कश्मीरी आतंक (Kashmiri terror) की शुरुआत वीपी सिंह के कार्यकाल (VP Singh’s tenure) में, 1989 में हुई, जब आप वीपी सिंह के साथ खड़े थे।। रुबिया कांड में घुटने टेकना वीपी की सरकार में हुआ। पंडितों का पलायन वीपी के दौर में, उन्हीं जगमोहन के नयनों तले हुआ, जो पुरस्कार स्वरूप अटल के मन्त्रिमण्डल में बैठे। कारगिल, संसद पर हमला आपकी सरकार में हुआ। आईसी 814 में घुटने आपने टेके। मसूद अजहर को कश्मीर की जेल से बालाकोट कैम्प तक बाइज़्ज़त पहुँचाने वाले आप ही लोग थे।
सच तो ये है कि कांग्रेस का पराभव (defeat of Congress), और कश्मीर में आतंकवाद (terrorism in Kashmir), और भाजपा ( BJP) का सत्ताधारी बेंचो में संख्या का ग्राफ चढ़ना, एक साथ हुआ है।
कश्मीर ही क्यों, देश के दूसरे हिस्सों में भी चरमपंथ कांग्रेस के पराभव काल और भाजपा के बढ़ाव के युग की ही देन है। क्या ये संयोग मात्र है???
जवाब आपको देना है, क्योकि नेहरू सन 64 में मर चुके है। कश्मीर में पहली गोली चलने के 25 साल पहले, नेहरू मर चुके हैं। विश्वास न हो तो किसी से भी पूछ लीजिये।
अरविन्द शुक्ला
(लेखक पत्रकार हैं)
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