इंदौर, 22 अगस्त (- केसरी सिंह चिडार)। प्रगतिशील लेखक संघ की इंदौर इकाई (Indore Unit of Progressive Writers Association) और आईबीएसएस विद्या निकेतन की ओर से शुक्रवार को हिंदी के महान व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई के जन्म दिवस (Birthday of great satirist of Hindi Harishankar Parsai) पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
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व्यंग्य का मुख्य काम क्या है? (What is the main function of satire?)
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मध्य प्रदेश प्रगतिशील लेखक संघ के महासचिव विनीत तिवारी ने कहा कि परसाई के व्यंग्य महज हंसाते नहीं थे, बल्कि वे सोचने और हालात को बदलने के लिए प्रेरित भी करते थे।
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उन्होंने कहा कि असल में व्यंग्य का मुख्य काम भी बदलाव के लिए लोगों को प्रेरित करना है।
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हरिशंकर परसाई के लेखन के महत्व पर चर्चा (Discuss the importance of writings of Harishankar Parsai)
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आईबीएसएस के संचालक मंडल की ओर से श्री एस. के. दुबे ने हरिशंकर परसाई के लेखन के महत्व पर चर्चा की और बताया कि किस तरह उनके लेखन से समाज और शासन अपनी गलतियों पर शर्मिंदा होता था। आईबीएसएस की प्राचार्या सुश्री गीता सोनवणे ने प्रगतिशील लेखक संघ के अतिथियों का स्वागत करते हुए स्कूल की गतिविधियों की जानकारी दी।
कार्यक्रम की शुरूआत में छात्राओं कुमारी मीनल वर्मा, कशिश हार्डिया और प्राची मौर्या ने परसाई के सृजन एवं साहित्य पर अपने-अपने विचार रखे।
इस अवसर पर प्रलेसं के सचिव अभय नेमा ने परसाई की व्यंग्य रचनाओं ‘रोटी’ और ‘खेती’ का पाठ किया।
विनीत तिवारी ने परसाई की रचना ‘एकलव्य ने गुरु को अंगूठा दिखाया’ का पाठ किया। इस व्यंग्य में परसाईजी ने इतिहास के माध्यम से वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में मौजूद खामियों और भ्रष्टाचार पर रोचक अंदाज़ में प्रहार किया है। बच्चों को परसाई के व्यंग्य बहुत पसंद आये।
विनीत तिवारी ने बताया कि किस तरह परसाईजी ने प्रेमचंद की समाजोन्मुख साहित्य की परंपरा को आगे बढ़ाया। प्रलेस की इंदौर ईकाई के केसरी सिंह चिडार ने स्वरचित बच्चों की कविताएं ‘चूहा राम का फोन’ एवं ‘कद्दू काका का ब्याह’ सुनाई। विद्या निकेतन की शिक्षिका सुचित्रा कापसे ने परसाई जी की व्यंग्य रचना ‘अच्छा बेवकूफ’ का पाठ किया। कार्यक्रम का संचालन विशी वर्मा एवं कुणाल ने किया। धन्यवाद प्राचार्या सुश्री गीता सोनवणे ने दिया।
इस मौके पर प्रलेसं इंदौर के अध्यक्ष श्री एस. के. दुबे और वरिष्ठ साहित्यकार राम आसरे पांडे के अलावा आईबीएसएस विद्यालय के सभी शिक्षकगण मौजूद थे।