस्पतालों के रिकार्ड के अनुसार ओपीडी मरीजों की संख्या तीन गुना बढ़ गई है। साथ ही जलाशय का जल प्रदूषित होने से आज छोटा बड़दा में कई मछलियां मरी हुई दिखाई दीं।
नर्मदा बचाओ आंदोलन के समर्थक भी लगातार आंदोलन के साथ भागीदारी निभा रहे हैं। आज (NAPM) की सुनीति सुलभा रघुनाथ, सुहास कोल्हेकर (पुणे, महाराष्ट्र), डॉ. सुनीलम (किसान संघर्ष समिति, NAPM), सोशलिस्ट पार्टी इंडिया के उपाध्यक्ष संदीप पांडेय, प्रदेश अध्यक्ष रामस्वरूप मंत्री, राजेश बैरागी, लीलाधर चौधरी (किसान संघर्ष समिति), शिल्पा बल्लाल, सुनील सुकठनकर (पुणे महाराष्ट्र) गीतांजली बहन (नासिक, महाराष्ट्र) शान्तनु (दिल्ली फोरम), चिन्मय मिश्र, सरोज मिश्र (इंदौर), कैलाश लिम्बोदिया (माकपा), रामनारायण कुरडीया(अखिल भारतीय किसान सभा) भी सत्याग्रह में मौजूद रहे। सभी ने मांग की कि नर्मदा ट्रिब्यूनल और सर्वोच्च अदालत के फैसलों के तहत डूब के पहले सम्पूर्ण पुनर्वास हो, यह सुनिश्चित करना, प्रभावितों का हक़ भी है और सरकार की कानूनी ज़िम्मेदारी है".।
Day 8 of Medha Patkar’s fast against Submergence, is Govt listening?